भोपाल के कमलापति रेलवे स्टेशन पर सौरव अपना ट्रॉली बैग लेकर जल्दी से ट्रेन में चढ़ा क्योंकि ट्रेन चलने को तैयार थी l बाहर बहुत गर्मी थी एक में आकर उसने थोड़े सुकून की सांस ली l वह अपनी सीट पर बैठ गया और सामान सेट करने लगा l रात्रि के 9:00 बज रहे थे सभी यात्री नीचे की बर्थ पर बैठे हुए थे l
सामने वाली बर्थ पर एक महिला बैठी हुई थी जो स्टेशन तरफ देख रही थी सौरभ ने देखा तो उसे कुछ जानी पहचानी सी लगी l जब ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी तो महिला ने सामने को मुंह किया तो सौरव ने देखा कि वह रागिनी ही थी आज भी उसकी सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी हां आंखों पर चश्मा चढ़ गया था वही शांत और हंसमुख चेहरा वही शालीनता सब कुछ वैसा ही था जैसे 28 साल पहले था l
पूरा विश्वास हो जाने पर सौरभ बोला अरे रागनी तुम बिल्कुल नहीं बदली कहां से आ रही हो l
वह बोली अरे सौरभ तुम भी बिल्कुल नहीं बदले l थोड़े बाल सफेद हो गए हैं और चश्मा लग गया है l क्या भोपाल में ही रहने लग गए हो l
सौरभ बोला कंपनी के काम से आया था 2 दिन पहले l काम हो गया अब वापस दिल्ली लौट रहा हूं l
रागिनी बोली यही भोपाल में मेरी चचेरी बहन की बेटी की शादी थी मैं वहीं से वापस लौट रही हूं l
सौरभ ने कहा आजकल कहां रह रही हो l
रागिनी बोली मैं भी दिल्ली में ही रह रही हूं l
रागिनी और सौरव एक दूसरे को देखते ही रह गए l
अब चलिए उनकी 28 साल पहले की जिंदगी के बारे में जानते हैं l 28 साल पहले रागनी और सौरभ कानपुर में एक ही कॉलोनी में रहते थे l वे दोनों बीटेक कर रहे थे l सौरभ के पापा स्टेट बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थी l रागिनी के पिता का रेडीमेड गारमेंट्स का बहुत बड़ा शोरूम था l कॉलेज से ही दोनों बच्चों में दोस्ती हो गई l दोनों परिवारों का एक दूसरे के घर भी आना जाना रहता था l रागिनी सौरभ को देखकर खुश हो जाया करती थी l
सौरभ पढ़ लिखकर बहुत ऊंचाई पर पहुंचाना चाहता था इसलिए वह शांत स्वभाव का था केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता l रागिनी बहुत सुंदर थी इसलिए किसी न किसी बहाने सौरभ उसके घर आटा और उसे देखकर मुस्कुरा देता l
दोनों की बीटेक कंप्लीट हो चुकी थी l
एक दिन रागिनी के पिता और रामेश्वर जी और सौरव के पिता सुदेश जी पार्क में बैठकर बातें कर रहे थे l तभी रामेश्वर जी बोले की भाई साहब दोनों बच्चों की पढ़ाई अब खत्म हो चुकी है l और शायद बच्चे भी एक दूसरे को पसंद करते हैं क्यों ना हम रिश्तेदार बन जाएं l
स्वदेश की बड़े विनम्र भाव से बोले की भाई साहब रागिनी जैसी सुंदर और सुशील लड़की को हर कोई अपनी बहु बनाना चाहेगा लेकिन मैं इस मामले में अभी मजबूर हूं l क्योंकि सौरव की इच्छा विदेश में जाकर पढ़ाई करने की है और वह मेरा इकलौता बेटा है मैं उसकी यह इच्छा पूरी करना चाहता हूl इसलिए शादी के बारे में अभी कोई फैसला मैं नहीं ले सकता मुझे माफ करना l
रामेश्वर जी कुछ उदास तो हो गए लेकिन चेहरे पर मुस्कान बिखरते हुए बोले की जोड़ियां तो ऊपर वाला ही बनता है l इसमें हम और आप तो केवल कोशिश ही कर सकते हैं l
थोड़ी देर बैठने के बाद रामेश्वर जी अपने घर चले गए जाकर अपनी पत्नी से उन्होंने सारी बात बताई और कहा कि तुम्हारे जीजा जी ने जो लड़का बताया था कल उसे देखने जाऊंगा l
रागिनी ने भी सारी बातें सुन ली थी वह समझ गई की सौरभ केवल उसे केवल दोस्त ही मानता था वह उससे प्यार नहीं करता l फिर ना ही सौरभ उनके घर आया और ना ही उसने कोई प्रतिक्रिया की l
कुछ दिनों बाद रागिनी का रिश्ता तय हो गया लड़का एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर था घर परिवार भी अच्छा था l
इस दौरान सौरभ के पापा का वहां से ट्रांसफर हो गया और वे लोग दूसरे शहर में शिफ्ट हो गए l
खूब धूमधाम से रागिनी की शादी हुई और वह अपनी ससुराल में खुशी-खुशी जिंदगी बिताने लगी l
अब आगे की कहानी की ओर चलते हैं सुबह होते ही दोनों अपने वर्तमान में लौटे जब यात्री कह रहे थे की निजामुद्दीन स्टेशन आने वाला है l
तब तक चाय वाला आ गया और सौरभ ने दो कप चाय ली एक एक रागिनी को दे दिया और एक खुद ने लिया l
चाय पीते हुए रागिनी ने पूछा कि तुम्हारी पत्नी कैसी है और कितने बच्चे हैं l तुमने बताया ही नहीं l
मैं जब अमेरिका से वापस आया तो पिताजी ने अपने दोस्त की बेटी से विवाह करने के लिए कहा l उन्होंने बताया की बचपन से उन्होंने लड़की को देखा है लड़की काफी सुशील और संस्कारी है l कल जाकर तुम उससे मिलो l दूसरे दिन मैं उनके घर गया वे बहुत खुले विचारों के थे उन्होंने हम दोनों को अकेले में बात करने का मौका दिया l
मैं घर आकर पिताजी से हां मैं जवाब दे दिया और मेरी शादी तय हो गई l मैं अमेरिका में शिफ्ट होने का प्लान बनाया लेकिन पिताजी और मां की इच्छा नहीं थी इसलिए मैंने यही इंडिया में एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली और उसके बाद मेरी शादी भी हो गई l 3 साल बाद हमारे यहां एक बेटे ने जन्म लिया l वह बेटा आज डॉक्टर है l
अभी 2 साल पहले ही मेरी पत्नी का एक एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया l
सौरभ बोला अब तुम बताओ कि तुम्हारे कितने बच्चे हैं क्योंकि शादी तो मेरे सामने ही हो चुकी थी l
रागिनी बोली मेरी एक बेटी है वह भी डॉक्टर है मेरी बेटी जब 15 साल की थी तभी मेरे पति का हार्ट अटैक से देहांत हो गया l
बातों में पता ही नहीं चला है स्टेशन आ गया दोनों ने अपना सामान इकट्ठा किया और प्लेटफार्म पर उतर गए l
सौरभ ने कहा कि मेरा ड्राइवर गाड़ी लेकर आया है वह तुम्हें ड्रॉप कर देगा रागिनी ने मना भी किया लेकिन वह नहीं माना l सौरभ ने अपना कार्ड रागिनी को दिया l
दोनों अपने-अपने घर पहुंच गए
अब कभी-कभी इस सौरव और रागिनी में औपचारिक बातें हो जाया करती थी l
कुछ दिन बाद सौरव ने एक दिन रागिनी को फोन पर अपने बेटे की के जन्मदिन की पार्टी का निमंत्रण दिया l और कहां कि तुम्हें जरूर आना है l
पार्टी बहुत बड़े होटल में थी रागिनी गिफ्ट लेकर पहुंच गई l सौरभ ने अपने सभी दोस्तों और परिजनों से रागिनी को मिलवाया l
फिर अपने बेटे अमित से भी मिलवाया रागिनी अमित से मिलकर बहुत खुश हुई l
इस समय रागिनी की बेटी स्वामी का फोन आता है की मम्मी मैं अभी दिल्ली पहुंच रही हूं मेरे दोस्त के घर पार्टी है पार्टी खत्म होने पर घर पहुंचूंगी और उसने फोन काट दिया l
15:20 मिनट बाद अमित सामने देखकर कहता है और स्वाति तुम आ गई मुझे पता था कि तुम जरूर आओगी l रागिनी पीछे मुड़कर देखती है तो उसकी बेटी स्वाति अमित से हंस-हंसकर बातें कर रही थी l
सौरभ और रागिनी एक दूसरे को देख रहे थे फिर दोनों एक साथ बोले तुम दोनों एक दूसरे को जानते हो l अमित ने कहा कि पापा हम दोनों कॉलेज के बेस्ट फ्रेंड है l स्वाति अपनी मां को देखकर बोली मम्मी आप यहां कैसे l रागिनी ने कहां की सौरव मेरे पापा जी के दोस्त के बेटे हैं हमारी पुरानी पहचान है l
केक काटने का समय हो गया तो सौरभ ने कहा की चलो सभी लोग के काटते हैं केक काटकर सबसे पहले अमित ने अपने पापा को खिलाया और फिर स्वाति को खिलाया l रागिनी और सौरभ अपने बच्चों के हाव भाव देख रहे थे और खुश भी हो रहे थे l
पार्टी खत्म होने पर अमित अपनी गाड़ी से रागिनी और स्वाति को उनके घर छोड़ने गया l
दूसरे दिन सौरभ का रागिनी के पास फोन आया वह बोले रागिनी जी अपने बच्चों को दिखा शायद वह एक दूसरे को प्यार करते हैं परंतु आप पुरानी बात याद करके रिश्ता स्वीकार न करें इसलिए आपसे कहने में डर रहा हूं l
मैं स्वाति को अपने घर की बहु बनाना चाहता हूं परंतु बच्चों से एक बार उनकी राय पूछ ली जाए l
रागिनी ने कहा कि मेरे साथ जो हुआ वह ईश्वर की मर्जी थी लेकिन मेरी बेटी की पसंद के मामले में मैं नहीं बोलूंगी यदि आपका बेटा भी उसे प्यार करता है तो l
कल आप मेरे यहां लड़की देखने आ रहे हैं साथ में अमित को लेकर l
सुबह रागिनी ने अपनी बेटी से कहा की अच्छे से तैयार हो जाओ आज तुम्हें लड़के वाले देखने आ रहे हैं वह बोली मुझे बिना पूछे आपने किसे बुलाया है l रागिनी बोली की एक बार देख लो उससे मिलो पसंद ना हो तो मना कर देना l
थोड़ी देर में बाहर गाड़ी आकर रूकती है अमित और उसके पापा अंदर आते हैं स्वाति देखकर खुश हो जाती है l लड़की देखने दिखाने की सारी औपचारिकता है पूरी करने के बाद दोनों बच्चों को बात करने का मौका दिया जाता है दोनों का जवाब हां मैं मिलता है l और दोनों की शादी तय कर दी जाती है l
निश्चित तारीख को विधि विधान के अनुसार दोनों बच्चों की शादी होती है l तभी फेरों के बाद सौरभ बोलता है कि आखिर दोनों बच्चों ने हमारा एक नया रिश्ता बना ही दिया l तभी रागिनी हाथ जोड़कर बोलती है बधाई हो समधी जी बेटे की शादी की l सभी हंसने लगते हैं और माहौल खुशनुमा हो जाता है l स्वाति विदा होकर अमित के साथ खुशी-खुशी अपनी ससुराल चली जाती है l रागिनी और सौरव हाथ जोड़कर एक दूसरे से विदा लेते हैं l
बिंदेश्वरी त्यागी बरहन आगरा
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