” मेरी शादी की चिंता आप छोड़ दीजियेगा हाथ जोड़ कर विनती है आपसे नही करनी मुझे शादी। आप चाहे तो सुमि की शादी कर सकते है !” नम आँखों से नीति ने अपने माता पिता से कहा।
” पर बेटा ऐसे कैसे ये फैसला कर सकती हो तुम बड़ी हो तुम्हारी शादी नही होगी तो लोग बात बनाएंगे !” नीति के पिता श्याम बोले।
” पापा कुछ फैसले आत्म सम्मान के लिए करने पड़ते है और ये कोई जरूरी तो नही कि सब शादी ही करे क्या अकेले नही जी सकते अपने आत्म सम्मान के साथ !” नीति लगभग रोते हुए बोली।
नीति जो एक पढ़ी लिखी आज के जमाने की लड़की थी बैंक मे नौकरी करती थी कहने को एक लड़की जो सपने देखती है वो नीति के पूरे हो चुके थे अब क्योकि उसकी उम्र अठाइस साल की हो गई थी तो जाहिर सी बात है उसकी शादी के लिए माता पिता प्रयासरत थे । रिश्ते देखे जा रहे थे लड़के वाले देखने भी आ रहे थे फिर आप सोचेंगे नीति शादी को मना क्यो कर रही थी ।
असल मे उसकी वजह थी कि उसे अभी तक दस लड़के देख चुके थे और सभी एक चीज पर आकर रिश्ता ठुकरा जाते थे वो था नीति का साँवला रंग । जी हां एक पढ़ी लिखी , अच्छी नौकरी करती लड़की को भी लोग केवल उसके रंग की वजह से नकार रहे थे और उससे दो साल छोटी पर रंग मे गोरी उसकी बहन सुमि को पसंद करके जा रहे थे।
आज के युग मे भी इस रंग भेद की नीति नीति जैसी हजारों लड़कियों की नियति तय कर रही है , उनके आत्म सम्मान को पल पल छलनी कर रही है ऐसे मे उसे एक फैसला अपने आत्मसम्मान के लिए लेना पड़ा जो सही भी था।
आज भी ऐसा ही हुआ लड़के वाले आये खाया पिया और नीति मे कमी निकाल सुमि से रिश्ता करने की बात कर दी जिसे श्याम जी और उनकी पत्नी मालती ने मना कर दिया पर नीति का अब सब्र जवाब दे गया इसलिए उसने अपने माता पिता से इल्तजा की।
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” बेटा भगवान ने हर एक के लिए उसका जोड़ीदार बनाया ही है तू चिंता क्यो करती है तुझे भी तेरा जोड़ीदार एक दिन जरूर मिलेगा !” मालती ने उसे समझाया।
” मम्मी अगर ऐसा है तो फिर भगवान पर ही छोड़ दीजिये ना ये मिलना मिलाना । क्यो बार बार लड़के वालों को बुला भगवान के फैसले मे दखल देना !” नीति बोली।
माता पिता के बहुत समझाने पर भी नीति नही मानी और फिर सब कुछ ईश्वर पर छोड़ उसकी शादी के प्रयास बंद कर दिये गये । दो साल और बीत गये और अब श्याम और मालती को सुमि की शादी की भी चिंता हुई और उसके लिए रिश्ते आने लगे ।
” बेटा कल सुमि को देखने लड़के वाले आ रहे है !” एक दिन बैंक से लौटी नीति से मालती जी उदास स्वर मे बोली।
” अरे वाह ये तो खुशी की बात है मेरी सुमि इतनी प्यारी है कि इसे कोई भी पसंद कर लेगा !” नीति खुश होते हुए बोली । उसकी खुशी देख मालती भी सामान्य हो गई।
अगले दिन चुंकि रविवार था तो नीति घर मे ही थी और खुशी खुशी सब तैयारियों मे माँ की मदद कर रही थी । लड़के वाले आये और नीति ने माँ को उनके पास बैठाया और खुद उनकी आवभगत मे लग गई।
” दीदी ये कैसा लड़का बुलाया है पापा ने मेरे लिए मुझे तो बिल्कुल पसंद नही ये !” रसोई की तरफ आती नीति से परदे की ओट मे खड़ी सुमि बोली।
” सुमि लड़का पढ़ा लिखा , संस्कारी है सबसे अच्छी बात परिवार भी बहुत अच्छा है उसका मैने बात की है तू भी करेगी तो तुझे अच्छा लगेगा । सिर्फ शकल सूरत देख कर तो इंकार नही किया जाता ना !” सुमि की बात सुन नीति भड़क सी गई मानो खुद के अंदर का दर्द बाहर आया हो !
” दीदी प्लीज आप अपने पर मत लो इसे मैं सिर्फ अपने मन की बात आपको बता रही हूँ ।” सुमि बोली।
” हम्म्म पहले लड़के से मिल फिर कोई फैसला करियो आखिर उनका भी आत्म सम्मान है । घर बुला बिना कारण इंकार नही कर सकते फिर तुझे तस्वीर तो दिखाई थी ना ।” नीति बोली।
” दीदी तस्वीर मे वो स्मार्ट लग रहा था पर …!” सुमि कुछ बोलते बोलते चुप हो गई क्योकि वो लड़का जिसका नाम तनिष्क था वो हाथ धोने रसोई के पास लगी वाश बेसिन पर आ रहा था ।
” अंकल जी क्या मैं दो मिनट को अपने मम्मी पापा से बाहर जा बात कर सकता हूँ !” तनिष्क बिना कुछ बोले हाथ धोकर बैठक मे आ बोला।
” बेटा आप यही बात कर लो हम अंदर चले जाते है !” कुछ परेशान से श्याम जी बोले। थोड़ी देर आपसे मे बात करने के बाद उन्होंने श्याम और मालती को बुलाया।
” देखिये श्याम जी हम यहाँ सुमि को देखने आये थे पर …!” लड़के के पिता रतन जी बोले।
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” पर क्या भाई साहब?” एक बेटी को बार बार नकारने का दंश झेल चुका पिता अधीरता से बोला । कितनी अजीब बात है ना माता पिता बेटियों को जन्म देते अच्छी परवरिश दे पैरो पर खड़ा करते फिर भी इतने मजबूर होते कि उन्हे ये डर रहता कि उनकी बेटी को कोई नकार ना दे।
” देखिये भाई साहब आप बुरा मत मानियेगा मैं जानती हूँ ये गलत है पर मेरे बेटे तनिष्क को आपकी सुमि नही पसंद !” तनिष्क की माता जी रागिनी बोली।
” पर तनिष्क बेटा तो सुमि से मिला भी नही फिर यूँ अचानक नापसंद करने की वजह । अगर आपके बेटे को शादी करनी ही नही थी तो वो क्या यहाँ मेरी बेटी का मजाक बनाने आया था । मुझे आप लोग सभ्य लगे पर नही आप लोग भी लड़कियों को बस एक चीज समझते जिसे कभी भी ठुकरा दे !” श्याम जी के मन मे भरा लावा मानो फूट पड़ा।
” अंकल जी प्लीज आप गलत मत समझिये मुझे । मैं आपसे माफ़ी चाहता हूँ मैं सुमि से मिले बिना उसके साथ शादी को इंकार कर रहा हूँ क्योकि मुझे आपकी बड़ी बेटी नीति जी पसंद है । अगर आप इस रिश्ते से इंकार करते है तो हम चुपचाप चले जाएंगे । पर मैं सुमि को देखने के बाद इंकार नही करना चाहता था इसलिए अपने मन की बात बोल दी !” श्याम को अधीर देख तनिष्क ने हाथ जोड़ कर कहा ।
” अरे दीदी देखो आपका मिस्टर परफेक्ट भगवान ने भेज दिया !” तनिष्क की बात सुन कोई कुछ बोलता उससे पहले सुमि परदे की ओट से बाहर आ खुश हो बोली।
” मतलब ?” हैरानी भरी कई आवाज़ एक साथ गूंजी।
” माफ़ कीजिये अंकल और पापा आप भी । तनिष्क जी एक अच्छे लड़के है पर ये मुझे भी पसंद नही । दीदी को ये बहुत अच्छे लगे और दीदी इन्हे तो अगर ये दोनो चाहते है तो आप लोग इनकी शादी कर दीजिये ना क्योकि मुझे ये जीजू के रूप मे बहुत पसंद आये !” सुमि खुशी की अधिकता से बोली।
” क्या बकवास है ये सुमि । रिश्ते क्या खिलौना है बाजार आ कि ये नही तो वो पसंद कर लो । तुम नीति का दर्द जानते हुए भी वही बात फिर दोहरा रही हो !” श्याम जी तनिक रोष से बोले।
” पापा जो अतीत मे हुआ वो गलत था दीदी को देखने आने वाले मुझे देख पसंद करते थे ये गलत था पर यहाँ तो ना तनिष्क जी को मैं पसंद ना मुझे तनिष्क जी । याद है दीदी ने बोला था मेरे लिए रिश्ता देखना बंद कीजिये भगवान ने जिसे मेरे लिए बनाया होगा वो खुद आएगा चल कर । तो अब आया है तो आप क्यो इंकार कर रहे है !” सुमि बोली।
” नही सुमि ये गलत है !” नीति केवल इतना बोली।
” दीदी आपको तनिष्क जी अच्छे नही लगे ? पर अभी तो आप बोली थी लड़का और परिवार दोनो बहुत अच्छे है ! माफ़ कीजिये तनिष्क जी दीदी आपको पसंद नही करती ना मैं तो आप यहाँ से जा सकते है !” सुमि जान बूझकर बोली।
” ऐसे कैसे घर आये मेहमानों को बोल रही है तू। और मैने कब कहा तनिष्क जी अच्छे नही है लेकिन …!” नीति कुछ बोलते बोलते अपने शब्दों का ध्यान कर रुक गई।
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” तो पसंद है तो शादी कर लो ना मुझे क्यो इसमे फंसा रही हो प्लीज प्लीज प्लीज !” सुमि इस तरह से बोली कि सब हंस पड़े और गर्म मोहोल अचानक खुशनुमा हो गया !
थोड़ी देर बाद आपस मे सलाह करके नीति से तनिष्क का रिश्ता कर दिया गये क्योकि शायद उसे भगवान ने ही भेजा था नीति का जोड़ीदार बना ।
“दीदी मुझे जीजू बहुत पसंद है !” सुमि नीति के गले लगते हुए बोली।
” पर वहाँ परदे की ओट मे तो आपको मैं बिल्कुल पसंद नही था !” तनिष्क मुस्कुराते हुए बोला।
” हां तो मेरी दीदी को पसंद हो ना तो मेरे जीजू मुझे भी पसंद है !” सुमि हँसते हुए बोली तो सब हंस दिये।
दोस्तों किसी इन्सान को बिन वजह सिर्फ रंग भेद की नीति के तहत नकारना सरासर गलत है क्योकि रंग केवल दो बनाये ईश्वर ने पर गुणों की खान बनाई है तो हमें उन्हे भी देखने का प्रयास करना चाहिए और अगर कोई सिर्फ रंग देख रिश्ते से इंकार करे तो अपना आत्म सम्मान बचाने को कोई फैसला लेना भी गलत नही ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
#एक फैसला आत्म सम्मान के लिए