दीनानाथ जी एक फैक्ट्री में मुनीम थे। पत्नी गायत्री २ बेटे निर्मल और विमल और बेटी
सुनीता और ऐसा परिवार था।ज्यादा रहीसी तो नहीं पर घर में सब खा पीकर खुश थे।निर्मल का मन पढ़ाई में कम लगता था इसलिए दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ वो बिजली का काम सीखने लगा।विमल पढ़ने में अच्छा था तो उसने शहर जाकर पढ़ाई की और वो ऑडिटर बन गया।बहने भी जैसे तैसे पढ़ गई।
निर्मल की भी नौकरी हो गई यशवंत जी की दुकान पर अब गायत्री जी बोली निर्मल की नौकरी हो गई है उसके लिए लड़की देखे इस जिम्मेदारी से भी निजात पा ले। पर निर्मल बोला मां पहले सुनीता की शादी के बारे में सोचते हैं।सभी को यह विचार पसंद आया। दीनानाथ जी के मित्र थे प्रकाश बाबू उनका बेटा किरण शहर में एक बड़ी मिल में मैनेजर था
उसका रिश्ता सुनीता के लिए आया।छोटे से कस्बे से शहर में जाना है सुनीता इसी बात से खुश थी। निर्मल और दीनानाथ ने शादी अच्छे से निपटा दी।अब निर्मल के लिए लड़की देखी जाने लगी।हर जगह रिश्ते से नकार ही आता ।बिजली वाले से कौन शादी करेगा।फिर किसी ने एक रिश्ता बताया ।
निर्मल उसकी मां और दीनानाथ जी रिश्ता देखने गए।लड़की का नाम नेहा था।वो ग्रेजुएट थी जब उसने सुना लड़का दसवीं पास है तो उसने रिश्ते के लिए साफ मना कर दिया ।दीनानाथ बोले हमने आपको बताया तो था कि लड़का दसवीं है बिजली की दुकान पर काम करता है फिर घर बुला कर अपमान क्यों किया।लड़की के पिता रमाकांत बोले माफ कीजिएगा
जब लड़की को बताया तब तैयार थी पर आज मुकर गई।गायत्री बोली कोई बात नहीं भाई साहब यहां संजोग नहीं होंगे। रमाकांत बोले यदि आपको बुरा ना लगे तो मेरे भाई की बेटी सुमन हमारे पास ही रहती है।१२ पास है प्राइवेट कॉलेज की पढ़ाई कर रही हैं। बच्चो को ट्यूशन पढ़ाती हैं सर्वगुण सम्पन्न है सिर्फ दोष यही है कि माता पिता नहीं हैं और मैं भी उसकी शादी में कुछ नहीं लगा पाऊंगा।
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दीनानाथ बोले आप लड़की को बुलाइए।सुमन बहुत सुंदर तो नहीं थी परंतु चार लोगों में देखने में अच्छी लगने वाली थी।सभी की सहमति से एक साधे से समारोह में सुमन और निर्मल का विवाह हो गया।विवाह की पहली रात ही निर्मल ने उसे बताया कि तुम्हे मेरे माता पिता और घर संभालना है में इतना कमाता हूं
कि तुम्हारी जरूरियात पूरी कर सकू।कहे अनुसार सुमन ने पूरा घर संभाल लिया।सास ससुर उसे बहुत प्यार करते। निर्मल भी ऐसी पत्नी पा कर धन्य हो गया।सुमन ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली।और घर पर ट्यूशन पढ़ाने लगी।विमल के लिए भी अच्छे अच्छे घर से रिश्ते आ रहे थे और उसका विवाह मीनाक्षी से हो गया। मीनाक्षी अमीर माता पिता की नक्चडी बेटी थी।
जो सुबह बारह बजे उठती।उसकी शादी से पहले ही पूरा ऊपर वाला पोर्शन रेनोवेट हो गया था फूली ऐसी जरूरत का हर सामान दो काम वालिया गाड़ी सब था उसके पास ।बस खाना वो नीचे खाते थे नाम के लिए क्योंकि रोज पार्टियां बाहर खाना ये उनका शगल था।निर्मल की अब एक बेटी थी जिसका नाम था श्रेया दादा दादी ,माता पिता चाचा और बुआ उस पर जान छिड़कते थे।अब दीनानाथ जी बीमार रहते थे
तो घर की जिम्मेदारी निर्मल पर थी।विमल से वो एक रुपया ना मांगता फिर भी मीनाक्षी को लगता की उसका पति सारा खर्च उठाता है एक दिन श्रेया आम खा रही थी।मीनाक्षी आते ही आग बबूला हो गई भिखमंगो हमारी कमाई खाते हो तुम्हारे पिता की औकात है तुम्हे इस समय इतना महंगा फल खिलाने की।आवाज सुनकर सुमन आई बोली क्या हुआ
मीनाक्षी क्यों गुस्सा हो रही हो। मीनाक्षी बोली आपकी बेटी चोरी करे तो उसे डाटू ना।सुमन बोली चोरी ,हा चोरी कल मेरे मायके से आम आए थे।मैने ऊपर रखे थे ये वहां से चुरा लाई और खा रही है मीनाक्षी बोली ,ना बहु ये तो हम मंदिर गए थे वहां प्रसाद में मिला था वो खा रही है गायत्री ने जवाब दिया। मीनाक्षी बोली सब झूठे है ।
इसी बीच दीनानाथ जी का देहांत हो गया।ननद सुनीता आई वो भी सिर्फ नीचे अपचारिकता के लिए रुकी और अपनी मां को बोली मां तुम्हे पता है बिना ऐसी के मै नहीं रह सकती मै ऊपर जा रही हूं भाभी के पास सब सैर सपाटे चलते।दोनो नन्द भाभी घूमती फिरती कभी भूले से भी उस बच्ची के लिए कुछ ना लाती।
एक दिन मीनाक्षी की किटी पार्टी थी सब सामान बाहर से आया बहुत अच्छी ख़ुशबू आ रही थी।आज श्रेया का दिल भी कुछ अच्छा खाने को मचल उठा।सुमन ट्यूशन पढ़ा रही थी। श्रेया दबे पांव ऊपर पहुंच गई और बोली चाची मुझे भी कुछ दो ना खाने को। मीनाक्षी बोली चल पहले थोड़ा काम कर फिर दूंगी।श्रेया बोली ठीक है वो जल्दी जल्दी प्लेट में सामान लगाने लगी।
सबको सर्व कर जब वो मुड़ी तो उसकी सहेली बोली इतनी कम उमर नौकरानी कहा से ढूंढी।वो बोली ये नौकरानी मेरी फ्री की है और मीनाक्षी हंसने लगी।श्रेया फिर बोली चाची कुछ दो ना मीनाक्षी चिल्ला कर बोली पहले मेहमानों को दूं कि तुझे भूखी भिखारन और श्रेया को जीने के पास धक्का दे चली गई।
श्रेया जीने से गिरी और खून में लथपत थी।गिरने की आवाज सुन सुमन भागती हुई आई और पड़ोसियों की सहायता से श्रेया को हस्पताल ले गई।श्रेया का बहुत खून बह गया था खून चढ़ाया गया।२ दिन बाद उसे होश आया १५ दिन बाद वो ठीक हुई। हॉस्पिटल में चाचा चाची कोई नहीं आया।
श्रेया जब घर पहुंची तो सुमन मीनाक्षी से बोली तुम कितनी निष्ठुर हो इतनी छोटी सी बच्ची को तुमने धक्का दे दिया। मीनाक्षी बोली तुम सब भिखारी मेरे पले पड़े हो बेटी को कुछ नहीं सिखाया मेहमानों के सामने वो भीख मांगने आ गई।विमल बोला भाभी हमारे टुकड़ों पर जी रहे हो
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और हमे ही आंखे दिखा रहे हो।ये बिजली की दुकान पर काम करने वाला क्या इस घर का खर्च उठाएगा। गायत्री बोली तुम सब भूल गए हो बड़े छोटे का लिहाज ।विमल चिल्लाया मेरे घर से निकल जाओ। सुमन बोली अब हम यहां नहीं रहेंगे। जहां मेरे पति का सम्मान नहीं मेरी बेटी सुरक्षित नहीं,चलिए मां हमारे साथ विमल बोला हा हा निकलो यहां से मां तुम अपनी मर्जी से जा रही हो।
निर्मल बोला अब हम कहा जाएंगे।सुमन बोली भगवान की दुनिया छोटी नहीं है। वो हमे भी पनाह देगा।वहां से निकल कर वो लोग मोहल्ले से बाहर आ गए।रात उन्होंने एक मंदिर में गुजारी।अगले दिन सुबह वो वहां से निकले तो मंदिर के पुजारी बोले बेटा तुम लोग कौन हो? निर्मल बोला बाबाजी समय के मारे हुए लोग है बस कही रहने की जगह और काम मिल जाए बस ।पुजारी बोले क्या काम जानते हो
बेटा , निर्मल बोला बिजली का काम जनता हूँ सारा। पुजारी ने एक पता दिया और रास्ते के लिए खाना देकर विदा किया।वो लोग रात तक शहर में उस पते पर पहुंच गए। वो पुजारी के भाई का घर था जो एक बड़ी फैक्ट्री में काम करता था वो उसे वहां ले गया और निर्मल की नौकरी लग गई।
रहने का ठिकाना मिल गया।सुमन ने आचार पापड़ और नमकीन का काम घर से शुरू किया। कुछ ही दिनों में उसका सामान मशहूर हो गया उसने अपने साथ और औरतों को भी रख लिया। अब उनका काम इतना बढ़ गया कि वो दुकानों पर सामान बेचने लगे।5 सालों की मेहनत से उन्होंने अपना घर और बिजली की बड़ी सी दुकान खोल ली।
उधर सुमन का काम भी अच्छे से जम गया था। औरतों को रोजगार मिल गया। श्रेया अच्छे स्कूल में जाने लगी।गायत्री जी बहुत खुश थी अपने बच्चों की तरक्की देख कर वो अपने बहु के फैसले से बहुत खुश थी जो उसने अपने और अपने पति के आत्मसम्मान के लिए लिया था। आज वो बहुत खुश थी और अपने पति की तस्वीर के सामने खड़ी थी।
तभी सुमन और श्रेया अंदर आई मां आप यहां खड़ी हैं चलिए ,पूजा का समय हो रहा है। बाहर से दरबान आया और बोला साहब आपसे मिलने कोई आया है।निर्मल बोला हम आते है आप उन्हें हॉल में बिठाओ। पूजा खत्म कर सब हॉल में आए तो देखा मीनाक्षी,विमल और सुनीता बैठे थे।गायत्री बोली तुम यहां किस मुंह से आए हो।भाई भाभी का अपमान करने के बाद इतनी सी बच्ची को गिराने के बाद।
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विमल बोला मां उसी की सजा हमे मिल रही है। मीनाक्षी का दो बार गर्भपात हो गया।मुझे माफ कर दो भाभी ,सुमन बोली तुम माफी मांगों पर वो पल मै नहीं भूल सकती जब मेरी बच्ची जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी। मेरे पति का अपमान कृपया करके आप यहां से जाए अरे सुनीता दी आप आज अपने गरीब भाई के घर कैसे? सुनीता बोली भाभी माफ करदो।
सुमन बोली मां के कहने पर शायद हम आपको माफ कर भी दे, गायत्री बोली नहीं बहु अपना आत्मसम्मान मार कर नहीं जिया जाता।तुमने बहुत सहा पर अब नहीं मेरे लिए तो बिल्कुल नहीं।आज निर्मल और उसका परिवार साथ था और विमल ,सुनीता और मीनाक्षी सर झुका कर जा रहे थे।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी