काश…रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

रीवा को लगा कोई उसके बालों पर हौले से हाथ रखे है… उसने झटक कर पीछे देखा… तो सासु मां कांता जी थीं… उनका हाथ रीवा के सर पर था…

 कांता जी ने प्यार से बाल सहलाते हुए कहा…” मैं हूं बेटा… क्या हुआ… विनय अभी तक नहीं आया ना…!”

” नहीं मां उन्हींका तो इंतजार कर रही हूं…!”

” पता नहीं यह लड़का रोज-रोज कौन सी नौकरी कर रहा है… आज पूरे एक हफ्ते होने को आए… कभी समय से घर वापस नहीं आता…

 तूने खाना खा लिया ना…!”

 रीवा चुप हो गई… उसकी आंखों में आंसू घुमर आए…

 “ओह… ना मेरी बच्ची… आज आने दो उसे घर… इस तरह तेरी जिंदगी उसके इंतजार में काटने के लिए मैं नहीं छोड़ सकती…!”

  तभी कॉल बेल बजी… विनय ही था… अपना बैग लटकाए अंदर आया… मां और रीवा दोनों को खड़ा देख सकपका गया…

” क्या हुआ मां… तुम सोई नहीं… 12:30 हो गए हैं… इस तरह तुम्हारी तबीयत खराब हो जाएगी…!”

 कांता जी ने आराम से बेटे का हाथ पकड़ उसे बैठाया…” बैठ विनय…!”

” क्या बात है…!”

” बैठ ना बेटा… रोज आजकल लेट आ रहा है…

 क्या बात है… मैं बीमार पड़ूंगी इसकी तो तुझे परवाह है… पर रीवा के बारे में सोचा है… बेचारी पूरे हफ्ते भर से… ना समय पर खा रही है… ना सो रही है…

 तू तो सुबह 11:00 तक सोया रहेगा… मगर उस बेचारी को तो सुबह भी समय से उठकर बच्चों को… मुझे… नाश्ता देना… घर संभालना… बच्चों को स्कूल भेजना… कितना कुछ करना पड़ता है… आखिर चल क्या रहा है…!”

 “अच्छा तो तुमसे शिकायत लगाई जा रही है…!”

 कांता जी को थोड़ा गुस्सा आया… पर उन्होंने बात को बिगड़ने नहीं दिया…” नहीं बेटा… वह क्यों मुझसे शिकायत लगाएगी… मैं खुद नहीं देखती क्या… जैसे तू मेरा बेटा है… वह भी मेरी बेटी है… मुझे उसकी भी चिंता है… कल से ऐसा नहीं चलेगा…!”

” मां काम कुछ ज्यादा है… इसलिए…!”

” काम ज्यादा है तो सुबह जल्दी चला जा… 2:00 बजे कम पर जाएगा तो रात तक रुकेगा ना… अपना समय सही कर बेटा.…

 नहीं तो कल से रीवा नहीं मैं बैठूंगी… तेरा इंतजार करते… और मेरी तबीयत खराब होगी तो देखना तुम…!”

 विनय मां की बात सुन हंस पड़ा…” ठीक है मां जैसा तुम कहो… कल से सुबह 10:00 बजे निकलता हूं… ठीक है…!”

 फिर रीवा की ओर देखकर बोला…” तुम्हें परेशानी हो रही थी… तो तुम भी तो मुझे बोल सकती थी… फालतू मां को क्यों परेशान किया…!”

 रीवा कुछ बोलती उससे पहले ही कांता जी बोलीं… “वह सीधी स्वभाव की है… सब धैर्य से संभालती रहती है… उसने कभी कुछ शिकायत की है किसी से… जो आज करेगी…!”

उसके बाद विनय कुछ नहीं बोला…

 रीवा अपनी सास को देखकर… जो वापस अपने कमरे में सोने को जा रही थी… सोचने लगी…” काश ऐसी समझने वाली सास हर घर में हो… तो कभी किसी बहू को कोई परेशानी ना हो… और कोई घर न टूटे…!”

रश्मि झा मिश्रा

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