माँ अगर मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती तो – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

कमल कहा हो बेटा? देखो जरा सलोनी, क्या कर रही है?माँ क्या हुआ? बताओ मैं कर देता हूँ, नहीं, नही ,सलोनी को ही बुलाओ, मेरे सर में  बहुत दर्द हो रहा है , अदरक वाली एक चाय बना के दे, दे हमको बस । माँ कामवाली आ गयी है , वो बर्तन धो ले फिर आपके लिए चाय बना देगी।

अच्छा अच्छा समझ गयी तू ही नही चाहता की बहू मेरे लिए चाय बनाये। नही माँ ऐसा नही है । सुबह से सलोनी  ही काम कर रही थी । काम वाली आयी है तब वह कमरे मे गयी है थोड़ा आराम करने । चल चल ठीक है। तभी बगल वाले घर की शर्मा आंटी आ गयी , फिर क्या था । माँ अपने बहू की  बुराई का पिटारा ले के बैठ गयी ।

कमल रसोई में गया औऱ चाय नास्ता ले के आया ।शर्मा आंटी ने ताना मारने वाले अंदाज में बोला कमल बहू ने तुमको क्या क्या बनाना सिखाया है? कमल की माँ ने बोला  अरे आज कल के बहुओं के नखरे बहुत है, गर्भवती होते ही बस आराम करना है उनको । औऱ पतियों को अपना नौकर बना लेती है, शर्मा आंटी ,भी हां में हाँ मिला रही थी ।

कमल को बहुत बुरा लग रहा था ।लेकिन कुछ बोला नही । थोड़ी देर बाद जब सलोनी अपने कमरे से बाहर आई तो ,उसने कमल से बोला , आपने हमको जगाया क्यो नही? कमल की माँ ने बोला  तुम्हारा पति नही चाहता की तुम घर के काम करो ।

शर्मा आंटी ने बोला बेटा सलोनी खूब काम करो , इस समय तभी बच्चा भी फुर्तीला होगा  , अगर दिन रात आराम करोगी तो , बच्चा भी तुम्हारे जैसे सुस्त होगा। कमल की  माँ ने बोला , जाने दो आप जो मन करे करे हमारी बात क्यों मानेगी। 

सलोनी की आँखे भर गई । 

कमल बहुत गुस्से में बोला “माँ मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती’ तो ”’भी आप यही बात कहती क्या? 

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चुप रहो कमल बहुत बोलने लगे हो।

माँ अगर सिर्फ आप मुझसे कुछ भी बोलती तो मै चुप हो जाता । लेकिन आप सलोनी की  हिम्मत , बढ़ाने के जगह आप उसको डरा रही है ।

शर्मा आंटी ने बोला तुम गलत समझ रहे हो बेटा, हम तो सलोनी के भले के लिए ही बोल रहे है ।माँ , एक बात  बताओ आप,बड़ी दीदी के दोनों बच्चे हमारे घर क्यो हुये थे? अरे बेटा उसका ससुराल गांव मे था , उसकी सास पूरा दिन काम कराती  थी ,इस लिये मैंने अपने पास बुला लिया था । ताकि आराम कर सके । समझा? 

हा माँ मैं समझ गया । लेकिन आप भी समझ जाती तो अच्छा होता ।

कमल की माँ अपने कहे शब्दो पर बहुत शर्मिंदा हो गयी ।माँ आपको पता है ,सलोनी की माँ ने भी हमको फ़ोन कर के बोला था , की आप सलोनी को मेरे पास भेज दो  ,लेकिन मैंने मना कर दिया था , क्यो की मैंने सोचा आप अकेली कैसे रहेगीं, कमल की माँ ने बोला  बेटा तुमने सही कहा , मैं अपने आराम और बेटा मोह में गलत व्यवहार कर रही थी बहू के साथ । अब नही करुँगी ।माँ बस कुछ महीनों की बात है , हम औऱ आप दोनों मिल के संभाल लेंगे सलोनी को । 

सलोनी अपने पति औऱ सास की बात सुन बोली आप लोग अभी हमको संभालो ,फिर छोटे से नन्हे मुन्ने को संभालना । कमल की माँ बहुत जोर से हंसी। थोड़ा माहौल ठीक हुआ । 

कमल सोचने लगा  , पता नही क्यो  सास लोगो को अपनी बहुओं का दुख क्यो नही दिखाई देता ?  समाज की बहुत बड़ी बिडम्बना है ये । 

रंजीता पाण्डेय

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