आज मन कुछ व्याकुल था,, कारण भी ज्ञात नहीं,, सोचने बैठी तो,,,, इतने सालों की दबी परतें,,, खुलती चली गई,,, कुछ बातों को यादकर,, मुस्कुराहट खेल गई चेहरे पर,, कुछ को यादकर,,, गुस्सा आने लगा,,, बात भी क्या,,, बताऊंगी,,, तो आप सब हंसने लगोगे पर,,, अब तो अपना,, रोज़ का साथ हो गया है,,, आप सबसे क्या छुपाना,,, वैसे भी मेरी हम उमर,, बहनें तो जरुर मेरा साथ
देने वालीं हैं,,, मुझे पक्का पता है।
हां तो आज,, जैसे ही पतिदेव ने कदम रखा,, हम मुंह फुलाकर बैठ गए,, ये अपनी धुन में आए,,, और टीवी पर न्यूज लगाकर बैठ गए,, हम पर ध्यान ही नहीं,,, हमारी तरफ़ देखा तक नहीं।
गुस्से के मारे,, हमारा चेहरा टमाटर की तरह,, लाल हो गया,, जबरदस्ती खांसी आने का बहाना किया,, तो चौंक कर हमें देखा,,, जब तक कि हम पुनः भुकरने की एक्टिंग करते,,, फुर्ती से इन्होंने ब्लड प्रेशर देखने की मशीन उठाई,,, और बोले तुम्हरा बीपी बढ़ गया है,, देखो कैसा लाल चेहरा हो गया,,, नमक कम खाया करो,, मोटी होती चली जा रही हो दिन पर दिन,,,,,
हम घबरा गए,,, ये क्या ,, हमारा ही वार उल्टा पड़ गया हम पर,,,,, हम जबरदस्ती,,, खिलखिलाते बोले,,, बीपी के कारण नहीं,,, हम तो किसी और कारण से नाराज थे,,, हम लड़ियाते,, हुए इनके पास सरकते बोले बोले,,, शादी को इतने साल हो गए,,, हमने एक दूसरे को आज तक,, आई लव यू,, नहीं कहा,,, ये गंभीरता से हमें,, देखते रहे,,,
बोले अभी साठ,, की नहीं हुई और सठिया गईं, हम,, हम अपने वास्तविक रूप में आए,,, उमर की बात क्यों की,,, क्या उमर हो जानें पर प्यार कम हो जाता है,,,, आपने,,, प्यार किया ही नहीं कभी,, तभी तो लव यू,, नहीं बोले,,, ये बोले, लगता है,, डोकरी सटक गई,,, अच्छा तुम शुरु से लेकर,, आज तक की सारी बातें सोचो,,, फिर बताना, प्यार है कि नहीं हमारे बीच,, ये तो घर से बाहर सटक लिए,,, पर हम सोचने बैठ गए,,, जब हम शादी के बाद अकेले थे,,,
ये ज्यादातर लंबे टूर पर हमें साथ ले जाते थे,,, बच्चों के होने के बाद,, बार बार, हिदायत देकर घर से निकलना,,, हमारी और बच्चों की शक्ल देखकर टैक्सी में बैठना,,, जब STD,, कॉल्स,, की सुविधा,, आई तो डायरी में अपना पूरा टूर प्रोग्राम लिखकर जाना,,, और रात का समय,, नोट कराना,, उतने ही टाइम पर हमारा एसटीडी बूथ जाना,,, इनका बेकरारी से हमारे फोन का इन्तजार करना,,, घर की सेफ्टी का पूरा पूरा ख्याल रखना,,, बार बार याद दिलाना,, रात को घंटी बजने पर दरवाज़ा नहीं खोलने की हिदायत देना, लॉक अच्छे से लगाना
बीमार होने पर,, बार बार बच्चों को फोन कर हमारा हाल पूछना,, कुछ माह पहले हुए ,,,,हमारे मेजर ऑपरेशन के समय,, हमारे होश में न आने तक,, कुछ भी न खाना,,,,, इतनी सी ही बातों को याद करके,,, आंखो में से अविरल अश्रु धारा,,, बहती चली गई,,, समझ आ गया,,, हमारा,,, प्रेम किसी शब्द का मोहताज नहीं,,, ऐसा अनोखा प्यार सिर्फ महसूस किया जाता है,,, बोलकर जताया नहीं जाता,,,,, बाहर से ये आए,, हमारी लाल लाल,, मोटी आंखो को देखकर,,, बोले,, अरे तुम्हारी आंखों में लगता है,,, इन्फेक्शन हो गया है,, डॉक्टर के पास चलें,,,, हम मोहिनी मुस्कान चिपका कर बोले,,, नहीं अब कहीं जाने की ज़रूरत नहीं,,, हमारे सवालों के जवाब। मिल गए हमें
देर आए,,, दुरुस्त आए,, अब बचकानी बातों पर ध्यान न देंगे और ये प्यार भी कम,,, न होने देगें
प्रीती सक्सेना
इंदौर