काबेरी जी ने झिझकते हुए अपने बड़े बेटे अजय का नम्बर डायल किया,फोन उनकी बड़ी बहू निकिता ने उठाया, सासूमां की आवाज सुनते ही उसने उनको सादर चरणस्पर्श कहा ,फिर उनकी व ससुरजी की सेहत केबारे में पूछा।
हां निकिता ने कहा,जी मांजी बताइए आपने क्यों याद किया आज हम लोगों को वहां सब ठीक तो है न।
हां ,बहू यहां सबठीक है ,क्या मैं अपने बहू बेटे से बात नहीं कर सकती ।तुम लोगों की बहुत याद आ रही थी।निकिता ने मन ही मन सोचा जब उनके पास ही रहती थी तो जीना हराम कर रखा था
हर समय मद्रासन बोल बोल कर।परंतु मनकी बात मन में ही दबा कर उसने कहा ठीक है मांजी कहिये क्या आदेश है।मैं कह रही थी कि तुम व अजय इतबार को घर आजाओ सबसे मिलना होजायगा, बहुत समय हो गया तुम लोगों को देखे हुए।
जी मांजी,शामको अजय के ऑफिस से आने के बाद बात करकेआने का प्रोग्राम बनाते हैं।
राजारामजी केतीन बेटे थे,सबसे बड़ा अजय उससे छोटा विजय व सबसे छोटा नकुल ।अजय पढ़ने लिखने में शुरू से ही मेधावी था। पढ़ाई करते समय स्कूल मे कई बार उसे स्कॉलरशिप मिलचुकी थी।अपनी क्लास में बह हमेशा ही प्रथम आता। हालांकि राजारामजी खुद अधिक पढ़ें लिखे नहीं थे,बसएक किरानेकी दुकान चलाते थे,दुकानमें सदैबअच्छाी क्वालिटीका सामान रखते
वउचित दामों पर बेचते,सबसे अधिक बात उनका मिलनसार स्वभाव था होना था। इसलिए उस इलाके में उनकी दुकान सबसे अधिक चलती थी।पूरे परिबार की गुजर बसर बहुत आराम से हो जाती थी ।बड़े बेटे अजय को वे सदैब ही आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते।अजय ने भी समय की गति से अनुसार एमबीए पास करके किसी मल्टीनैशनल कमपनी में जाॉब लेलीथी।
बिजय व नकुल का पढ़ाई लिखाई में मन अधिक नहीं था,बहुत जोर देने पर मुश्किल से इन्टर पास कर पाए थे।राजाराम जी ने उन दोनों को वेकरी थी दुकान करबा दी थी
अजय ने अपनी सहकर्मी निकिता को कोअपना लाइफ पार्टनर चुनने का विचार किया।निकिता साउथ इंडियन थी स्वभाव से मिलनसार घरेलू थी।जॉवकरनेमें भी उसकी अधिक रूचि नही थी
जब घर में इस बाबत चर्चा की तो काबेरी जी एकदम भड़क गई ,बड़ी बहू वह भी विजातीय ऐसा हरगिज नहीं होगा।अजय कीशादी किसीअपनी जात बिरादरी की लड़की से ही करूंगी नकि किसी मद्रासन से।राजाराम जी ने बहुत समझाया,
कि समय बहुतबदलचुका है जाति बिरादरी में कुछ नहीं रखा बस लड़की घर में मिल जुल कर रहने वाली होनी चाहिए।हमको अपने बच्चों की खुशी में ही अपनी खुशी ढूंढनी चाहिए ताकि वे खुश रह सकें। इधर अजयभी अपनीजिद पर अड़ा बैठा था कि शादी करेगा तो सिर्फ निकिता से।
राजारामजी ने समझाया किबिजय व नकुल की शादी तुम अपनी जातिबिरादरी में करलेना।अभी अजय की पसंद को अपनी स्वीकृति दे दो।
काबेरी जी ने ऊपरी मन से अजय को निकिता से शादी करने की अजय को स्वीकृति तो दे दी थी,लेकिनमन से वे निकिता को बड़ी बहू स्वीकार नहीं कर पाई। हांलांकि निकिता बहुत समझदार वघरकेकामों में कुशल थी अपने मिलनसार स्वभाव से कुछ ही दिनों में उसने घर में सभी का दिल जीत लिया था सिबाय काबेरीजी जीके ।
निकिता बहुत ही व्यवहार कुशल व कुकिंग कीशॉकीन थी।वह नाश्ते में इडली दोसा व बड़ा बना करसबको खिलातीघरके सभी सदस्य उसके बनाए नाश्ते थी तारीफ करते सिबाय काबेरीजी के वे सदैब ही कुछ न कुछ मीन मेख निकाल ही देती।
काबेरी जीसदैब निकिता को अपने घर के रीति रिवाजों से अबगत कराती रहती। साथ ही निकिताको अपने खानपान के बड़प्पन की शेखी भी बघारती रहती हमारे यहां खाने में जो बैराइटी है
वह तुम मद्रासीयों के खाने में कहां।जो स्वाद करारे आलू के परांठे में है बह इडली दोसा में कहां।निकिता मन ही मन सोचती कि रोज नाशतेमें आलू केपराठे खाके ही तोआपने डाइबिटीज जैसी बिमारी को गले लगा लिया है।
निकिताको पलट घर जबावदेने की आदत नहीं थी।हां उसे बुराजरूर लगता था कि हर समय माजी उसकी उपेक्षा क्यों करती रहती हैं। धीरे-धीरे निकिता को इस सब कीोआदत हो गई थी माजी कीऐसी बातें सुनने की।
समयानुसार बिजय व नकुल की शादी भी हो गई और उन दोनों कीशादी माजी ने अपनी ही जाति बिरादरी की लड़कियों से की जिनके नाम नैना व सुनैना थे।दोनों ही आधुनिक व मस्त स्वभाव की थी।
देर रात तक टीवी देखना फिर सुबह देर से उठना, शुरू शुरू में तो काबेरी जी ने सोचा कि अभी नई शादी हुई है लेकिन जब शादी के छह महीने बीतने पर भी उनके तौर तरीके नही बदले तो काबेरी जी ने उन दोनो को टोका कि घर के कामकाज में उनको निकिता की मदद करनी चाहिए।
तिस पर उन का जबाव था कि मांजी निकिता भाभी कितना अच्छा टेस्टी नाश्ता व खाना बनाती है तो हमें क्या ज़रूरत है रसोई में सिर खपाने की।इतना ही नहीं वे दोनों निकिता की भी दिल खोल कर तारीफ करती ,अरे,वाह भाभी आपके हाथों में तो जादू है आपके हाथों का दोसा खाकर तो हम लोग बाहर जाना ही भूल गए हैं।
निकिता जानती थी कि वे दोनों काम न करने के बहाने ढूंढताीहैं और इसी कारण उसकी तारीफ में कसीदे पढ़ती हैं।निकिता यह सोच कर चुप लगा जाती क्योंकि उसे तो इस घर में अपने लिए जगह बनानी थी।बैसे तो निकिता अपनी ससुराल में सबका दिल जीत चुकी थी सिबाय अपनी सासूमां के ।
काबेरी जी ने निकिता को बुरा भला कहने में कोई कसर नही छोड़ी थी। हांलांकि निकिता अजय से कभी-भी इस बात की चर्चा नही करती थी लेकिन उसके चेहरे की उदासी सब कुछ कह देती थी।इसी कारण अजय ने अलग रहने का निश्चय कर लिया और कुछ दिनों में अपने अलग घर में शिफ्ट होगये।उनके घर छोड़ कर जाने से काबेरी जी बहुत खुश थी कि चलो इस से जान छूटी।
निकिता व अजय के दूसरे घर में शिफ्ट होने पर घर की व्यवस्था चरमराने लगी,नैना व सुनैना को तो रसोई के कामों में न रूचि थीवेदोनों तो अपनी रूटीन में ही व्यस्त रहती किटी पार्टी व सैर सपाटा करने से ही फुर्सत नही थी। मजबूर होकर काबेरी जी को ही जल्दी उठकर रसोई में जाकर सबके लिए नाश्ता व खाना बनाना पड़ता।
उमर अधिक होने से वे अधिक देतक खड़ी नही रह पाती ,घुटने दर्द करने लगते उनके उधर तला भुना नाश्ता खाने से राजारामजी का कॉलेस्ट्रॉल भी बढ गया।राजाराम जी को निकिता के हाथ के बनाए नाश्ते की याद आने लगी कि किस तरह निकिता अपनी सासूमां की जली कटी सुनकर भी चुपचाप अपना काम करती रहती थी।
काबेरी जी के सामने भी नैना सुनैना का असली रूप सामने आचुका था कि वे दोनों कितनी कामचोर हैं।
यही सब सोच कर उनके मन में आत्मग्लानि होने लगी कि उन्होंने तो निकिता को कभी बड़ी बहू क्या बहू भी नही माना, जबकि निकिता ने काबेरी जी का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
काबेरी जी ने मन में सोचा कि आजवे निकिता से अपने घर वापिस आने के लिए कह देंगी किबडी बहू ये घर अब तुम्हारे विना नही चल पारहा,तुम वापस आजाओ।
अजय के आफिस से वापस आने के बाद,उन लोगों ने इतवार को सबसे मिलने का प्रोग्राम बनाया।निकिता ने सुबह जल्दी उठकर सबसे लिए इडली सांभर व बड़ा बना लिया फिर पैक करके अपने घर चल दिया ,साथ ही मां को सूचित कर दिया कि मां हम लोग कल सुबह आरहे हैं और सबके साथ मिलकर ही नाश्ता करेंगे।मां तो निकिता वअजय के आने का सुनकर बहुत खुश थी,काबेरी जीने आरती का थाल सजाया जैसे ही घर की घंटी बजाी दरबाजा काबेरी जी ने ही खोला,और बच्चों की आरती करने लगी।
राजाराम जी ने पूछा कि ये सव क्या है,तो कावेरी जीने कहा मेरी बड़ी बहू आई है सो उसकी आरती उतार
रही हूं। राजाराम जी भी आज बहुत खुश थे,कि चलो देर आयत, दुरूस्त आयत।आखिरकाबेरी ने निकिता को बड़ी बहू का दर्जा तो दिया।
फिर सबने मिलकर निकिता के लाए नाश्ते का आनंद लिया,सभी खुश होकर एक दूसरे से हंसी मजाक कर रहे थे और काबेरी जी मंत्र मुग्ध होकर अपने परिवार को निहार रही थीं।
स्वरचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
नई दिल्ली
बड़ी बहू शब्द पर आधारित कहानी