गेट की आवाज सुन कर उन्होंने बाहर झांका। रज्जो ही थी। रज्जो ने चुपचाप झाड़ू उठाया और ड्राइंगरूम से झाड़ू लगाना शुरू कर दिया।
‘यह क्या रज्जो ! न नमस्ते,न दुआ-सलाम और सीधे ड्राइंग रूम से सफाई शुरू ? तुझे कितनी बार समझाया है कि हमारे कमरे से सफाई शुरू किया कर,लेकिन तुझे समझ ही नहीं आता’, उन्होंने रज्जो के देर से आने का गुस्सा इस रूप में निकाला।
क्या करती हो? आते ही उस पर सवार हो जाती हो ! असल में तुम्हें अपनी खीझ निकालने के लिए कोई न कोई चाहिए ,कभी मैं,कभी रज्जो’ पति महोदय ने व्यंग्य -बाण छोड़ा।
क्षरज्जो को उनकी नोक -झोंक सुनते देख कर उन्होंने पति को तरेरा और अपनी झेंप मिटाने के लिए विषय बदला,
क्षक्ष’आज देर से क्यों आई?’
‘क्या करूँ मैडम जी? मैं तो तंग आ गई हूँ अपनी छोटी लड़की से ! छः दिन से समझा रही हूँ । मैंने उसे ‘नवोदय ‘स्कूल में दाखिल करवाने के लिए अलग से ट्यूसन लगवा कर परीक्सा दिलवाई थी ,
फीस कैसे भरी ,मैं ही जानती हूँ, अब पास हो गई है , तो जाने से मना करती है। रो- रो कर बेहाल हो गई है, मान ही नहीं रही। बस ,एक ही रट लगाए हुए है, ‘मैं तुझे बापू की गाली-मार खाने के लिए छोड़ कर नहीं जाऊँगी श।’
हां , तो यहीं के सरकारी स्कूल में उसे छठी में दाखिल करवा दे न, क्या दिक्कत है इसमें? आजकल तो सभी सरकारी स्कूलों मे दोपहर का खाना, किताबें, वर्दी सब कुछ मुफ्त मिलता है’, उन्होंने एक तरह से अपना ज्ञान बघारते हुए कहा था।
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‘बात यह नहीं है, मैडम जी ! ये सब तो मैं अपनी मेहनत से कमा ही लेती हूँ। असल में मैं उसे घर के लड़ाई-झगड़े से दूर रखना चाहती हूँ। मैं नहीं चाहती कि किसी भी हालात में उसकी बारहवीं की पढ़ाई बंद हो।
पढ़-लिख जाएगी तो कम से कम अपनी जिंदगी के फैसले तो खुद ले पाएगी।आज अगर मैं थोड़ा पढ़ी-लिखी होती ,कानून के दाव-पेंच समझती ,तो क्या लात-घूँसे खा कर भी इसी घर में पड़ रहती ? नहीं, उसे बाहर का रास्ता दिखा चुकी होती।’
रज्जो का ‘तर्क’ सुन कर वे अवाक् रह गईं थीं, किंतु रज्जो के वर्ग में भी उनके ‘सुप्त आक्रोश’ को आकार लेते देख कर उन्हें खुशी जरूर हुई थी । एक ‘विशेष वर्ग’ से जुड़े नारी-अधिकारों के संघर्ष के साथ-साथ इस वर्ग की ‘नारी चेतना’ ने सचमुच उन्हें गौरवान्वित कर दिया था।
फिर,सहसा कुछ सोचते हुए जैसे ही उन्होंने अगले दिन रज्जो को अपनी बेटी को साथ लाने का सुझाव देते हुए उसे मन से अग्रिम शिक्षा के लिए तैयार कर लेने का आश्वासन दिया, तो रज्जो का चेहरा भी खुशी से चमक उठा।
उमा महाजन
कपूरथला
पंजाब