कभी कभी कड़वी गोली देनी पड़ती है – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” बेटा आज भी नौकरी नही मिली तुझे ?” बेटे सुमित के घर मे घुसते ही माँ सीमा ने पूछा।

” नही माँ !” संक्षिप्त सा उत्तर दे सुमित कमरे मे चला गया।

” चल हाथ मुंह धोकर आजा मैं खाना लगाती हूँ !” माँ ने पीछे से आवाज़ दी। 

” कोई जरूरत नही है इतनी फ़िक्र करने की जब भूख होगी खुद खा लेगा वैसे भी कोई झंडे गाड़ कर नही आया तुम्हारा निकम्मा बेटा !” पिता राजन गुस्से मे बोले। 

” क्या करते है आप भी !” सीमा पति को बोल बेटे के लिए प्लेट लगाने चली गई । 

” माँ मैं कोशिश तो कर रहा हूँ ना , फिर क्यो पापा हर रोज अपमान करते है मेरा !” सुमित माँ को देख रोते हुए बोला। 

” बेटा वो पिता है तेरे उन्हे भी दुख होता है जब उनके दोस्त उन्हे अपने बच्चों की सफलता बताते है और तेरे बारे मे पूछते है !” सीमा बेटे को चुप कराते हुए बोली।

” तो इसमे मेरी क्या गलती है माँ माना अतीत मे मैने गलतियाँ की है पढ़ाई पर ध्यान ना दे गलत आदतों मे पड़ा रहा पर अब जब मैं सुधर गया हूँ तो ये अपमान क्यो ?” सुमित और जोर से फ़फ़क उठा। 

” बेटा तू ऐसा क्यो नही करता अपनी पढ़ाई जारी रख और इस बार मन लगा कर पढ़ क्योकि बारहवीं पास को वैसे भी नौकरी नही मिलती तू कोशिश कर मुझे माता रानी पर पूरा भरोसा है वो मेरे बेटे को सफलता प्रदान जरूर करेगी !” सीमा कुछ सोचते हुए बोली। 

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” माँ आगे पढ़ने के लिए पैसे की जरूरत होती है और मैं पापा से पैसे मांग अपना और अपमान नही करवा सकता । वैसे भी इतने साल अगर मैने नौकरी नही की तो पापा तो मुझे घर से ही निकाल देंगे !” सुमित बोला।

” बेटा तू अगर मुझसे वादा करे कि पढ़ाई पर ठीक से ध्यान देगा तो पैसों का इंतज़ाम मैं करूंगी । रही पापा की बात तू उन्हे बोलने दे धीरे धीरे वो खुद शांत हो जाएंगे तू बस ये सोच तुझे क्या करना है और फिर अपने लक्ष्य पर जुट जा !” सीमा ने समझाया।

” माँ आप सही कह रही हो अब मुझे खुद को साबित ही करना है और पापा मुझे सीए बनाना चाहते थे ना अब मैं वही बनकर दिखाऊंगा उन्हे !” सुमित अपने आँसू पोंछ दृढ़ विश्वास के साथ बोला। 

” शाबाश मेरे बच्चे तू कल ही फॉर्म भर दे पैसे मैं दे दूँगी अभी चल खाना खा !” सीमा बेटे के सिर पर प्यार से हाथ फेरती हुई बोली और उसे अपने हाथ से खिलाने लगी ।

अगले दिन सीमा जी ने घर के खर्च से बचाये पैसे सुमित को दे दिये उसने फाउंडेशन का फॉर्म भर दिया और तुरंत पढ़ाई मे जुट गया । राजन जी कुछ दिन उसके निक्कमेपन पर ताने देते रहे पर अब सुमित को कोई फर्क नही पड़ रहा था अब उसके सामने एक लक्ष्य था जिसे उसे हर कीमत पर पूरा करना था । धीरे धीरे राजन के ताने भी कम होते होते बंद हो गये थे जाने उन्होंने अपने बेटे से कोई उम्मीद छोड़ दी थी या बेटे को पढ़ाई मे व्यस्त देख उनकी हिम्मत नही होती थी कुछ बोलने की । अब बाप बेटे मे एक अबोला सा था दोनो के बीच बातचीत का माध्यम बस सीमा थी । 

कड़ी मेहनत रंग लाई और सुमित ने एक पड़ाव पार कर लिया । कहते है असफलता जहां निराशा की और धकेलती है वहीं सफलता आगे का रास्ता बनाती है । ऐसा ही सुमित के साथ हुआ एक पड़ाव पार करने के बाद उसमे दोगुना जोश भर गया । सीमा का प्यार और पिता से मिला अतीत का अपमान दोनो उसके लिए प्रेरणा बन गये थे । सीमा उसके लिए पैसों का इंतज़ाम करती रही सुमित के पूछने पर उसने बताया नही बस उसे आगे बढ़ने को ही प्रेरित किया। 

आज सुमित की खुशी का ठिकाना नही था क्योकि उसने दूसरा पड़ाव भी पार कर लिया था । 

” माँ देखो मेरे आईपीसीसी के दोनो ग्रुप क्लियर हो गये !” अपने कमरे मे बैठा सुमित जोर से चिल्लाया । 

” मुझे पता था मेरा बेटा हमारा नाम जरूर रोशन करेगा !” सीमा ने आकर बेटे का माथा चूमते हुए कहा। 

” कौन सा बड़ा काम कर दिया …जब बेटा सीए बन जाये तब खुश होना सुमित की माँ क्योकि असली परीक्षा तो अब है !” दरवाजे के बाहर से राजन ने तंज सा कसा। 

” क्या आज भी ताना देना जरूरी है आज तो बेटे की खुशी मे खुश हो जाइये । वो कितनी मेहनत कर रहा है आपका सपना पूरा करने को !” सीमा आहत हो बोली। 

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” माँ रहने दो आप …और पापा मैं आपको सीए भी बनकर दिखाऊंगा क्योकि मैने अपनी माँ से वादा किया है !” सुमित पिता की बात सुन माँ को चुप कराता हुआ बोला और बाहर निकल गया। 

प्रथम प्रयास के सफलता मिलने पर सुमित को अच्छी फर्म मे इंटर्नशिप करने का मौका मिला । अब सुमित ज्यादा नही पर थोड़ा बहुत कमा रहा था इसलिए उसने माँ से पैसे लेने बंद कर दिये । अब सुमित पहले से भी ज्यादा व्यस्त हो गया ।सुबह 5 बजे उठकर कोचिंग लेता फिर नहा धोकर ऑफिस जाता आकर फिर कोचिंग लेता । धीरे धीरे तीन साल का इंटर्नशिप पीरियड बीत गया और सुमित की फाइनल परीक्षा का समय भी आ गया। 

पर जब रिजल्ट निकला तो सुमित मायूस हो गया क्योकि इस बार सफलता ने उसका साथ नही दिया था। 

” माँ मैं हार गया पापा सही बोलते है मैं निकम्मा हूँ  !” माँ से लिपट सुमित रो पड़ा। 

” ना मेरे बच्चे तू हारा नही है क्या हुआ एक बार असफल हो भी गया तो दुबारा कोशिश कर !” सीमा ने समझाया। 

” नही माँ मैं खुद को साबित नही कर पाया मैं किसी काम का नही हूँ !” सुमित बोला।

” मैने तो पहले कहा था ये सीए इसके बसकी नही इसे बोलो मैने अपने ऑफिस मे बात की है अकाउंटेंट की नौकरी मिल जाएगी इसे कल आ जाये इंटरव्यू देने !” माँ बेटे को रोता देख राजन माजरा समझते हुए बोले। 

” कैसी बात कर रहे है आप बेटा दुखी है और आप उसके जख्मो पर मरहम लगाने की बजाय नमक छिड़क रहे है !” सीमा गुस्से मे बोली। 

” मरहम लगाने को तुम हो ना यही तो किया हमेशा तुमने इसे सिर ही चढ़ाया है पर जिंदगी लाड प्यार से नही चलती इंसान को प्रैक्टिकल होना पड़ता है । इसके भले के लिए बोल रहा हूँ मैं !” राजन भी गुस्से मे बोले। 

” आप माँ पर गुस्सा मत कीजिये ..और रही बात मेरे सीए बनने की अब तो मुझे बनकर ही दिखाना है किसी और को नही आपको ….जिससे आप मेरी माँ के लाड़ प्यार पर फिर ऊँगली ना उठा सके ।” सुमित ये बोल अपनी किताबें निकालने लगा। 

अब सुमित को किसी चीज का होश नही था उसने दुबारा से पढ़ाई शुरु की अपनी कमियों को समझा और उन्हे सुधारने का प्रयास किया और पहले से ज्यादा जोश मे पेपर दिये । 

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इस बार ईश्वर ने उसे निराश नही किया और वो सीए बन गया। 

” देखिये पापा आज मैने अपना वादा निभा दिया !” ये बोल सुमित अपनी माँ के पैर छू और उसे बोल बाहर चला गया। उसने पिता के पैर छूना भी जरूरी नही समझा। 

“अब तो सब शिकायतें खत्म हो गई ना आपकी अब मेरे बेटे का और अपमान किया ना आपने तो मैं बताये देती हूँ मैं उसके साथ ये घर छोड़ कर चली जाऊंगी फिर रहना आप अपने दम्भ के साथ अकेले ।” बेटे को दरवाजे तक छोड़ कर वापिस आती सीमा बोली। पर ये क्या जैसे ही वो अंदर आई राजन को फूट फूट कर रोते देखा। 

” आप रो रहे है !!” वो आश्चर्य से बोली। 

” सीमा मेरा सुमित आज सीए बन गया ..अब कोई उसे निकम्मा , नकारा नही कहेगा अब कोई मुझे बेचारगी की नज़र से नही देखेगा कोई नही बोलेगा अब की राजन जी आपकी तो किस्मत ही खराब है एक बेटा दिया ईश्वर ने वो भी ऐसा !” राजन पत्नी के गले लग जोर जोर से रो दिये। 

” पर आप तो हमेशा उसका अपमान करते थे तो ये आँसू क्यो ??” सीमा अभी भी हैरान थी । 

” सीमा हर बीमारी होमियोपैथी की मीठी गोलियों से सही होती है क्या कभी कभी तो कड़वी गोली ही रोग ठीक करती है ।” राजन जी सुबकते हुए बोले।

” मतलब ..आपका वो गुस्सा वो ताने सब झूठे थे !” सीमा बोली। 

” सीमा मैं जानता था मेरे बेटे ने गलतियाँ की है पर वो उन गलतियों से सबक नही ले रहा था छोटी मोटी नौकरी ढूंढ वो अपना भविष्य खराब कर रहा था क्या हो जाता तब उसे दस बारह हजार की नौकरी मिल भी जाती तो क्या वो जीवन मे कुछ पा सकता था ? नही ना । तुम्हारे प्यार से समझाने पर उसे समझ नही आ रहा था तो मुझे उसे कड़वी दवाई देनी पड़ी । मैं अपने बेटे की नज़र मे एक अच्छा पिता नही हूँ क्योकि मैने अपने बेटे का बार बार अपमान किया लेकिन मेरे लिए वो पहले भी मेरा गुरुर था आज भी है मैं कैसे सह सकता था लोग उसे ताने दे इसलिए मैं खुद बुरा बाप बन गया क्योकि जानता था मेरे द्वारा किया अपमान उसे सफलता की राह दिखाएगा । ” राजन रोते रोते बोला । उनकी सिसकीयों मे सीमा की सिसकियां भी जुड़ गई थी । 

” पर अगर आपके तानो से आहत हो हमारा बेटा गलत कदम उठा लेता तो !” सीमा अचानक बोली।

” ऐसा नही होता सीमा मैं अपने बेटे को जानता हूँ और फिर तुम तो थी ना हर दर्द पर मरहम लगाने को । भले मैं कितना अपमान कर रहा था उसका वो मुझे बुरा पिता समझता है पर तुमसे तो बहुत प्यार करता है !” राजन बोले।

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” पिता का अपमान तो बेटे के लिए वरदान होता है पापा । और आप एक बुरे पिता नही है बल्कि मैं एक बुरा बेटा हूँ जो पिता के गुस्से मे छिपा प्यार नही देख पाया । मुझे माफ़ कर दीजिये पापा !” तभी छिपकर सब बात सुन रहा सुमित सामने आ बोला उसकी आँखों से भी निरंतर आँसू बह रहे थे ।

” बेटा तू तू तो बाहर गया था ना दोस्तों को ख़ुशखबरी सुनाने ।” राजन एक दम से अपने आँसू पोंछते हुए बोले। 

” गया था पर अपना फोन भूल गया था और अच्छा हुआ भूल गया था वरना अपने पिता का ये रूप कैसे देखता। मुझे माफ़ कर दो पापा अपने निकम्मे बेटे को माफ़ कर दो !” ये बोल सुमित पिता के गले लग गया । 

” तू मेरा निकम्मा नही लायक बेटा है जिसपर मुझे हमेशा से गर्व था हां तू भटक गया था पर उसके बाद जो तूने खुद को संभाला तो मेरा सिर सबसे सामने ऊंचा कर दिया तूने !” राजन बेटे को अपने से चिपटाते हुए बोले। 

” पापा आज मैं जो कुछ भी हूँ आपके और मम्मी के कारण हूँ !” सुमित पिता के साथ माँ को भी गले लगाते हुए बोला।

” बस बस अब रोना बंद अब तो खुशियां मनाने का वक्त है मुझे एक बड़ी सी पार्टी करनी है सबको बताना है कि मेरा बेटा मेरा गुरुर है !” थोड़ी देर बाद राजन बोले। 

” बिल्कुल !” सीमा ने उनकी बात का समर्थन किया।

” सीमा उससे पहले तुम्हारी अमानत तुम्हे लौटनी है !” अलमारी मे से एक डिब्बा निकाल राजन बोले।

” ये तो …!!” हैरानी से सीमा बोली।

” हां ये तुम्हारा वही सेट है जो तुम चार साल पहले बेच आई थी मैने उसी दिन वापिस इसे खरीद लिया था । पर तुम्हे इसलिए नही बताया कही तुम बेटे के सामने सब बोल ना दो और वो अपने लक्ष्य से भटक जाये अब वो अपना लक्ष्य पा चुका तो तुम्हारी अमानत तुम संभालो !” सोने का सेट डिब्बे से निकाल पत्नी को पहनाते हुए राजन बोले। 

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” मैं कितना भाग्यशाली हूँ जो मुझे ऐसे माता पिता मिले जो खुद तकलीफ सह बेटे की जिंदगी बना रहे थे !” सुमित एक बार फिर माता पिता के गले लग बोला।

” बेटा सभी  माँ बाप ऐसे ही होते है बस कुछ बच्चे उन्हे समझ नही पाते । भाग्यशाली तो वैसे हम है जो हमारा बेटा बहक कर भी सम्भल गया और ऐसा सम्भला कि अब कभी नही बहकेगा।” राजन बोले और बेटे का माथा चूम लिया ।

दोस्तों युवा होते बच्चे कई बार दिशा भटक कर गलत राह पकड़ लेते है उस वक्त उनके दोस्त बन उनका साथ देना चाहिए पर कई बार जिस रोग का इलाज मीठी गोली नही करती उसके लिए कड़वी गोली देनी ही पड़ती है । कभी कभी अपनों द्वारा किया अपमान ही वरदान बन जाता है और सफलता का रास्ता बनाता है । 

#अपमान बना वरदान

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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