“अनकहा दर्द” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

मानसी तकिये में सर छुपा कर फूट फूट कर रोने लगी। रोने के सिवाय कर भी क्या सकती थी उसके पास कोई और चारा भी नहीं था।? रोहन कह रहा था।मम्मी आपके बिना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता कल आप चली जाओगी, बोलो ना फिरकब आओगी, मेरा यहां बिल्कुल मन नहीं लगताऔर वह कहते कहते सुबक-सुबक कर रोने लगा था। उसने उसे अपने सीने से चिपका लिया। कुछ ही देर में, उसका 2 साल का बेटा आरवउसके पास आया और अपनी मम्मी को रोता देखकर पूछने लगा क्यों रो रही हो

मम्मी मानसी ने अपने बेटे को प्यार से गोद में बैठा दिया और कहां मुझे तुम्हारी याद आ रही थी ना जाने मेरा ननहाााआरवर कहां चला गया आरव भी अपनी मम्मी के पास लेट गया और उस्से्से्से्से्स नींद आ गई थी और मानसी के दोनों बच्चे उसकी अगल-बगल लेट गए थे और थोड़ी देर में ही सो गए थे।, लेकिन मानसी पुरानी यादों में खो गई। कितनी खुश थी मानसी अपने पति अनिल के साथ, उसके परिवार में अनिल और उसकी मां के सिवा कोई नहीं था। अनिल एक प्राइवेट कंपनी में छोटी सी नौकरी करता था।

लेकिन किराए के घर में भी सारी सुख सुविधाएं जुटा रखी थी। जल्दी ही रोहन का जन्म भी हो गया था बहुत खुश थी मानसी ,वो एक गरीब परिवार से ही थी। जिसमें उसके भैया भाभी और माँ रहते थे। भाई की छोटी सी किराने की दुकान थी। उसके दो बच्चे थे। रोहन 3साल का भी नहीं हुआ था एक दिन उसका पति अनिल अपनी मां को डॉक्टर को दिखा कर ला रहा था कि एक सड़क हादसे में दोनों मां बेटे की जान चली गई थी। मानसी की तो दुनिया ही लुट गई थी। मानसी का भाई अपनी बहन को अपने साथ अपने घर ले आया था।

मानसी ने एक स्कूल में नौकरी कर ली थी। जैसे तैसे घर का खर्चा चल ही रहा था। मानसी की भाभी का व्यवहार भी उसके प्रति बदल चुका था हर वक्त उसे ताने देती ही रहती थी उसका भाई भी बहुत परेशान रहने लगा था मानसी की मां को यही चिंता रहती थी कि मेरे बाद मेरी बेटी का क्या होगा पूरी उम्र बड़ी है इसके सामने, वह चाहती थी कि इसकी दूसरी शादी कर दो लेकिन मानसी तैयार नहीं हो रही थी, एक तो पति के जाने का दुख ऊपर से बेटे के भविष्य की चिंता

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और मायके का बदलता रुख वो ऐसे दर्द से गुजर रही थी जो वह किसी से कह भी नहीं पाती थी। उन्हीं दिनों अचानक पड़ोस में रहने वाली सुमित्रा चाची ने बताया उनकी बहन को अपने तलाकशुदा बेटे के लिए एक ऐसी लड़की की जरूरत है जो उनके दूध मुहे बच्चे को मां का प्यार दे सके। घर में पैसे की कोई कमी नहीं है राज करेगी तुम्हारी बेटी बड़ी मुश्किल में मानसी की मां ने उसे तैयार किया था शादी के लिए, लेकिन निखिल की यही शर्त थी कि वह उसके बेटे को अपने साथ नहीं ले जाएगा, हां

उसके खर्च और पढ़ाई लिखाई में कभी किसी चीज की कमी नहीं होने देगा मानसी जहाँ चाहे उसे पढ़ा सकती है। और उससे मिलने भी आ सकती है। अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए मानसी ने दिल पर पत्थर रखकर स्वीकार कर लिया था। क्योंकि ज्यादा पढ़ी-लिखी ना होने के कारण उसे अच्छी नौकरी भी नहीं मिल सकती थी?

यूं तो निखिल बहुत ध्यान रखते थे मानसी का और बहुत प्यार भी करते थे क्योंकि उनके बेटे को मानसी ने एक मां का प्यार दिया था? मानसी की हालत निखिल से छुपी ना थी लेकिन वह अपने बेटे का प्यार बांटना नहीं चाहते थे उन्हें लगता था मानसी अपने बेटे को यहां ले आएगी तो उनके बेटे के साथ अन्याय होगा वह अपने बेटे पर ही ज्यादा ध्यान देगी।

 मानसी अपने भाभी के बच्चों के लिए भी खूब सामान लाया करती थी जिससे उसकी भाभी उसके बेटे का भी ध्यान रख ले क्योंकि मानसी की मां भी अब बीमार रहने लगी थी? मानसी की सास जानती थी उसकी पीड़ा एक मां के लिए कितना मुश्किल होता है अपने बच्चों से दूर रहना। कितनी बार अपने बेटे को समझाया भी लेकिन वह तैयार ही नहीं हो रहा था।

 मानसी किसी से कुछ कह भी नहीं पाती थी आखिर इस शर्त को उसने ही तो स्वीकार किया था। कल तो रोते-रोते उसकी मां ने कह ही दिया बेटी रोहन तेरे बिना यहां अब अनाथ के जैसा रह रहा है मेरा शरीर बिल्कुल नहीं चलता मेरा मन तड़प के रह जाता है उसके लिए। समझ में नहीं आता क्या करूं

तो दामाद जी से कह दे ना इसे अपने साथ रखने को? मानसी से भी कहां छुपा था कुछ कितना मुरझा गया था उसका बेटा , ये अनकहां सा दर्द उसे जीने नहीं दे रहा था कि आखिर अपने सुख के लिए वह अपने बच्चों को कैसे छोड़ सकती है? अनिल जहां से भी देखते होंगे कितना कोसते होंगे मुझे? वह खुद भी खोई खोई रहने लगी थी अब। एक दिना उसने अपने पति से कहा कि वह कुछ दिन के लिए अपने मायके जाना चाहती है।

 निखिल ने मना नहीं किया उसे अपने मायके में रहते हुए 10 दिन हो गए थे, उसने देखा था जो सामान वह अपने बेटे के लिए लाती थी। उसकी भाभी अपने बच्चों के लिए रखती थी। उसे अपने बेटे की बहुत चिंता होने लगी थी उसे अपना सारा ऐशो आराम अपने रोहन के बिना का़टो सा चुभता था,

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कल निखिल उसे लेने आने वाला था। इसीलिए इसका रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था। अगले दिन निखिल उसे लेने आया तो देखा मानसी अपने दोनों बच्चों के साथ कितनी खुश नजर आ रही थी। उसने आते ही अपनी पत्नी से कहा इस बार रोहन भी हमारे। साथ चल रहा है। मेरी छोटी सोच के चलते मैंने तुम्हें तुम्हारे बच्चों से दूर रखा मुझे माफ कर दो मानसी जब तुम मेरे बच्चे को मां का प्यार दे सकती हो तो मैं तुम्हारे बच्चे का बाप क्यों नहीं बन सकता? सही कहती है मेरी मां, तुम्हारा अनकहा दर्द मै कभी महसूस नहीं कर पाया आरव के बिना

 10 दिन तक मेरा ही घर में मन नहीं लगा तो तुम अपने बेटे के बिना किस तरह दूसरे घर में रह सकती हो। मानसी निखिल के गले लगकर रोते हुए कहने लगी तुम नहीं जानते लेकिन तुमने मुझे क्या दिया है? रोहन तो खुशी के मारे उछल पड़ा।। आज सही मायने मे मानसी का परिवार पूरा हो गया था और उसे अपने अनकहे दर्द से मुक्ति भी मिल गई थी। मानसी की बूढी मां की आंखों में जैसे चमक आ गई थी। सबकी आंखें आज नम थी लेकिन खुशी से। निखिल भी अपनी पत्नी की आंखों में खुशी देखकर आज बहुत खुश था।

 पूजा शर्मा स्वरचित

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