रात का समय था ।ममता अपने बच्चों पति के साथ सो रही थी ।अचानक डोरवेल की आवाज आई ।ममता ने जा के दरवाज़ा खोला ,वो दंग रह गई ,बोली बुआ जी आप इतनी रात को ?क्या हुआ ,सब ठीक हैं ना? कुछ ठीक नहीं है ममता ,अब मैं यही रहूंगी ,कभी अपने ससुराल नहीं जाऊंगी ।
ठीक है ,ठीक है बुआ जी आप बैठिए ,मै पानी ले के आती हूं।उतने में ममता के पति मोहन भी आ गए।मोहन को देख बुआ जी का रोना और तेज हो गया , मोहन अपनी बुआ को इस तरह रोते देख ,लगे बोलने मैं आपके परिवार को छोडूंगा नहीं ,मै अभी पुलिस को कॉल कॉल करता हूं ,
,चलो आप मेरे साथ चलो ,इसी समय फैसला होगा ,। ममता ने बोला ठीक है जो करना होगा कर लेना , लेकिन अभी बहुत रात हो गई है बुआ जी को आराम करने दो सुबह बात करेंगे ।मोहन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था ।किसी तरह ममता बुआ जी को अपने कमरे में ले के गई बोला
आप आराम करे बुआ ।कल बात करते है । फिर मोहन के पास आ गई । और बोली मोहन आप “आग में घी डालने “का काम क्यों कर रहे है ।इस समय बुआ को समझना चाहिए । और एक आप है की, बुआ फूफा जी के झगड़े को और भड़का रहे है।आप को एक बार फूफा जी से भी बात करना चाहिए .
।बिना फूफा जी से बात किए ,आप को कोई नहीं निर्णय नहीं लेना चाहिए।
बुआ फूफा जी के बीच सुलह नहीं करा सकते तो ना कराए ।लेकिन उन लोगों का रिश्ता और खराब ना करे ।
मोहन ,पति पत्नी का रिश्ता बहुत नाजुक होने के साथ बहुत मजबूत भी होता है ।लड़ाई किस रिश्ते में नहीं होती।लेकिन इसमें पति पत्नी दोनों की बात सुनना चाहिए । और सुलह कराना चाहिए । ना की” आग में घी डालने” का काम करना चाहिए ।
रंजीता पाण्डेय