“बेटा प्यारा पर बहू क्यों नहीं?” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

पूजा.. अपनी मम्मी जी से इस तरह की बात करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मम्मी ने सिर्फ यही तो पूछा है की शाम को खाने में क्या बनाओगी उस पर इतना ऊंची आवाज में बात करने की की कहां जरूरत पड़ी थी? पापा… आपको हमेशा हर बात में फिर मम्मी ही सही दिखाई देती है

आपने देखा मम्मी ने किस तरीके से मुझसे बात की थी मम्मी अगर मुझसे इतने प्यार से बात करती तो क्या मैं पागल हूं जो उन्हें उल्टा जवाब देती, मम्मी ने मुझसे  पूछा नहीं था बल्कि मुझे आदेश दिया था “खाने में कुछ उल्टा सीधा बनाकर मत रख देना हमसे नहीं खाया जाएगा” शाम को केवल दाल चावल बनाना

जबकि उन्हें पता था आज शाम के लिए मैंने  छोले भिगो के रखे थे क्योंकि निलेश को छोले भटूरे का बहुत शौक है और आज मैं उनकी फरमाइश पूरी करने वाली थी, यह जानते हुए भी मम्मी ने दाल चावल बनाने के लिए जिद् करी, पापा आप ही बताइए चार जनों के लिए क्या मैं इतनी सारी चीज बनाऊंगी

और छोले भटूरे कोई  इतनी कठोर चीज नहीं है जो दांतों से नहीं चबाया जा सके और वैसे भी अभी ना तो किसी की दातों में प्रॉब्लम है ना घुटनों में फिर भी मम्मी हमेशा मुझसे कहती है कि हमसे तो काम की उम्मीद मत रखना बेटे को पाल  कर, इतना लायक बनाकर तुझे सौंप दिया अब क्या हमसे काम करवाती रहेगी,!

निलेश के आते ही आप लोग काम करने का दिखावा करने लगते हो और नीलेश को लगता है कि मैं आपसे काम करवाती हूं, पापा जी आप सब कुछ जानते हुए भी बिलकुल चुप रहते हैं और अगर मैं कुछ कह दूं तो आप सबको बुरा लगता है, पापा जी ना तो मैं  गलत बात कहती हूं और ना ही मैं सुनना पसंद करती हूं

और ऐसा कहकर पूजा अपने कमरे में आ गई! शाम को जैसे ही निलेश ऑफिस से थका हुआ घर आया मां और पिताजी ने पूजा के खिलाफ उल्टा सीधा कहना शुरू कर दिया निलेश थका हुआ तो था ही आते ही पूजा पर बरस पड़ा पूजा… क्या तुमसे मेरी मम्मी पापा का खाना पीना नहीं हो

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पता और इन दो जनों के खाने-पीने से तुम्हें क्या दिक्कत है अभी मैं जब आया मैंने देखा मम्मी सब्जियां साफ कर रही थी और पापा जी भी सोफा और टीवी की सफाई कर रहे थे तुम क्या कुछ भी नहीं करती? पूजा कुछ बोलती इससे पहले निलेश नाराज होकर घर से बाहर चला गया! घर में रोज इसी तरह की किच-किच होती रहती 

जिससे निलेश परेशान रहने लग गया! एक दिन नीलेश के सर में बहुत जोरों का दर्द था वह ऑफिस से जल्दी ही घर आ गया घर में घुसा ही नहीं  कि उससे पहले उसके मम्मी पापा की जोर-जोर से आवाज आने लगी… पूजा तूने तो मेरे बेटे को अपना गुलाम बना कर रख दिया है वह तो तू जैसा कहती है वैसा करता है हमारी तो बात मानता ही नहीं है

हम तो बहुत परेशान हो गए तेरे  जैसी लड़की को घर की बहू बनाकर, तुम मेरे बेटे को छोड़ क्यों नहीं देती? तभी पूजा की आवाज आई  लेकिन मैंने क्या किया… आप क्यों मुझसे इतना नाराज रहते हैं मैं आपका कितना ध्यान रखती हूं फिर भी आप निलेश को मेरे खिलाफ भड़काते रहते हैं,

मैं कोई भाग् कर आई हुई लड़की नहीं हूं आपके बेटे के साथ फेरे लेकर इस घर में आई हूं,आप हर बात पर मुझे ताने देती है उल्टा सीधा बोलती है  फिर भी मैं कुछ नहीं कहती ताकि निलेश अपने माता-पिता से नफरत न करने लगे किंतु जिस दिन निलेश को आपकी सच्चाई पता चल गई ना देख लीजिएगा

वह आपसे कितनी नफरत करेगा! तभी नीलेश के पापा बोले… अरे जा जा तेरी जैसी  बहुत मिल जाएगी  हमारा बेटा ऐसा नहीं है जो तेरी जैसी की बहकावे में आए, हमने उसको अपने काबू में कर रखा है हम उसको जो दिखाना चाहते हैं वह वही देखता है वही सुनता है तो तू कितना भी प्रयत्न कर ले  हमारे बेटे को हमसे दूर नहीं कर पाएगी!

लेकिन पापा मैं तो चाहती भी नहीं हूं निलेश आपसे दूर रहे सब तो एक परिवार है आप मुझे अपने परिवार का हिस्सा क्यों नहीं मानते और भी न जाने क्या-क्या बातें जो निलेश नहीं सुन पाया उसका सिर दर्द के मारे फटने लगा! पूजा इतना इन सबके लिए करती है और यह लोग पूजा को मेरे खिलाफ भड़काते है मेरी पत्नी को ही मुझसे दूर करना चाहते हैं

उससे तो अच्छा है मैं पूजा को लेकर कहीं बाहर रहने चले जाऊं, उसने दो-तीन दिन और घर का माहौल देखा फिर एक दिन अपने माता-पिता से कह दिया…. मम्मी पापा मैं पूजा को लेकर इस घर से जा रहा हूं आप लोगों को पूजा बिल्कुल पसंद नहीं है घर में रोज-रोज का क्लेश मुझे सहन नहीं होता मैं शांति से जीना चाहता हूं! नहीं बेटा वह तो…  पूजा है इतनी घटिया औरत…..

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पिताजी कुछ कहते हैं उससे पहले ही निलेश ने कहा…. बस कीजिए पिताजी कितना इल्जाम उसके ऊपर लगाएंगे मैं कल ही यहां से जा रहा हूं! तब माता-पिता दोनों ने एक साथ बोला “बेटा इतनी जतनो से पाला पोसा और कल की आई इस लड़की के लिए हमें छोड़कर जा रहा है”! मम्मी पापा मैंने तो एक सपना देखा था कि हम चारों हमेशा साथ-साथ और खुश रहेंगे किंतु शायद आप बदल गए आपको बेटा की तो खुशी चाहिए

किंतु वह खुशी उसे बहू के साथ में नहीं चाहिए, अब आप बताइए जो लड़की मेरे पीछे अपना घर परिवार छोड़ कर आई है मैं उसे अकेले कैसे छोड़ दूं ?कोई भी लड़की कितने सपने लेकर अपने ससुराल में कदम रखती है किंतु जब उसके  सास ससुर ही उसके साथ दोगला व्यवहार करें तब वह कहां जाएगी? जब वह मेरा हर परिस्थिति में साथ देती है तो मेरा भी कर्तव्य है मैं उसका हर परिस्थिति में साथ दूं और यह मेरा अंतिम निर्णय है! 

    हेमलता गुप्ता स्वरचित

   “#बेटा इतने जतनो से पाला पोसा और कल की आई इस लड़की के लिए हमें छोड़ कर जा रहा है”

.  “ बेटा प्यारा पर बहू क्यों नहीं?”

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