नलिनी कॉलेज में लेक्चरर थी । उस दिन छुट्टी थी इसलिए कोई हड़बड़ी नहीं थी आदत से मजबूर उस दिन भी उसकी नींद जल्दी ही खुल गई थी । वह उठकर अपने कमरे से बाहर आई तो बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे अब बरसने लगेंगे ।
वह बरामदे में ही एक कुर्सी पर बैठकर वातावरण का आनंद लेने लगी । उसी समय काफ़ी की सुगंध से उसके दिल में कॉफी की तलब जाग उठी ।
वह कुछ कहतीं इसके पहले ही राधिका एक बड़े से मग में फ़िल्टर कॉफी लेकर आई । उसके हाथ में भी कॉफी का मग था । दोनों चुपचाप बिना बातें किए इस खूबसूरत वातावरण में कॉफी का मजा ले रहे थे ।
अचानक राधिका ने कहा कि नलिनी जी मेरे लिए कोई वृद्धाश्रम देखिए ना ।
नलिनी ने राधिका को गहरी नज़रों से देखते हुए कहा कि क्यों?
राधिका कहने लगी थी कि आपकी बेटियाँ आपको अपने घर पर रहने के लिए बुला रही हैं । मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है आप चली गई तो मैं कहाँ रहूँगी ।
नलिनी – राधिका तुमने ऐसे कैसे सोच लिया है कि मैं उनके पास रहने चली जाऊँगी । राधिका तुम मेरी बेटियों के बारे में जानती ही हो क्योंकि तुमने उन्हें छोटी सी उम्र से देखा है दोनों ही स्वार्थी हैं ।
बड़ी बिटिया निहारिका चाहती है कि मैं उसके घर चली जाऊँ ताकि उसके घर और बच्चों को सँभाल लूँगी । साथ ही मेरा पेंशन भी उसको मिल जाएगा ।
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छोटी बिटिया वैष्णवी वह तो लालची है पैसे ही उसके लिए सब कुछ है । उसने कल ही फ़ोन करके मुझे बताया है कि किसी कॉलेज में प्रिंसिपल का पोस्ट ख़ाली है तो आप जॉइन हो जाइए घर पर बैठ कर क्या करेंगी । आपका समय भी बीत जाएगा और पैसे भी आ जाएँगे । मैंने आपको जॉब के बारे में बताया है इसलिए आपकी सैलरी मेरी होगी । उसने एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा कि मैं इतने सालों से काम कर रही हूँ मुझे भी आराम करने की ज़रूरत है ।
मैं कोई पैसे कमाने की मशीन हूँ क्या? और हाँ उसने यह भी कहा कि उसे एक लाख रुपये की ज़रूरत है तुरंत भेज दीजिए और यह बात निहारिका को मत बताना फिर वह भी आपसे पैसे मांगने लगेगी । । मुझे तो इन दोनों के व्यवहार को देखते हुए लगता है कि उनसे जितना दूर रहूँ उतना ही अच्छा है कभी कभी लगता है कि हम दोनों पति पत्नी इस तरह से पैसों के पीछे भागने वालों में से नहीं हैं। इन दोनों को इस तरह के गुण कहाँ से आए हैं ।
राधिका ने कहा कि मुझे गाँव से आप यहाँ लेकर आई मुझे सहारा दिया है मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भूलूँगी ।
नलिनी ने कहा हाँ मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैं पिता जी के गुजरने के बाद मैं घर बेचने आई थी और आपके बारे में सुना था कि आप सालों से पिताजी के पास काम कर रही हैं और आपके पति की मृत्यु हो गई है बच्चे नहीं हैं । । मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ ।
मैंने जब मेरे पति से आपके बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि देखो नलिनी उन्हें थोड़े से पैसे दे देने से उनकी ज़िंदगी सँवर नहीं जाएगी उनके लिए परमनेंट कुछ सोचना पड़ेगा ताकि वे अपनी ज़िंदगी आराम से गुज़ार सकें ।
नलिनी पुरानी बातों को याद करने लगी थी कि राधिका उसके घर में कैसे आई थी ।
नलिनी एक कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी करती थी और उसके पति प्रवीण कुमार बैंक में नौकरी करते थे । उनकी दो बेटियाँ थीं दोनों बहुत छोटी थी स्कूल जातीं थीं ।
नलिनी सुबह पाँच बजे से रात के ग्यारह बजे तक घर और बाहर के काम करते हुए थक जाती थी ।
वह अपना काम करने में इतना थक जाती थी कि बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाती थी । उन्हें स्कूल में कम अंक मिलते थे तो उन्हें डाँटती थी । जब राधिका के बारे में प्रवीण से उसने कहा तो प्रवीण ने कहा कि राधिका को हम अपने साथ ले चलते हैं उसे रहने के लिए जगह भी मिल जाएगी और तुम्हें काम में मदद भी हो जाएगी ।
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यह बात नलिनी को भी पसंद आ गई और राधिका को वह अपने साथ घर ले आई । अब तो बच्चे बड़े हो गए और उनकी शादियाँ भी हो गई हैं ।
इन सबके बीच प्रवीण ने भी साथ छोड़ दिया था पर राधिका ने उसे अकेले नहीं रहने दिया । उसके ही कारण आज वह इन सब तकलीफ़ों को सहन कर रही थी ।
नलिनी के रिटायर होने के बाद बड़ी बेटी उसे घर के कामों के लिए अपने घर बुला रही है । छोटी बेटी उसे फिर से नौकरी करने के लिए कह रही है ।
नलिनी ने दो दिन तक सोच समझकर कर एक फ़ैसला लिया अपने आत्म सम्मान के लिए । उसने राधिका की तरफ़ मुड़कर कहा राधिका तुम मेरा साथ देगी ।
राधिका ने कहा कि मैं तो आपके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ । वह राधिका को लेकर एक वृद्धाश्रम में पहुँची वहाँ के ऑफिस में बात किया कि वे दोनों रोज कुछ घंटे उन वृद्धों के साथ बिताएँगी । तब से दोनों रोज कुछ समय जाकर वहाँ अपना समय बिता कर आने लगे । नलिनी वृद्धों को बहुत सारी बातें बताती थीं पेपर पढ़कर सुनाती थीं । उन्हें कम्यूटर चलाना सिखाया करती थी और इधर राधिका उनके लिए बहुत सारे छोटे मोटे काम कर देती थी जैसे उनके कपड़े तह कर देना अलमारी सजा देना आदि । वे लोग थोड़े ही समय में इन लोगों का इंतज़ार करने लगे ।
इस तरह नलिनी ने राधिका को और अपने आप को दूसरों की सेवा में व्यस्त कर लिया था । बच्चे साल में एक बार आते थे । माँ को समझाने की कोशिश करते थे पर नलिनी ने उन्हें समझा दिया था कि वह अपनी ज़िंदगी में खुश है जो कुछ भी कर रही है उससे उसके मन को तृप्ति मिलती है यही मेरा फ़ैसला है । बेटियों ने भी अब माँ को समझाना बंद कर दिया है ।
के कामेश्वरी