रक्षक – मीना माहेश्वरी

#एक_टुकड़ा

                 सुनसान सड़क पर मीतू तेज _तेज कदमों से दौड़ी जा रही थी ।आज उसे कोचिंग से लौटने में देर हो गई थी,और कोई साधन  भी नही मिला था। अचानक उसने महसूस किया कि कुछ मव्वाली टाइप के दो_तीन लड़के उसके पीछे _पीछे आ रहे थे और कुछ गंदी _गंदी फब्तियां कस रहे थे। मीतू मन ही मन बहुत घबरा रही थी, और भगवान को याद कर रही थी, अचानक से एक लड़के ने आगे आकर उसका हाथ पकड़ लिया, मीतू ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी,”बचाओ, बचाओ”___

                    तभी “””””जोरों की आवाज़ आई ,,,,,,”तडाक,,, तडाक,,,,,,,,, मीतू ने पलट कर देखा तो एक ऊंचे कद काठी की पुरुष जैसी  महिला ने उस बदमाश का हाथ पकड़ रखा था,बाकी दो बदमाश तो सर पर पैर रख कर नौ दो ग्यारह हो गए थे,,,,, अपनी कड़कती हुई आवाज़ मे बोली,”क्यों तुम्हारे घर में मां_बहन  नही है, जो अकेली लड़की देखीं और बदतमीजी पर उतर आए,दो_चार हाथ पड़ेंगे तो दिमाग़ ठिकाने पर आ जायेंगा, चलते बनो यहां से, अब दिखाईं नही देना।

                       डर के मारे मीतू थर _थर कांप रही थी, आंसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे, वो दौड़कर महिला के गले लग गई,”दीदी आपने मुझे बचा लिया,आज आप ना आती तो मेरा क्या होता।”, अरे , पगली क्यों रो रही हो, कुछ नही हुआ है, और ऐसे समय डरना नहीं, पूरी हिम्मत जुटाकर लड़ना है, अपने लिए लड़ना है।”  ,,,,,”हां दीदी, लड़ ही तो रही हूं, अपनी किस्मत से”, कहकर मीतू फफक _फफक रो पड़ी ____


                  पांच साल पहले जब मेरी मितेश से शादी हुई थी, तो हम   दोनों बहुत खुश थे, सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था हम दोनों का प्रेम विवाह था। मितेश शेयर बाजार का काम करते थे और मैं कोचिंग इंस्टीट्यूट में, हमारी गृहस्थी अच्छी चल रही थी। शादी के एक साल बाद ही किट्टू ने आकर हमारी झोली खुशियों से भर दी। हां, मम्मी_पापा की याद हम दोनो को कभी _कभी”बहुत सताती थी सोचते उन्हें कभी न कभी तो मना ही लेंगे। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था,  उन दिनों मितेश कुछ परेशान से रहने लगे थे, मैने कई बार परेशानी की वजह जानना चाही, कुछ नहीं   कहकर टाल  जाते।  और एक दिन जब मैं कोचिंग से लौटी तो मेरा सबकुछ लूट गया था, मितेश कमज़ोर निकले, अपनी परेशानी से लड़ने से आसान उन्हें इसी दुनियां से चले जाना लगा। वो मुझे और अपनी दो साल की नन्हीं बिटिया  को रोता बिलखता छोड़ फांसी पर लटक गए ।  बाद में पता चला कि उन्हें शेयर बाजार में गिरावट के कारण बहुत बडा घाटा लगा था, जिसने उनकी जान ही ले ली। और तब से  बस मैं जी रही हूं,तो बस मेरी किट्टू  के लिए।  “दीदी  आज आपने मेरी रक्षा करके   मुझे जीवनदान दिया है।

                  “चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देती हूं और सुनो, जब मुझे दीदी कहा  है,तो आज से तुम हो मेरी प्यारी छोटी बहना,आज से तुम्हारे सारे  सुख दुःख मेरे, मेरा भी इस दुनियां में कोई अपनेवाला नही है। मैं एक किन्नर हूं, ये जानकर तुम्हे मुझ से रिश्ता रखने में कोई ऐतराज तो नही है , “कैसी बात कर रहे हो, दीदी,, रिश्ता दिलों से बनता है,,,,,,और  ,,,,आपने तो खून के रिश्तों से बड़ा मानवता का रिश्ता निभाया है ।”

                         बातें करते करते दोनों घर पहुंच गई, दरवाज़े पर पहुंचते ही, एक प्यारी सी गुड़िया आकर मीतू से लिपट गई “मम्मा आप इतनी देर से क्यों आए हो,ये आंटी कौन है, हमारे घर क्यों आई है,,,,, आदि,,आदि  ,,,,,,,,,,,,ढेर  सारे सवाल______???” किट्टू ये आपकी राधा मौसी है, आज मौसी ने गंदे लोगों से मम्मा को बचाया है। ये है मम्मा की रक्षक,,,,,,,,,,

मीना माहेश्वरी स्वरचित एवम मौलिक

रीवा मध्य प्रदेश

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