बड़ी बहू – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

बड़ी बहू होने के नाते मनोरमा बहुत समझदार और पढ़ी-लिखी थी जब वह बहू बनकर घर में गई थी तो उसके साथ छोटा देवर और एक छोटी नंद मनोरमा दिखने में बहुत सुंदर खूबसूरत और पढ़ी-लिखी थी मायके से वह तीन बहने और एक भाई थे

पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहती लेकिन अचानक ही अच्छा रिश्ता होने के कारण मां-बाप ने उसकी शादी अच्छे घर में कर दी संस्कारित होने के कारण उसने ससुराल में सारे रिश्ते निभाए सुबह से उठकर देवर का टिफिन बनाना नंद को तैयार करना सास थी लेकिन वह कुछ भी काम नहीं कर पाती थी

उनके हाथ पर शिथल हो चुके थे उनको विटामिन की कमी कैल्शियम की कमी के कारण उनके पैर हाथों में हमेशा दर्द बना रहता था मनोरमा सारे काम दिल से करती थी धीरे-धीरे समय बदल गया देवर की शादी हो गई और नंद की भी शादी हो गई जब देवरानी घर पर आई तो सारे रीति रिवाज बदल गए देवरानी नौकरी करती थी

और सुबह उठकर अपना खाना तैयार करके निकल जाती थी उसे घर वालों से और घर से कोई मतलब नहीं था पैसों वालों की लड़की होने के कारण देवरानी रीता को अपने ऊपर बहुत घमंड था मनोरमा चाहती थी की रीता और मैं मिलकर दोनों काम कर ले लेकिन कभी भी रीता साथ नहीं देती थी सैटरडे और संडे को आउटिंग पर देवर के साथ निकल जाती थी

मनोरमा यह देखकर बहुत दुखी होती थी वह सोचती थी की देवरानी बहन जैसी रहेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और एक दिन जब घर पर मम्मी के मायके से बहुत सारे लोग आए तब मनोरमा ने कहा कि रीता आज मम्मी के मायके से बहुत सारे लोग आ रहे हैं इसलिए तुम अपनी छुट्टी के एप्लीकेशन ऑफिस में दे दो और हम दोनों मिलकर काम कर लेंगे

रीता ने कह दिया कि मैं कोई इस घर की नौकरानी थोड़ी ना हूं जो सबकी आवभगत करती रहूंगी इस बात से मनोरमा को बहुत आघात पहुंचा उसने सोच लिया की रीता को किसी तरह समझाएगी जरूर कुछ दिनों बाद रीता के मायके वाले घर पर आए मनोरमा ने सोच लिया था कि आज वह भी कोई काम नहीं करेगी

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रीता ने कहा दीदी मेरे मायके से भैया और भाभी आ रहे हैं आप मेरा साथ दोगी क्या घर में मटर पनीर और पुलाव और कुछ फुल्के बना लेते हैं मनोरमा ने कहा कि नहीं आज मेरी किटी है मुझे तो जाना पड़ेगा रीता ने कहा कि दीदी हम दोनों मिलकर काम कर लेते हैं क्योंकि मुझे बहुत अच्छे से काम करना नहीं आता है

आपके हाथ का खाना बहुत टेस्टी बनता है कहा कि यदि मैं किट्टी से जल्दी वापस आ गई तो तेरा साथ दे दूंगी नहीं तो तू ही सारा काम कर ले रीता को यह बात समझ में आ गई कि जब मनोरमा ने कहा था कि मम्मी के मायके से लोग आ रहे हैं तो हम दोनों मिलकर काम करते हैं तब रीता ने साथ नहीं दिया था

आज रीता के मायके वाले आ रहे हैं तो रीता मनोरमा से अच्छे से बात कर रही है तब मनोरमा ने कहा रीता तुम्हें कुछ याद आया क्या तब रीता ने कहा कि मैं आपसे माफी मांगती हूं मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई मनोरमा ने कहा मैं बड़ी बहू होने की नाते और तुम्हारी बड़ी बहन बनाकर यह बात समझ रही हूं कि हम दोनों मिलकर काम करेंगे

तो हमारा घर अच्छे से चलेगा और तुम भी काम करना अच्छे से सीख जाओगी और फिर तुम्हें भी कुछ भी करने में परेशानी नहीं होगी रीता ने कहा कि सही कह रही है दीदी अब मैं आपके साथ शाम के टाइम हाथ बटा लिया करूंगी जिससे मैं सारी रेसिपी सीख लूंगी मनोरमा मैंने कहा कि

मैं भी जब शादी होकर आई थी मुझे भी नौकरी करने का बहुत शौक था लेकिन मैंने मम्मी की बात मानी और अपना घर परिवार संभाला और मैं तुम्हें कभी मन नहीं किया नौकरी से तुम नौकरी के साथ घर के काम भी कर सकती हो इसलिए अपने पैसों में घमंड मत करो और हम दोनों मिलकर हर काम एक साथ कर सकते हैं

और सीख भी सकते हैं रीता ने कहा दीदी आपने सच कहा है हम दोनों मिलकर सारा काम कर लेते हैं और सीख भी लेते हैं इस कहानी के माध्यम से मैं यही कहना चाहती हूं कि घर में रिश्ते छोटी बहू और बड़ी बहू के अच्छे हो तो घर परिवार कभी नहीं टूटेगा पैसा तो हमेशा आता जाता रहता है कभी कम होता है कभी ज्यादा होता है अनंत है पैसा इसलिए हमें पैसों के पीछे नहीं भागना है हमें अपने रिश्ते संभल कर रखना है

विधि जैन

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