“अनकहा दर्द चुभता है” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आज नेहा के नए फ्लैट का  ग्रह प्रवेश था, उसने अपने फ्लैट में रहने वाले चार-पांच परिवार और अपनी सबसे प्रिय और खास सहेली श्रद्धा को भी आमंत्रित किया था, शांतिपूर्वक गृह प्रवेश संपन्न हो गया और सभी लोग अपने-अपने घरों को चले गए श्रद्धा काफी देर से कुछ पूछना चाह रही थी जिसे नेहा ने भांप लिया, तब नेहा ने कहा

मैं जानती हूं  श्रद्धा तुम क्या पूछना चाहती हो, तुम यही सोच रही हो ना कि गृह प्रवेश के समय मेरे ससुराल से कोई भी क्यों नहीं आया? हां क्योंकि मैंने उन्हें नहीं बुलाया मैं अक्सर कॉलेज में तुझसे कहा करती थी की लड़कियां अपना ससुराल छोड़कर कैसे घर आ जाती हैं देखना मैं तो अपने सास ससुर को अपनी मम्मी पापा की जैसे मानूंगी

और उनकी रानी बेटी की तरह बनकर रहूंगी, किंतु क्या हुआ ऐसा सब फिल्मों में होता है मैंने भी  सोचा था मैं धारावाहिक  या फिल्मों की तरह अपने  सास ससुर की खूब सेवा करूंगी उनकी हर जिम्मेदारी उठाऊंगी और उनकी बेटी बन कर दिखाऊंगी किंतु मुझे क्या पता था कि ऐसा असल जिंदगी में कुछ नहीं होता, तुझे पता है श्रद्धा

मै जब इस घर में आई थी तब सब कुछ बहुत अच्छा था मेरे सास ससुर  भी मेरा बहुत ख्याल रखते, पापा जी तो बिल्कुल मुझे अपनी बेटी की तरह रखते किंतु शादी के 1 महीने बाद ही मेरी सास ने मुझे बोला कि तू अपने ससुर पर गलत नजर रखती है सच मान श्रद्धा उस दिन ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी आत्मा खींचकर बाहर निकाल दि हो ,

अपने पिता  जैसे ससुर पर क्या कोई नई नवेली दुल्हन गलत नजर रख सकती है, मैं तो अपने पति से इतना प्यार करती थी, दरअसल जब मैं बहू बनकर उस घर में गई तो मेरे ससुर जी मेरा बहुत ख्याल रखते वह जब भी ऑफिस से आते मेरी पसंद की कोई ना कोई चीज अवश्य लेकर आते, कभी कचौड़ी कभी गुलाब जामुन या और भी बहुत सारी चीज, मेरी सास को लगने लगा कि अब ससुर जी उनकी जगह मुझे ज्यादा महत्व देने लगे हैं

और यह बात उनसे हजम नहीं हुई, धीरे-धीरे वह मेरी हर काम में कमियां निकलती रही, मुझे बात-बात पर ताने  देती रही, जब मैंने यह बात अपने पति को  बताई  उन्होंने कहा तुमने कुछ गलत सुना होगा मां  ऐसा कह ही नहीं सकती,  जब पति ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया

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तो वह दर्द मेरा अनकहा दर्द बनकर मेरे सीने में दफन होता चला गया और मैं हर समय डिप्रेशन मे रहती मुझे लगा मेरा दर्द किसी को नजर नहीं आ रहा इसी तरह धीरे-धीरे करके 6 महीने निकल गए! एक दिन मेरी सास ने मेरे पति के सामने मेरे ससुर जी से कहा मुझे लगता है तुम्हारा और नेहा का कोई गलत रिश्ता है

क्योंकि नेहा भी तुम्हें अजीब नजरों से देखती हैं और तुम भी उसके लिए आए दिन कुछ ना कुछ करते हो यहां तक की अगर मैं तुमसे नेहा की बुराई भी करती हूं तो तुम्हें वह पसंद नहीं आता उल्टा मुझे ही चुप कर देते हो, इसका तो यही मतलब हुआ ना कि तुम दोनों के बीच में कुछ गलत है !

सास के मुंह से यह बात सुनकर मेरे पति निखिल को भी आज बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने उसी  समय अपनी मां से कह दिया मां जिस घर में बहु को शक भरी नजरों से देखा जाता है उस घर में अब गुजारा करना मुश्किल है हम कल ही किराए के मकान में चले जाएंगे, नेहा ने मुझसे पहले कहा भी था

किंतु मैंने उसकी बात अनसुनी कर दी किंतु आज आपने साबित कर दिया कि आप मा तो बहुत दूर की बात है एक सास भी नहीं बन सकती,  आपने पापा के ऊपर इतना गलत आरोप लगाया, पापा नेहा को हमेशा एक बेटी की तरह मानते आए हैं किंतु आपने बाप बेटी के पवित्र रिश्ते पर भी शक का कीड़ा बो दिया

मुझे आपसे नफरत सी होने लगी है! इसके बाद निखिल ने मुझसे माफी मांगते हुए कहा नेहा तुम इतने दिनों से इस दर्द को लेकर परेशान थी और मैं तुम्हें समझ ही नहीं पाया मुझे माफ कर दो और अगले ही दिन निखिल और नेहा एक किराए के मकान में आ गए,  6 महीने बाद हमने यह फ्लैट ले लिया!

उधर पापा जी मम्मी के  आरोपो को सहन नहीं कर पाए और 2 महीने बाद ही उनका स्वर्गवास हो गया, आज मम्मी जी अपने उस पूरे मकान में अकेली है, कई बार मन में आता है कि उनको यहां ले आऊं, वह कैसे सब कुछ मैनेज करती होगी

किंतु बार-बार उनके मेरे ऊपर लगाई गई घटिया आरोप मुझे यह सब करने से रोक देते हैं, तुम बताओ श्रद्धा क्या हमने उस घर को छोड़कर कुछ गलत किया  और ऐसा कहकर नेहा जोर-जोर से रोने लगी! तब श्रद्धा ने उसे सांत्वना देते हुए कहा नेहा तुम्हारा यह अनकहा दर्द जो आज सामने प्रकट हुआ है

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मुझे तो उसकी कभी कल्पना ही नहीं थी तुमने तो कभी मुझे कुछ बताया ही नहीं जबकि तुम्हारे संग इतना सब कुछ घटित हो गया मैं और तुम्हारे मायके में तो हमेशा यही सोचते थे कि तुम अपने ससुराल में बहुत खुश हो जबकि तुम इतना दर्द  अपने अंदर समेटे हुए  थी  ,अरे पागल.. अनकहा दर्द  बहुत चुभता है किंतु एक बार उस दर्द को कह कर देखो तुम्हारा मन हल्का हो जाएगा,

मैंने आज तक सास की यातनाए तो  सुनी थी किंतु कोई  सास अपनी बहू और अपने पति पर भी शक कर सकती हैयह सब तेरे मुंह से पहली बार सुन रही हूं, मैं तेरी और तेरे पति की हिम्मत की दाद देती हूं जिन्होंने इकलौता बेटा होने के बावजूद  वहां से अलग होने का फैसला कर लिया,

ऐसे घर में जहां बहु को शक भरी नजरों से देखा जाता हो वहां रहना तो एक जलालत भरा दर्द होता है मैं तेरी फैसले से बहुत खुश हूं और गर्व है मुझे तुझ पर, ऐसा कहकर श्रद्धा ने नेहा को गले से लगा लिया!

    हेमलता गुप्ता स्वरचित

    कहानी प्रतियोगिता “अनकहा दर्द”

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