फोटू – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अरी ओ जमुनिया इधर आ तो देख तो ये तेरी बिटिया लक्ष्मी की फोटू है ना… सड़क पर झाड़ू लगाती श्यामा ने बेंच पर पड़े अखबार पर उंगली रखकर कहा तो जमुनिया के हाथ झाड़ू पर थम गए।

हां री ये तो मेरी लक्ष्मी की फोटू है!!लिखा क्या है काहे फोटू लगाए हैं पढ़ तो  मै तो अंगूठा छाप हूं बोल पड़ी वह।

मैं भी अंगूठा छाप ही हूं जमुनिया।पर इतना जानती हूं कुछ तो गड़बड़ है।बीते बुध को वो धनिया की लड़की की फोटू भी छपी थी ना पेपर में याद है??श्यामा के स्वर में खतरे का आभास था।

हां पर वो तो किसी  के साथ भाग गई थी।लापता हो गई थी इसलिए छपी थी जमुनिया डर गई।

यही तो मैं भी कह रही हूं।तेरी तो बुद्धि मारी गई थी जो लक्ष्मी को सहर के कॉलेज पढ़ने भेज दिया।देख अब क्या गुल खिलाई है।तेरी इज्जत पर तो बट्टा लगा दिया तेरी बेटी ने इससे अच्छे तो हम अनपढ़ ही भले..!! श्यामा ने माथे पर हाथ मारते हुए कहा तो जमुनिया पेपर छुपा कर झाड़ू छोड़ तेजी से घर की तरफ चल पड़ी।

देख लिया अपनी लड़की का चमत्कार।पेपर में फोटू छपी है जाने क्या गुल खिलाई है।और मत मानो मेरा कहना कॉलेज भेजूंगा नाम ऊंचा करेगी… लो हो गया नाम रोशन जाओ खड़े क्या हो मिठाई बांटो मोहल्ले में इज्जत पर बट्टा लगाके… लक्ष्मी के बापू को घर के दरवाजे पर खुश खड़े देखते ही जमुनिया का सारा गुबार फूट पड़ा।

बापू के पीछे खड़ी लक्ष्मी क्या अम्मा तुम हमेशा मेरे लिए गलत ही सोचती हो कहती तुरत घर के अंदर चली गई

अरी बावली बुरा ही सोचा कर मेरी बिटिया के लिए।तेरी यही सोच मेरी इज्जत पर बट्टा लगा देती है।हां फोटू छपा है मेरी बेटी का ये देख पेपर।लिखा क्या है पहले पढ़ तो ले।इसीलिए अपनी बेटी को पढ़ा रहा हूं।पूरे कॉलेज में टाप किया है मेरी लक्ष्मी ने ये पढ़ ।मेरी बेटी ने इज्जत बढ़ाई है पूरे शहर में। मंत्रीजी इसको इनाम देंगे।मिठाई बांटने ही जा रहा हूं मैं ये देख… आ लक्ष्मी …जी छोटा मत कर मेरे साथ आ …..मिठाई का बड़ा सा डिब्बा दिखाते हुए लक्ष्मी के बापू लक्ष्मी का हाथ पकड़ तेजी से बाहर चले गए थे।

 

मैं पढ़ना भी नहीं जानती और बेटी पर भरोसा करना भी नहीं जानती।बेटी इज्जत पर बट्टा ही लगाएगी श्यामा के साथ मैने भी इसी बात पर विश्वास कर लिया।पता नहीं बिटिया के बारे में हमेशा गलत ही क्यों सोचती हूं..!! जमुनिया पेपर में बिटिया की फोटू देखती खुश भी हो रही थी और अपनी सोच पर दुखी भी।

 

लतिका श्रीवास्तव 

बट्टा लगना(कलंक लगना)#मुहावरा आधारित लघुकथा

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