कामचोर-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

 “शोभा के बेटे की शादी” अब तक नहीं हुई !उम्र कम नहीं 40 का हो गया•• परंतु एक भी रिश्ता नहीं आ रहा !शोभा जी की पड़ोसन कमला अपनी सखी शकुंतला से बोली। 

हां बहन••! लड़की की शादी में अगर देर  हो जाए तो बात समझ में आती है पर यहां तो शोभा बहन, अपने बेटे की शादी के लिए पंडित और अपने सगे- संबंधियों से पैरवी लगवा रही हैं ताकि जल्दी-जल्दी शादी हो जाए !

शकुंतला बोली।

 सुना है कि गोविंद को 20 साल की उम्र में टीवी हो गया !इलाज तो हुई परंतु सर्दी-खांसी और दम फूलने जैसी बीमारी अब तक नहीं गई !रिश्ते तो कई जगह से आए  पर उसके इस इतिहास को जानकर सभी चले जाते हैं!  कमला अपनी पल्लू खींचते हुए बोली।

 शोभा जी और नंदू जी गोविंद की शादी न होने की वजह से काफी चिंतित रहते। अब आस-पड़ोस वाले भी मुंह पर ही बोल जाते की- अरे नंदू जी! बहू की जिम्मेदारी लेने से डर रहे हो क्या? नहीं-नहीं जब भगवान चाहेंगे तो जल्द ही मिठाई खिलाऊंगा कहते हुए कन्नी काटते वह निकल जाते। 

अरे•• अब तो मोहल्ले में निकलना भी मुश्किल हो गया है जब देखो शादी के ताने कसने लग जाते हैं ये मोहल्ले वाले••! नंदू जी अपनी पत्नी शोभा जी से बोल रहे थे।

 हां , ये तो मुझे भी सुनने को मिलता है छोड़ो इन सब बातों को, कल पंडित राम तिलक एक रिश्ता लेकर आ रहे हैं लड़की म्यूजिक से बीए कर रही है और पिता माध्यमिक स्कूल का रिटायर शिक्षक हैं पांच बेटियां हैं जिसमें दो कुंवारी हैं•• देखो कल आने वाले हैं क्या होता है? शोभा जी एक लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए बोली।

 यजमान एक नंबर का रिश्ता लेकर आया हूं अपने गोविंद बाबू के लिए, चलिए बातचीत कर लेते हैं !

बैठका में उन सबको बैठा दिया है !राम तिलक जी दोनों हाथ जोड़ते हुए नंदू जी से बोले ।

अगवा के सामने :-

खानदानी जमींदार हैं हमारे यजमान! अपना ईटों का बिजनेस है! गोविंद बाबू पिता के बिजनेस को संभालते हैं ! एक छोटा भाई गोपाल जो मुंबई में इंजीनियर है! घर तो आप देख ही रहे हैं! छोटा सा परिवार है!

 पंडित राम तिलक बोले।

मुझे•• रिश्ता मंजूर है भाई साहब! रीना मेरी चौथी लड़की है! ये लीजिए उसका बायोडाटा और उसकी तस्वीर •• !

तस्वीर देखते हुए भाई साहब- मुझे भी लड़की पसंद है!

  गोविंद और रीना की शादी पक्की हो गई ।

शादी में देर ना करते हुए महीने के अंदर दोनों का विवाह हो जाता है। गांव के लोगों को गोविंद की शादी का इंतजार था, सो सभी ने शादी को खुब एंजॉय किया ।  रीना के घर में कदम रखते ही शोभा जी खुशी से पागल हुई जा रही थीं । बहु को कहां उठाएं-कहां बैठाएं जैसी स्थिति थी । गोविंद भी रीना को सर- आंखों पे बैठाए रखता । शोभा जी का दूसरा बेटा गोपाल जो मुंबई में इंजीनियर था, अब उसके भी रिश्ते आने लग गए। इधर रीना को आस-पड़ोस से पता चला कि, क्यों उसकी सास उसकी इतनी कदर करती हैं अब वह इसका नाजायज फायदा उठाने लग गई ।

 एक दिन:- 

“मम्मी जी मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है, इसलिए सोचती हूं कि,  टीचर घर पर ही रखकर म्यूजिक सीख लिया जाए ! इसमें मुझे थोड़ा समय लगेगा !

 ठीक है बेटा ••! शोभा जी तुरंत हां बोल दी ।

 अब वह घर पर ही म्यूजिक टीचर को बुलाकर ट्यूशन लेने लग गई ।

 घर का सारा काम शोभा जी  को करना पड़ता।  पढ़ाई में डिस्टर्ब ना हो इसलिए वह कोई भी काम उसे नहीं बोलती।

 2 साल के अंदर ही रीना का बीए कंप्लीट हो गया ।  एम ए में एडमिशन उसने मायका से ही ले लिया ।

 सुनते हो•• सोचती हूं कि,क्यों ना गोपाल की भी शादी अब जल्दी से कर दी जाए•• वैसे उसके लिए बहुत सारे रिश्ते आ रहे हैं•• !ना कह कर हम परेशान हो गए ! शोभा जी नंदू जी से बोलीं ।

मैं पंडित को बोल दूंगा की एक अच्छा सा रिश्ता भेजें ! नंदू जी बोले।

   ” मम्मी-पापा जी” आपको क्या जरूरत है पंडित जी से बोलने की जब घर में ही लड़की है••! बगल में बैठी रीना किताब को एक और रख झट से बोल पड़ी।

मैं समझी नहीं ? शोभा जी बोलीं। 

“मम्मी जी मैं मेरी छोटी बहन “पारुल “के बारे में बोल रही हूं! 

अच्छा-अच्छा हां वैसे तो तू ठीक कह रही है बेटा••आज ही अपने पापा से बात कर ले शोभा जी खुश होते हुए बोलीं ।

पापा, आज “मैंने आपका काम आसान तो किया ही साथ में मेरा काम भी आसान हो गया! रीना अपने पिता श्याम प्रसाद जी से फोन पर बात कर रही थी। 

  कौन सा काम बेटा ?

” पापा !पारुल की शादी मैंने अपने देवर गोपाल से ठीक कर दी है बोलिए कर दिया ना आपका काम आसान ?

 हां! यह तो बहुत अच्छी बात बताई! परंतु तेरा कौन सा काम आसान हो गया? श्याम प्रसाद जी आश्चर्य से बोले ।

  जब कोई दूसरे घर से लड़की आती तो वह मेरे लिए ,मां-पापा जी का कान भरती और जो मुझे अब सुविधाएं दी जा रही हैं वह मिलना बंद हो जाती फिर तो सारा दिन मुझे किचन में ही बिताना पड़ता और #बड़ी बहू होने के नाते मेरे लिए उस घर की जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती! अब अगर पारुल आ जाती है तो मेरी तो ऐस हो जाएगी! हम दोनों बहने धमाल मचा देंगी ! 

वह सब तो ठीक है बेटा !पर तुझे उन सबके द्वारा मिली सुविधाओं का फायदा नहीं उठाना चाहिए••! पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ सास- ससुर की सेवा भी कर लिया कर !श्याम प्रसाद जी बेटी को समझाते हुए बोले ।

पापा अगर मैं उनकी सेवा ही करते रहूं तो पढ़ाई क्या खाक करूंगी? और वैसे भी पापा गोविंद जी की शादी तो हो भी नहीं रही थी उनकी बीमारियों की वजह से•• !  वे अपने आप को खुशनसीब मानते हैं!

 देख बेटा! बीमारी किसे नहीं होती और ये कोई लाइलाज बीमारी नहीं थी गोविंद जी की! गांव में तो लोग यूं ही किसी के बारे में बोलकर बातें बनाते रहते हैं! तुझे इन सब बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए  ! सुधर जा वरना किसी दिन ठोकर लग जाएगी! ठोकर न लगे इसलिए तो पारुल को इस घर में लाना चाहती हूं– मन ही मन मुस्कुराते हुए बोली 

ठीक है पापा– आप बात कर लेना मेरे ससुर जी से•• !कहते हुए रीना फोन रख देती है  ।

“रीना की वजह से एक बार फिर  श्याम प्रसाद जी और नंदू जी के  रिश्ते बने।” ।

 श्याम प्रसाद जी की छोटी बेटी पारुल, देखने में जितनी खूबसूरत थी उतनी ही समझदार और सहनशील भी ।  रीना की देवरानी बन, इस घर में उसकी प्रवेश हुई रीना को जैसे मुंह मांगा  इनाम मिल गया हो•• ।

 कुछ महीनों बाद अचानक रीना को उल्टियां आनी शुरू हो गई। डॉक्टर को दिखाने के बाद पता चला कि वह 2 महीने से गर्भवती है घर में तो खुशियों की लहर दौड़ पड़ी। 

बेटा अब तु सिर्फ आराम कर ••हम लोग हैं ना! घर की चिंता मत करना शोभा जी रीना के सर पर प्यार से हाथ रखते हुए बोलीं ।

हां “मम्मी जी•• वह तो ठीक है! पर पारुल कह रही थी कि गोपाल जी को वहां खाने-पीने में दिक्कतें आ रही हैं इसलिए अब वह भी जल्द ही मुंबई चली जाएगी!  अगर वह चली गई तो घर की सारी जिम्मेदारियां आप पर आ जाएगी मैं तो चाहकर भी आपकी मदद नहीं कर सकती क्योंकि इस समय डॉक्टर ने मुझे फुल रेस्ट लेने को कहा है! 

 अच्छा दीदी! मैं भी वहीं थी जब डॉक्टर आपको हिदायतें दे रही थीं ! आपको शुरू के 3 महीने प्रिकॉशन लेने हैं बाकी बचे महीनों में  तो आप काम कर ही सकती हैं !पारुल रीना की चालाकी को  समझते हुए झट से बोल पड़ी! 

  पर ••डॉक्टर तो यूं ही बोलती है !हमें अपने शरीर को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए! है ना मम्मी जी••?

 हां•• रीना सही कह रही है !पारुल बेटा तू अभी डिलीवरी तक यहीं रुक जा मैं गोपाल से बात कर लूंगी!

 पारुल कुछ नहीं बोल पाई पर अपनी बहन के लिए उसके मन में खटास भर गया था।

“पापा! मैं दीदी की चालाकी समझती हूं अभी मेरी नई-नई शादी हुई है मैं भी अपने पति के साथ रहना चाहती हूं– पर दीदी ने मेरे सभी सपनों को तोड़ दिया! वह जैसा मायके में मेरे साथ  करती अब यहां भी करने लग गई हैं ! सारा काम मेरे ऊपर छोड़ खुद  किताब पढ़ने का नाटक करती हैं! पारुल फोन पर श्याम प्रसाद जी से बात कर रही थी ।

” मैं तेरी परेशानी को समझता हूं”! पर अगर तेरी सास बोल रही है तो डिलेवरी तक रुक जा!

  इतना तो किया ही है तूने अब 8- 9 महीने और सही ! मैं खुद रीना को समझाऊंगा कि अपनी जिम्मेदारियां लेना सीखें! 

कहते हुए श्याम प्रसाद जी फोन रख देते हैं ।

पिता की आज्ञा और सास की इच्छा को रखते हुए पारुल गोपाल को समझा कर डिलेवरी तक रुकने का फैसला लेती है। धीरे-धीरे वो दिन भी आ जाता है जब रीना एक बहुत ही सुंदर बालक को जन्म देती है। घर में  चारों ओर उत्सव का माहौल के साथ ,बालक की छठी बहुत धूमधाम से मनाई गई। शोभा जी का कलेजा खुशी से गदगद हो रहा था इसी खुशी में उन्होंने अपना खानदानी हार रीना को देने का फैसला किया••।

वह हार का दो सेट रीना के पास लेकर पहुंचीं ।

 “बहु आज तूने हमारे खानदान को उसका वारिस दिया है इसलिए ये खानदानी हार आज मैं तुझे सौंप रही हूं !

कहते हुए शोभा जी हार रीना को दे देती हैं ।

अरे वाह मम्मी जी कितना खूबसूरत और कीमती हार है! खुशी-खुशी उसे लेकर अपने गले में डालती है कि तभी उसकी नजर दूसरे डब्बे पे पड़ती है। “मम्मी जी! इस डब्बे में क्या है? 

इसे मैंने पारुल के लिए बनवाया है उसके शुभ कदम से इस घर में खुशियां ही खुशियां आई और देख, तेरी प्रेगनेंसी के दौरान घर का सारा बोझ उसने अपने ऊपर ले लिया मुझे भी कोई काम करने नहीं देती थी इसलिए ये हार  उसके लिए है••!

 पर मम्मी जी उसको ये देने की क्या जरूरत है ?यह तो उसका फर्ज था! रीना थोड़ी गुस्से में बोली ।

क्यों क्या दिक्कत है तुझे?  तुझे तो खुश होना चाहिए कि तेरी बहन जो तेरे लिए इतना सब कुछ किया ,नहीं-नई शादी हुई फिर भी मेरे बोलने पर मुंबई नहीं गई! और तू बोल रही है इसकी उसको क्या जरूरत? 

नहीं नहीं मम्मी जी मैं तो यूं ही बोल रही थी ! फिर रीना संभल गई ।

 समय गुजरता गया 2 महीने हो गए एक दिन गोपाल का फोन आया मां अब तो भाभी भी  स्वस्थ हो गई होंगी !सोचता हूं पारुल को मुंबई ले आओ मुझे भी दिक्कत हो रही है!

 हां-हां बेटा, अब रीना भी बच्चा संभाल लेगी•• तू ले जा पारुल को! दोनों मां बेटे के होते बात को रीना सुन रही थी और मन ही मन एक प्लान करती है । उनकी बात खत्म हुई तो:-

“मम्मी जी! सोचती हूं बच्चा पारुल के पास रहेगा तो अच्छा होगा ! मुझे अभी भी कमजोरी है और वैसे भी पारुल उसकी “मासी” है वह बच्चे को अच्छे से रख लेगी!

 और तेरे हाथ में क्या मेहंदी लगी हैं कि अपने 2 महीने के बच्चे को  किसी के साथ भेजने की बात कर रही है ?  शोभा जी को इस तरह गुस्सा होते रीना ने पहली बार देखा तो उसके हाथ पांव कांपने लगा गए।

 पिछले 4 साल से तेरी बदतमीजियों को हम बर्दाश्त करते आ रहे हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम तेरी मनसा को नहीं समझते! जब पारुल नहीं थी तब तेरी गलतियों को  हम नजरअंदाज कर देते पर पारुल के आने के बाद पता चला की बहू ऐसी भी होती है जो सास को मां का दर्जा दे!  लेकिन कहने के लिए तू इस घर की #बड़ी बहू है, पर  तुझसे ज्यादा होशियार तो तेरी बहन है !वह छोटी होकर भी बड़ी बनी रही! और एक तरफा प्यार नहीं होता रीना ••प्यार पाने के लिए प्यार देना भी पड़ता है अब अपनी ज़िम्मेदारियों को समझो बड़ी हो तुम इस घर में !परसों गोपाल आ रहा है पारुल जाएगी!

 शोभा जी के फैसले को सुनकर  रीना रोने लग गई ।

“मम्मी जी! मुझे माफ कर दीजिए! कामचोरी की आदत से मैं स्वार्थी हो गई थी अपनी ही बहन को मैंने बहुत परेशान किया! और आपके लिए कभी भी मैंने बहु का फर्ज नहीं निभाया ! माफ कर दे मुझे पारुल अब मैं एक अच्छी बहु अच्छी बहन बन के दिखाऊंगी!कहते हुए वह शोभा जी के पैर पर गिर गई।

 चलो देर आए दुरुस्त आए! उठो बहू आज से तुम अपनी ज़िम्मेदारियों को समझो! हम तो  तभी खुश रहेंगे जब तुम सब खुश रहोगी!

 कहते हुए शोभा जी रीना और पारुल को अपने गले से लगा लिया । 

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 धन्यवाद ।

मनीषा सिंह

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