अब आगे…
किसी तरह पुलिस से छुटकारा पाकर प्रथम उसके बाऊजी दीनानाथ और भाई पिंटू भगवान का शुक्र मानते हैं …
और जल्दी ही अपने गांव की ओर रवाना होना चाहते हैं …
वह तीनों ऑटो में बैठते हैं..कि तभी ऑटो में भी निहारिका ही होती है जो उसे चला रही थी …
प्रथम उसे पहचान जाता है …
निहारिका उसे आगे नहीं जाने देना चाहती…
वह ऑटो को खाई की ओर ले जाती है….
दीनानाथ जी हनुमान चालीसा का पाठ करने लगते हैं…
जैसे ही दीनानाथ जी बोले…
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
निहारिका चिल्लाती है….
यह क्या कर रहे हो तुम …?
कहां लेकर जा रही हैं आप हमें निहारिका जी…?
सच बताऊँ तो मुझे तो लगा था कि आप बहुत अच्छी और बहुत ही नेक दिल की इंसान है…
लेकिन जब से आपसे मिला हूं …
मुसीबत के सिवा मुझे कुछ भी नहीं मिला है..
निहारिका जोर-जोर से हंसती है….
हा हा हा हा हा हा हा हा ….
निहारिका की आवाज में एक डरवानी हंसी नजर आ रही थी….
पिंटू अपना दिमाग दौड़ता है….
ए छोटे…
सुन …
यह जो भी बोले उसकी बात मान ले …
अगर अभी बचना है तो…
नहीं तो यह आज हमें मार कर ही रहेगी….
निहारिका जी आप अगर हमें आगे खाई में ले जाएंगी तो हम तीनों ही क्या,,आप भी साथ में खाई में गिर जाएंगी …
और हमारे साथ आपकी भी जीवन लीला समाप्त हो जाएगी…
please stop ….
ऐसा क्यों कर रही हैं आप…??
फिर से निहारिका जोर से हंसती है…
क्या मेरी जीवन लीला …
मेरी जीवन लीला कब की समाप्त हो चुकी है प्रथम ….
क्यों मजाक कर रही हैं निहारिका जी ….??
अभी तो बस मैं तुम्हें अपने साथ ले जाना चाहती हूं….
लेकिन यह दोनों नहीं मान रहे…
तो इन सबको भी दूसरी दुनिया में लेकर ही जाना पड़ेगा…
मेरी मजबूरी है…
नहीं निहारिका जी…
ऐसा मत करिए…
आप जो भी चाहती हैं….
मैं करने को तैयार हूं….
बताइए…
आप क्या चाहती हैं ….??
प्रथम बोला ….
सच में प्रथम मेरी बात मानोगे तुम….??
हां निहारिका जी…
बिल्कुल…
आप बताइए तो सही…
तभी निहारिका खाई के बिल्कुल किनारे पर ऑटो रोक देती है….
और पीछे की ओर पलटती है…
आप दोनों यहां से चले जाइए…
मुझे सिर्फ प्रथम चाहिए…
प्रथम के चेहरे से पसीने की बूंदे टपकने लगती हैं…
वह अपने भाई और दीनानाथ जी का हाथ कसके पकड़ लेता है….
ठीक है …
हम दोनों जाते हैं…
लेकिन पहले तुम ऑटो से उतरो …
जो भी बात करनी है …
तो वहां पर खड़े होकर कर सकती हो…
हम दोनों जाते हैं …
धीरे से आंखों से इशारा करके पिंटू दीनानाथ जी को अपने साथ लेकर आगे की ओर बढ़ने लगता है…
कहां लेकर जाए रहो है मुझे…
वह भूतनी मेये छोरा को मार डालेगी…
बाऊजी अगर छुटकारा चाहिए …
तो प्लीज आप मेरी बात मान जाओ…
नहीं तो आज हम तीनों ही अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे….
पिंटू बोला ….
दीनानाथ जी बार-बार पीछे की ओर पलटते हैं …
कि कहीं प्रथम के साथ कुछ गलत तो नहीं कर रही है यह लड़की….
निहारिका प्रथम को पेड़ के पास लेकर आती है ….
उसके गले से लग जाती है…
प्रथम तुम्हें पता है…
मैं तुमसे कितना प्यार करती हूं …
क्या …
यह क्या कह रही हैं आप…??
निहारिका प्रथम के बिल्कुल नजदीक आ जाती है…
प्रथम निहारिका को अपने से दूर कर देता है…
हां प्रथम…
आई लव यू सो मच…
तुम ही मेरे सच्चे प्यार हो…
जो मुझसे बिछड़ गए थे…
अब तुम मुझे मिले हो…
अब मैं तुम्हें ऐसे नहीं जाने दे सकती…
तुम्हें मेरे साथ चलना होगा…
प्रथम प्लीज…
मेरी बात मानो…
कहां चलना होगा…??
मेरे साथ मेरी दुनिया में…
प्रथम तो वह देवेश आपके साथ रहता था….
आप उससे शादी कर रही थी ना…??
हा हा…
उसे मैंने मार दिया…
क्योंकि वह मेरे और तुम्हारे बीच आ रहा था…
तो वह नहीं जानता था कि आप मर चुकी हैं…
वह सब कहानी मैं तुम्हें बताऊंगी …
लेकिन पहले प्लीज मेरे साथ चलो…
निहारिका प्रथम का हाथ पकड़ उसे बहुत देर तक दौड़ाती रहती है…
अब तो दीनानाथ जी घबरा जाते हैं…
अच्छा निहारिका जी मैं चलूंगा आपके साथ …
लेकिन मेरी एक अंतिम इच्छा पूरी कर दीजिए…
हां बोलो प्रथम …??
मैं एक बार अपने बाऊजी के पैर और भईया के पैर छूना चाहता हूं…
इस जीवन में उनके बहुत उपकार है मुझ पर…
फिर मैं आपके साथ चलने को तैयार हूं …
ठीक है …
मैं खड़ी हूं य़हीं…
लेकिन तुम कोई भी चालाकी मत करना….
मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं…
धीरे-धीरे निहारिका और प्रथम बाऊजी और पिंटू के पास आते हैं….
जैसे ही प्रथम दीनानाथ जी के पैर छूता है …
पिंटू दीनानाथ जी का और प्रथम का हाथ पकड़ता हैं….
और तीनों लोग इतनी तेज दौड़ते हैं…
कि शायद आज तक वह जीवन में इतनी तेज नहीं दौड़े होगे…
निहारिका भी दौड़ रही थी….
जल्दी-जल्दी दौड़ते हुए चले जाते हैं…
सामने उन्हें घर नजर आता है…
वह तीनों घर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं…
और दरवाजा बंद हो जाता है…
उस घर में अंदर एक औरत खाना बना रही होती है….
आप लोग कौन…??
मेरे घर में कैसे आए…??
जी आपको सब बताते हैं…
प्लीज हमें अपने घर में रूक लेने दीजिए…
एक लड़की बाहर खड़ी है…
उसे अंदर मत आने देना…
जरूर वह उस लड़की का साया होगा …
जो हर दिन यहां पर जंगल में घूमती है…
क्या आप उसे जानती हैं….??
हां …
उसकी सब कहानी मैं जानती हूं …
क्या आप हमें बताएंगी वह लड़की कौन है …?
और क्यों मेरे पीछे पड़ी है…
हां हां जरूर…
लेकिन बैठो…
तब तक आप लोग खाना खाओ…
मैं आपको बताती हूं…
आगे की कहानी जल्द….
तब तक के लिए जय श्री राधे
मीनाक्षी सिंह
आगरा