आपको तो अपनी बहू की अच्छाई के आगे कुछ दिखाती ही नहीं पड़ता है। – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

जैसे ही रीमा ने घर में कदम रखा । रिया ने सोफे पर पसरते हुए कहा,” भाभी जल्दी से चाय बना लो अब।

तभी साथ बैठी, बुआ सास मालती बोली,” और हां पकौड़े भी बना लेना साथ।

जी बुआ जी,” रीमा ने कहा।

रीमा आज ऑफिस में बहुत थक गई थी, सर दर्द से भयंकर फट रहा था।वह सोच रही थी कि घर जाकर थोड़ी देर आराम कर किचन में जायेगी।लेकिन ननद और बुआ सास की फरमाइश पर अब उसे सीधे ही रसोई में लगना पड़ेगा।

   तभी उसने अपने कंधे पर नर्म हाथ को महसूस किया।पीछे मुड़कर देखा तो उसकी सास सरिता जी खड़ी थी।

उन्होंने कहा,” बेटा तुम थोड़ी देर आराम करो। चाय और पकौड़े मैं बना लूंगी।

नहीं मम्मी जी,” बस 10 मिनट दीजिए। मै कपड़े बदलकर आती हूं।

सरिता जी ने कहा,” तुम आराम करो। ये कह सरिता जी चली गई।

रीमा ने एक आराम दायक सांस ली और बेड पर लेट गई।

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तभी उसने सुना कि रिया जोर से बोल रही थी,” अरे मम्मी। आप किचन में क्या कर रही हो।

वो महारानी कहां है?

तमीज से बोलो रिया,” भूलो मत वो भाभी है तुम्हारी।

तुम्हें चाय पकौड़े चाहिए, मैं बना रही हूं।तुम आराम से खाओ।

तभी मालती ( बुआ सास) बोली। भाभी देख रही हूं तुमने बहु को कुछ ज्यादा ही सिर चढ़ा रखा है। ऐसा भी क्या पहाड़ खोद कर आई रीमा ,,जो तुम रसोई में आ गई।

  तब तक रीमा रसोई में आ गई थी। उसने कहा,” मां आप सब जाइए मैं बना कर लाती हूं।

तभी सरिता जी ने कहा,” नही रीमा।

तब वह अपनी बेटी रिया से बोली। तुम सारा दिन घर थी क्या किया तुमने। मेरे लिए रीमा बहू नही बेटी है। वह अपनी हर जिम्मेदारी बखूबी निभाती है तो क्या हमारा इतना फर्ज़ नही कि अगर वो थक गई है तो वह थोड़ी देर आराम कर ले।

तुम्हें तो अपनी बहू के अच्छाई के आगे कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता , मालती बोली।

जी दीदी,” सरिता जी बोली। क्योंकि रीमा अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाती है। बिना बोले हर काम समय पर करती है। लेकिन वह  थकती भी है और सबसे बड़ी बात कि उसने मुझे कभी शिकायत का मौका नहीं दिया।

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तभी रिया और मालती दोनों गुस्से में पैर पटकती बाहर चली गई।

सरिता जी सोचने लगी। आज रिया और मालती जी 10 दिन से घर आई हुई हैं और उन्होंने कोई मौका नहीं छोड़ा रीमा को परेशान करने का। वो तो उन्होंने कल रोहित को सुन लिया कि कैसे  रीमा पर ऑफिस में एक्स्ट्रा वर्कलोड है। जिससे न तो उसकी नींद पूरी हो रही ना ही आराम मिल रहा। जिससे वह धीरे धीरे डिप्रेशन की शिकार हो रही है। सरिता जी अपनी सुघड़ और समझदार बहू को अब और परेशान नहीं होने देगी ।वह उसे बेटी बनाकर लाई थी तो क्यों नही उसने पहले अपनी बेटी और अपनी ननद मालती को रोका। खैर देर आए दुरुस्त आए अब वह उन्हें अपनी बहू को परेशान नहीं होने देगी, ऐसा सोच सरिता जी पकौड़े तलने लगी।

 

पूनम भारद्वाज

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