पैसे का गरूर – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

बो तुमसे नही हमारी दौलत से प्यार करता है उसकी औकात हमारे घर का नौकर बनने की नही और तू उसे मेरा दामाद बनाना चाहती हो? वो एक मामूली सा केशियर जो पूरा दिन लोगों के नोट गिन गिनकर बैंक की तिजोरी में डालता है शाम को पांच सौ रुपये कम हो जाएं तो पूरी रात नींद नही आती होगी उसे की पूरे कहाँ से करेगा।

रीबा और अमित की मुलाकात या यूं कहें कि बात की शुरुआत एक मिस कॉल से हुई थी। एक दिन अचानक रीबा किसी काम के लिए किसी कांट्रेक्टर को फ़ोन लगा रही थी गलती से उसने नंबर अमित का मिला दिया था। अमित की आवाज में एक जादू सा था इतना सौम्य स्वभाव बोलने का अंदाज़ ऐसा था कि कोई भी सुनता ही रहे। पहले दिन तो गलती से रीबा ने फ़ोन किया था मगर पूरी रात उसकी बातों के बारे में सोचती रही रह रहकर अमित की आवाज उसे याद आती और मन ही मन बो मुस्कुराने लगती। एकबार सोचती की फिर काल करूँ मगर फिर ये सोचकर रुक जाती कि वो मेरे बारे में क्या सोचेगा ।

मगर ज्यादा देर तक वो खुद को रोक नही पाई अगले दिन दोपहर को फिर कांपते हाथों से मिसकाल कर ही दिया। उधर अमित भी तो जैसे कॉल का इंतज़ार ही कर रहा था झट से बैककॉल आ गई। पहले तो रीबा कशमकश में उठा ही नही पाई मगर दोवारा कॉल आने पर उठाते ही बोली माफ करना आज फिर गलती से लग गया था।

अमित ने कहा कोई बात नही आपकी ये गलती बार बार भी हो तो मुझे बुरा नही लगेगा बस अब दोनों में बात होने लगी और होते होते हर रोज होने लगी। अब कोई रात ऐसी नही गुजरती कोई सुबह ऐसी नही जाती जब वे दोनों एक दूसरे को मैसेज या कॉल न करें। दरअसल अमित बिलासपुर का रहने वाला था और बहीं लोकल में सरकारी बैंक में केशियर था तो बहीं रीमा ऊना की रहने वाली थी मगर उसके पिता एक नेता थे

दोनो में जमीन आसमान का फर्क था मगर इस सब से अनजान कब वे दोनों एक दूसरे को चाहने लगे कभी एकदूसरे के बैकग्राउंड के बारे में जानने की कोशिश ही नही की। अब बक्त था मुलाकात का क्योंकि दोनों ही अब एक दूसरे को देखने के लिए आतुर थे समय रखा गया जगह फिक्स हुई मुलाकात हुई तो पता चला कि रीबा एक बड़े नेता की बेटी है। अमित समझ गया था कि ये रिश्ता आगे नही बढ़ पाएगा मगर रीबा के आश्वासन के बाद दोनों ने एक कोशिश करके देखने का फैंसला लिया।

रीबा अपने मां बाप की इकलौती संतान थी पिता चाहते थे कि उसकी शादी किसी राजनेता के घर हो जब रीबा ने अपनी मां से अमित के बारे में बात की तो माँ के पैरों तले जमीन निकल गई क्योंकि बो अपने पति के बारे में अछि तरह बाकिफ थी उसे पता था कि बो बेटी को मरवा सकता है मगर अपनी इज्जत पर धब्बा नही लगने देगा क्योंकि अमित न सिर्फ गरीब था बल्कि उसकी जाति भी छोटी थी। 

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पर बेटी ने जिद्द की तो माँ ने उसके बाप से बात की जिसे सुनकर बाप का गुस्सा सातंवे आसमान पर चढ़ गया बोला कि जिसकी औकात हमारे घर का नौकर बनने की नही तू उसे मेरा दामाद बनाना चाहती है अगर यही तेरा फैसला है तो हम दोनों को जहर दे दे क्योंकि इस लज्जित कृत्य के बाद हम समाज के तानो से रोज रोज नही मरना चाहेंगे। अब फैंसला तुम्हे करना है कि तुम्हे वो चाहिए या हम। रीबा समझदार थी तो अमित अपनी हैसियत जानता था दोनो ने आखरी बार बात करके एक दूसरे की मजबुरी को समझते हुए अलग होने का फैंसला लिया। 

अगले हफ्ते ही रीबा के पिता ने उसकी शादी एक नेता के बेटे से तय कर दी यूँ कहो कि झट मंगनी फट ब्याह वाली बात रीबा ने अमित को शादी के बारे में बताया तो अमित ने कहा कि बो उस लड़के को जनता है क्योंकि बो एक बड़े नेता का बेटा है वो अपने अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद है ऐसी कोई बुरी आदत नही जो उसमे न हो। मगर रीबा अपने पिता को मना नही कर सकी खैर कुछ एक महीने बाद रीबा की शादी अनुराग से हो गई। अनुराग हफ्ता हफ्ता घर नही आता था पार्टी के काम से बाहर जा रहा हूँ

कहकर बाहर अय्याशी करता जब घर आता तो रीबा के साथ बुरा बर्ताव करता दारू पीकर मारपीट करता रीबा काफी दिन तो ये सब सहती रही और आखिर उसके सबर का बांध टूट गया । एक दिन जब अनुराग पीकर घर आया और रीबा के साथ गली गलौच करने लगा और बोला तेरे जैसी रोज बदलता हूँ पैसे देकर मुझे रोज नई लड़की चाहिए तू चुपचाप रहेगी तो तेरा ही फायदा है। 

रीबा ने प्रेस करते करते कहा कि मैं ये सब बर्दाश्त नही कर सकती अगर तुम्हे मेरे साथ नही रहना तो मुझे तलाक दे दो। अनुराग दारू पीकर आया था उसका जवाब उसे पसंद नही आया और जवान चलाती है कहकर बो गर्म प्रेस उसके गालों पे चिपका दी जिससे न सिर्फ रीवा के गाल बुरी तरह झुलस गए बल्कि असकी एक आंख भी चली गई। आनन फानन में रीवा को हॉस्पिटल ले जाया गया डॉक्टरों ने उसे बचा तो लिया मगर उसकी आंख को नही बचा पाए और उसका गाल भी जल चुका था जिसका कोई इलाज नही था।

ये खवर सुबह अखवारों की सुर्खियां बनी और बनती भी क्यों न आखिर दो दो राजनेताओं के घर से जुड़ी खवर थी विपक्ष ने भी ये मुद्दा जोरशोर से उठाया बात अमित तक भी पहुंची। अमित अब और देर नही कर सकता था क्योंकि अमित रीबा के चेहरे से नही रूह से प्यार करता था।

हॉस्पिटल पहुंचते ही उसे सेक्युरिटी ने रोक लिया उसने रीबा के पापा से रो रोकर गिड़गिड़ाकर बात की कहा कि मुझे एकबार मिल लेने दो एक बार बात कर लेने दो उसके बाद में कभी नही आऊंगा खैर उसे इजाजत मिली रीबा अमित के कंधे पे सिर रखकर जीभर रोई अमित की आंखों से निकलते आंसू भी रीबा के कंधे पर गिरते रहे। रीबा अपने चेहरे को देखकर जीना नही चाहती थी वो बार बार कह रही थी मुझे मर जाना है अमित मुझे नही जीना।

बाहर रीबा की मां रीबा के पापा को पूछ रही थी इतनी दौलत है तुम्हारे पास बहुत घमंड है न तुम्हे दौलत का मेरी बेटी की आंख लौटा दो मेरी बेटी का चहेरा बापिस ला दो। रीबा के पिता सिर झुकाए खड़े थे। अमित बाहर आया उसने रीबा के पिता के आगे हाथ जोड़कर कहा कि आपने अपनी बेटी के साथ जो करना था कर लिया अब आपका उसपर कोई अधिकार नही है

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ये सोच लो कि बो मर गयी अब जो जिंदा है बो मेरी रीबा है न आपका उससे कोई रिश्ता है न मेरा आपकी दौलत, आपकी जाति से कोई रिश्ता है। अब रीबा सिर्फ मेरी है और हमेशा मेरी ही रहेगी। रीबा के पिता अब खुद को और मजबूत न कर सके और जोर जोर से रोते हुए

अमित को गले लगाकर अपनी गलती की माफी मांगने लगे बोले बेटा पैसे के गरूर ने मुझे अंधा कर दिया था मैं इंसान और हैवान में फर्क ही न कर सका मुझे माफ़ कर दो। अब अमित और रीबा के पिता बाप बेटे की तरह गले लगकर रोने लगे मां दुप्पटे से आंसू पोंछती हुई बोली कि अब जो हुआ

बो तो बापिस नही आ सकता मगर अब अपनी बेटी का फैंसला मैं करूंगी और मैं तुम्हे दामाद नही बल्कि अपने बेटे की तरह रखूंगी बोल मुझे माँ कहेगा न। अमित हाथ जोड़कर झुकते हुए मां के गले लग जाता है। रीबा के पिता अमित के कंधे पे हाथ रखकर सबसे माफी मांगते हैं और अमित और रीबा का हाथ एक दूसरे के हाथ मे रख देते हैं।

                       अमित रत्ता

           अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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