जगन और मदन दोनों मुंजेरी गाँव में एक साथ मिलकर रहते थे । जगन की पत्नी सुमन डिलीवरी के लिए अस्पताल गई हुई थी उनका बड़ा बेटा राम घर पर चाची मौसमी के पास रुका हुआ था ।
मदन ने घर के अंदर आते हुए जोर से चिल्लाकर कहा राम तुम्हारा छोटा भाई हुआ है उसे देखने के लिए अस्पताल चलते हैं चल ।
राम खुश होकर नाचते हुए उनके पीछे पीछे चलते हुए सबको रास्ते में बताता जा रहा था कि मेरा छोटा भाई हुआ है। वे लोग अभी अस्पताल तक पहुँच भी नहीं पाए कि घर के नौकर राजू ने कहा कि मदन साहब आपकी भाभी भगवान के पास चली गई है ।
मदन वहीं रुक गया ।
राम ने कहा चाचू भैय्या को देखने चलते हैं ना । उस मासूम को क्या बताते इसलिए उससे कहा कि बेटा हम घर चलते हैं पापा उन लोगों को घर ला रहे हैं ।
वह उदास हो जाता है। भाई को ना देख पाने का दर्द उसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था फिर भी मन मारकर चाचा के साथ घर आ गया । थोड़ी सी देर में हँसते खेलते घर में मातम छा गई थी ।
अब राम के साथ साथ उस नवजातशिशु की देखभाल की ज़िम्मेदारी भी मौसमी पर आ गई थी।
एक महीने तक सब कुछ ठीक चल रहा था परंतु मौसमी भी अकेले कितने बच्चों की देखभाल कर सकेगी इसलिए सबने मिलकर जगन की शादी गरीब परिवार में पली बढ़ी सुशीला से करा दिया यह कहकर कि हमारी बात मानेगी चूँ चपर नहीं करेगी ।
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जगन की शादी होते ही मौसमी ने जेठानी के बच्चों से अपना पल्ला झाड़ लिया था ।
सुशीला राम और रवि की देखरेख साथ ही घर के सारे काम अकेले ही करने लगी थी । रवि छह महीने का हो गया था । वह घर भर में घुटनों के बल चलने लगा था ।
सुशीला की शादी जगन के साथ बच्चों की देखभाल करने के लिए ही हुई थी । अभी वह पूरी तरह से घर में सेटिल भी नहीं हुई थी जगन कि मृत्यु साँप के काटने से हो गई थी ।
जैसे ही जगन की मौत हुई मदन ने गिरगिट की तरह रंग बदला और सुशीला को कोसने लगा कि तुम्हारे कदम मनहूस हैं इसलिए हमारे भाई की मौत हो गई है । तुम अब यहाँ नहीं रहोगी। उसने बच्चों के साथ उसे घर से भगा दिया ।
सुशीला राम और रवि जो सात महीने का था लेकर मुंजेरी गाँव को छोड़कर चली आई ।
वह वहाँ से अपने बच्चों को लेकर करीमनगर में पहुँच गई और वहीं गाँव में एक स्कूल के हॉस्टल में बच्चों के लिए खाना बनाने लगी । उसी स्कूल में राम को भर्ती करा दिया था ।
तीन चार साल बाद मैनेजमेंट ने स्कूल का एक ब्रांच विकाराबाद में खोलकर सुशीला को वहाँ भेज दिया । उसके दोनों बच्चे उसी स्कूल में पढ़ते थे और दोनों को अपनी ज़िम्मेदारी समझ में आ गई थी । इसलिए दोनों बहुत अच्छे से पढ़ते गए । उन्होंने बचपन से माँ को मेहनत करते हुए देखा था । छोटा बेटा रवि हमेशा सोचता था कि मैं बड़ा होकर माँ को बहुत खुश रखूँगा।
इसी तरह से साल बीतते गए और राम ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली थी और एक अच्छे से कंपनी में नौकरी पा ली थी ।
रवि ने भी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और उसने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी पा ली । उन दोनों की उम्र शादी की हो गई थी तो सुशीला ने उन की मर्जी से उनकी शादी करा दी ।
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बच्चों ने जिद की कि अब वह नौकरी नहीं करेगी । उनकी बात का मान रखते हुए सुशीला ने नौकरी छोड़ दी और दोनों बच्चों के पास छह छह महीने जाकर रहने लगी थी ।
समय बीतता गया और राम को एक प्यारा सा बेटा हो गया था। सुशीला अब राम के साथ ही रहने लगी थी । एक दिन रवि को राम ने फोन पर बताया था कि रवि जल्दी से आ जाओ माँ नहीं रही । यह सुनकर रवि छोटे बच्चे के समान बिलख बिलख रोने लगा था । वह कहते जा रहा था कि मैं माँ को खूब ख़ुशियाँ देना चाहता था और देखो माँ इतनी जल्दी हमें छोड़कर चली गई है ।
रवि की पत्नी सुनीता की बच्चेदानी में प्रॉब्लम होने के कारण उसे निकाल दिया गया था । वे दोनों पति पत्नी बच्चों के लिए तरस रहे थे ।
एक दिन मन मारकर सुनीता ने रवि से कहा कि आप मेरी बात मानिए और हम एक बच्चे को गोद ले लेते हैं।
रवि का चेहरा तमतमा गया और उसने कहा सुनीता मैंने कितनी बार तुमसे कहा कि मुझे दूसरों के बच्चे नहीं चाहिए ।
मैं ऐसे रिश्तों पर विश्वास नहीं करता हूँ । कितना भी कह लो अपना खून अपना ही होता है ।
सुनीता चुपचाप रसोई में चली गई और उस दिन से वह रवि से कम बातें करने लगी थी ।
एक दिन रवि ऑफ़िस से घर आया तो देखा कि घर पर ताला लगा हुआ है । अब क्या करें सोच ही रहा था कि मकान मालिक राजेश जी ने उसे बुलाया और उसके हाथ में चाबी देते हुए कहा कि सुनीता बाहर गई है यह चाबी तुम्हारे आने पर देने के लिए कह गई है ।
रवि चाबी लेकर बाहर आ रहा था कि राजेश जी ने पीछे से पुकारा और कहा कि रवि सुनीता तो है नहीं आ जाओ आंटी चाय बना रहीं है पीकर चले जाना ।
रवि उनकी बात मानते हुए उनके साथ बैठक में आया तो देखा वहाँ एक वृद्ध दंपति बैठे हुए हैं । राजेश ने परिचय कराया और बताया कि ये दोनों अपने बेटे के साथ अमेरिका में ही रहते हैं । एक हफ़्ते पहले अमेरिका से आए हैं । हम से मिलने के लिए अभी ही आए हैं । इनका नाम हर्षवर्धन है और इनकी पत्नी का नाम सुमित्रा है ।
हर्षवर्धन ने रवि से पूछा कहाँ नौकरी करते हो बेटा तो उसने बताया कि अंकल मैं इन्कम टैक्स ऑफ़िस में ऑफ़िसर हूँ।
उन्होंने पूछा कहाँ से हो ? मेरी माँ ने कभी कहा था कि वे मुंजेरी गाँव से हैं पर मैं और भाई कभी वहाँ नहीं गए हैं।
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सुमित्रा जी थोड़ा सा आगे आकर कहने लगीं कि मुंजेरी गाँव मैं भी वहीं से हूँ तुम्हारी माँ का नाम क्या है?
मेरी माँ का नाम सुशीला है । दो साल पहले ही उनकी मृत्यु हो गई है ।
ओह तो तुम सुशीला के बच्चे हो बड़े बेटे हो या छोटे बेटे?
आंटी जी मैं छोटा बेटा रवि हूँ ।
उन्होंने ही आगे कहा कि तुम्हारे पिता का नाम जगन है ? है ना? जी मेरे पिताजी का नाम जगन ही है।
सुमित्रा ने कहा कि रवि तुम्हें मालूम नहीं है तुम लोग बहुत पैसे वाले हो तुम्हारे पैदा होते ही तुम्हारी माँ गुजर गई उसके बाद तुम्हारे पिता ने सबके कहने पर सुशीला से शादी की थी । सुशीला की क़िस्मत ने उसका साथ नहीं दिया और तुम्हारे पिता की मृत्यु साँप के काटने के कारण हो गई थी । तुम्हारे चाचा ने जायदाद के लालच में आकर तुम्हारी माँ पर मनहूस होने का कलंक लगाकर उसे घर से बाहर निकाल दिया था ।
उस समय तुम सिर्फ़ छह महीने के थे । वह तुम दोनों को लेकर एक बार जो गाँव से गई फिर वापस कभी लौट कर नहीं आई ।
रवि ने कहा कि आप क्या कह रही हैं आँटी हम सुशीला के बच्चे नहीं हैं ।
सुमित्रा- नहीं रवि आप दोनों जगन और सुमन के बच्चे हैं । तुम्हारे चाचा अभी भी उसी गाँव में सरपंच बनकर ऐश कर रहे हैं ।
रवि शॉक में आ गया था कि सुशीला उनकी सौतेली माँ हैं । उन्होंने मरते दम तक दोनों भाइयों को कभी भी यह अहसास नहीं होने दिया था कि वे उनकी सौतेली माँ हैं । वे हमें कितना प्यार करती थीं । हमारे साथ खेलती थीं हमारा ख़्याल करतीं थीं हमारे लिए उन्होंने कितनी मेहनत की थी । वह बेचैन हो गया और वहाँ से घर के लिए निकला । उसने उनसे चाचा का पता लिया और घर आ गया ।
उसने ताला खुला हुआ पाया क्योंकि सुनीता भी घर आ गई थी । उसने सुनीता को कुछ नहीं बताया और दूसरे ही दिन अपने चाचा के घर के लिए निकल गया । वहाँ गेट के पास खड़े उसने देखा कि वह घर नहीं एक महल था धीरे से वह घर के अंदर गया । चाचा और उनके बच्चों ने रवि को पहचाना ही नहीं था । रवि ने उन्हें बताया कि वह जगन का बेटा है इन्कम टैक्स में ऑफ़िसर है । यह सुनकर मदन का चेहरा मुरझा गया । उसे लगने लगा कि इतने सालों बाद यह जायदाद के लिए ही आया होगा । उनके बच्चे पत्नी सब रवि का हालचाल जानने के बदले में अपनी ग़रीबी का रोना रोने लगे थे ।
रवि ने उनसे कहा कि आप लोग डरिए मत क्योंकि मुझे पैसा नहीं चाहिए। हम दोनों भाई बहुत ख़ुश हैं ।
उन्होंने खाने के लिए भी नहीं पूछा तो उसने कहा कि चलिए अब मैं चलता हूँ मुझे कल ही हमारे गाँव का पता चला है और यह भी पता चला कि मेरे एक चाचा भी हैं बस मैं आप लोगों से मिलने के लिए चला आया था ।
मैं चलता हूँ आप लोग अपनी ज़िंदगी जिए और हम अपनी ज़िन्दगी जी लेंगे । मुझे आज पता चला है कि मेरी माँ ने अपने दिल में कितना अनकहा दर्द छिपा रखा था । उसने कभी भी उस दर्द को हमारे साथ भी नहीं बाँटा था।
रवि वहाँ से भरे हुए दिल से घर पहुँचा और सुनीता से कहा कि चलो सुनीता कल ही हम अनाथालय चलते हैं और एक बच्चे को गोद ले लेते हैं ।
सुनीता की आँखों में चमक आई और वह बच्चे के लिए कमरा सजाने के लिए अंदर चली गई क्योंकि उसने सामान ख़रीद कर रख लिया था इस आस से कि कभी ना कभी उसकी इच्छा पूरी होगी ।
के कामेश्वरी