अनकहा दर्द – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

सिया क्या हमने इसीलिए प्यार मोहब्बत की कसमें खाई थी कि अगर हमारे परिवार वाले हमारी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे, तो हम एक दूसरे को भूल जाएंगे। यह तो हमें पहले से ही पता था ना कि हमारी समान जाति न होने के कारण हमारे घरवाले हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगे। अब जब मैं तैयार हूं तो तुम क्यों अपने कदम पीछे हटा रही हो।

मुझे पता है मेरे मम्मी पापा मुझसे ज्यादा दिनों तक नाराज नहीं रहेंगे। सिया जो जब से बैठी सुबक रही थी। अमन से बोली अमन में मानती हूं ,हमने साथ जीने मरने की कसमें खाई।

लेकिन मैं अपने मम्मी-पापा से भी बहुत प्यार करती हूँ। मैं कोई गलत कदम उठाकर उन्हें समाज में शर्मिंदा होते हुए नहीं देख सकती। मतलब तुम मुझे छोड़ सकती हो। ठीक है तो मैं जा रहा हूँ। जो तुम्हारा जवाब हो सोच समझकर मुझे बता देना । मैं इंतजार करूंगा। 

सिया ने सोचा कि एक बार मम्मी से जाकर बात करती हूँ। शायद वे पापा को समझा लें। जब उसने सारी बात अपनी मम्मी से बताई तो वह बोली, सिया नादान मत बनो तुम्हें पता है ना तुम्हारे पापा इस शादी के लिए कभी तैयार नहीं होंगे। उस लड़के से शादी करने की बजाय वे तुम्हें छोड़ देंगें। 

सिया के मन में अजीब कशमकश थी। दिल कुछ कहता तो दिमाग कुछ और। आखिर में दिल, दिमाग पर हावी हो गया। अपने माता-पिता के चौबीस साल के प्यार पर एक साल का अमन का प्यार बाजी मार गया। सिया ने अमन को फोन किया कि वह शादी के लिए तैयार है। 

उधर अमन ने जीने-मरने का डर दिखाकर अपनेेे मम्मी पापा की स्वीकृति शादी के लिए ले ली। कुछ दिनों बाद अमन और सिया ने कोर्ट मैरिज कर ली। जिसमें केवल उन दोनों के दोस्त ही शामिल थे।

अमन सिया को घर ले तो आया। लेकिन उसके मम्मी-पापा ने सिया को मन से स्वीकार नहीं किया। वह अगर कहीं अमन की रिश्तेदारी में जाती तो वहां पर भी सब उसे अजीब सी नजरों से देखते। 

सिया की शादी को छह महीने होने को आए थे। अब सिया के प्यार की खुमारी धीरे-धीरे उतर रही थी, और वह वास्तविकता के धरातल पर आ रही थी। अमन अपने काम में बिजी रहने लगा था। अमन की मम्मी उससे कम ही बात करती थी।

अब उसे अपने मम्मी-पापा की याद आने लगी। उसने हिम्मत करके अपनी मम्मी को फोन मिलाया, तो उधर से फोन उसके पापा ने उठाया। वे बोले सिया हमने अपने दिल पर पत्थर रख लिया है। अब कभी दोबारा यहां फोन मत करना। 

एक साल के बाद सिया के देवर की शादी हुई। वह लड़की उसकी सास की पसंद की थी। सिया महसूस कर रही थी कि जो सम्मान और अपनापन उसकी देवरानी को मिल रहा था। उसे तो वह कभी भी नहीं मिला। अमन के प्यार के लिए खोया तो सब कुछ मैंने ही। अमन का तो मेरे साथ-साथ अपना परिवार भी है।

मम्मी-पापा भाई-बहन सभी तो हैं उसके साथ। और मैं….. मेरा तो अपने मम्मी-पापा से ही साथ छूट गया। मायका और ससुराल दोनों जगह ही सम्मान भी खो दिया। सिया का अनकहा दर्द आज आंसू बनकर वह निकला। तभी पीछे से अमन ने आकर उसकी आंखों को बंद कर लिया। बताओ सिया मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ।

लेकिन जब उसे अपने हाथों पर आंसुओं का एहसास हुआ, उसने सिया का चेहरा अपने सामने किया। वह उसके आंसू पोंछ कर बोला, सिया कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि मैं तुम्हारा गुनाहगार हूँ। मेरी हँसती खेलती सिया मुरझाने लगी है। सिया मैं तुम्हारे होठों पर वही पहले वाली मुस्कुराहट वापस लाकर रहूँगा। मैं कल ही तुम्हारे साथ अलग रहने का इंतजाम करता हूँ। 

नहीं अमन मैं मां-बाप से बिछुड़ने का दुख समझती हूँ। जिस दुख को मैं झेल रही हूँ, मैं कभी नहीं चाहूंँगी कि मेरी वजह से तुम भी वही सब झेलो, मैं आज तुमसे वादा करता हूं

कि मैं तुम्हारे मम्मी पापा को एक दिन तुमसे जरूर मिला दूंँगा। अगले दिन अमन सिया को उसके घर लेकर गया। सिया की मम्मी सिया को देखने के लिए तरस रही थी। उन्होंने उसे देखते ही अपनी छाती से लगा लिया। फूट-फूट कर दोनों मां बेटी रोने लगी मानो जन्मों के बिछड़े मिले है। 

कुछ देर बाद जब सिया के पापा आए तो उसे देखकर उनके मन में एक टीस सी उठी। अपने मन के दर्द को काबू में रखकर वे बोले सिया तुम यहां क्यों आयी हो। सिया ने देखा कि उसके पापा एक साल में ही कितने बूढ़े और कमजोर नजर आने लगे हैं।

अमन ने आगे बढ़कर उनके पैर पकड़ लिए। पापा आप अपने आप को और अपनी बेटी को सजा मत दो। आप बेशक मुझे मत स्वीकार करिए लेकिन सिया आप दोनों के बिना नहीं जी पाएगी। हमारी गलती को नादानी समझ कर माफ कर दीजिए पापा। 

        सिया के पापा जो इतनी देर से पत्थर होने की कोशिश कर रहे थे अमन और सिया की मनुहार के आगे पसीज गये। वे दोनों को अपने गले लगा कर बोले शायद सिया ने तुम्हारे रूप में हीरा ही खोजा है।

मैं ही जात बिरादरी के चक्कर में पड़ा रहा। वरना आजकल के बच्चों को तो अपने स्वार्थ के आगे कुछ नहीं सूझता। मैंने ही शायद तुम्हें समझने में गलती कर दी। अरे सिया की मां जल्दी से अपनी बेटी, दामाद के लिए अच्छा सा खाना और मिठाई बनाओ।सिया देख रही थी कि पापा के चेहरे पर वह पहले वाली रौनक लौट आई थी। भावुक होकर वह अपने पापा के गले से लिपट गई।

नीलम शर्मा

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