कामिनी के घर में किटी पार्टी चल रही थी।सभी महिलाएँ आपस में घर-बाहर की बातें कर रहीं थीं कि तभी मिसेज़ चंद्रा ने अरुणा से पूछ लिया,” अरुणा जी..सुना है कि स्कूल के प्रिसिंपल ने आपको बुलाया था..क्या हुआ…आपके मनु को कोई प्राइज़ मिला है क्या..।” उनके व्यंग्य से अरुणा बहुत आहत हुई
और उसे गुस्सा भी आया लेकिन फिर वो अपने गुस्से को पीते हुए बोली,” नहीं मिसेज़ चंद्रा..दरअसल पिछली दो परीक्षाओं में मनु के नंबर बहुत कम आये थे।अब बच्चे का दिमाग..उसने मुझे रिपोर्टकार्ड नहीं दिखाया।मैंने पूछा तो बोला कि अभी मिला नहीं है और रिपोर्टकार्ड पर खुद ही मेरा साइन करके स्कूल में जमा करा दिया।
मैं फिर काम में व्यस्त हो गई।इस बार भी जब उसने ऐसा ही किया तब उसके प्रिसिंपल ने मुझे बुलाया और उसका रिपोर्टकार्ड मुझे दिखाते हुए बोले कि मनु ने आपको #अंधेरे में रखा था।उसके सभी विषयों में कम अंक आये थे, इसलिए डर से उसने आपसे झूठ बोला और खुद ही हस्ताक्षर करके रिपोर्टकार्ड क्लास टीचर को दे दिया।
मैंने प्रिसिंपल सर को साॅरी कहा और मनु को समझाया कि तुमने जो किया है,वो गलत है बेटा..।नंबर कम आये हैं तो डरने वाली कोई बात नहीं है।मुझसे सच कहना चाहिए था।अगली बार और मेहनत करना।अभी छोटा है ना मिसेज़ चंद्रा ….धीरे-धीरे सब…।”
” बाप रे! छोटा है तो ऐसा कांड कर गया..बड़ा होगा तो पता नहीं…हमारी बेटी तो दसवीं पास करके ग्यारहवीं में आ गई लेकिन कभी कोई कंप्लेन नहीं..उसने कभी भी मुझसे कोई भी बात छुपाई नहीं है..।” कहते हुए उनकी गरदन गर्व-से तन गई थी।
कुछ महीनों के बाद कामिनी ने अरुणा से कहा कि मिसेज़ चंद्रा के घर एक ट्रेजेडी हो गई है…चलिये..ज़रा उनसे मिलकर आते हैं।रास्ते में उन्होंने अरुणा को सारी बातें बताई।
मिसेज़ चंद्रा के पति एक तरफ़ गुमसुम खड़े थे और महिलायें उन्हें घेरे बैठी दबी ज़ुबान से कुछ-कुछ बोल रहीं थीं।अरुणा को देखकर मिसेज़ चंद्रा को किटी वाले दिन की बात याद आ गई..वो उससे नज़रें चुराने लगीं तब अरुणा बोली,” मिसेज़ चंद्रा…हमें आपकी बेटी के लिये दुख है लेकिन आपको भी सोच-समझ कर बोलना चाहिए।
उस दिन तो आप मेरे सामने तन कर कह रहीं थीं कि मेरी बेटी कुछ भी छुपाती नहीं.. तो फिर ये क्या है? आपकी बेटी तो बड़ी और समझदार भी थी, फिर भी उसने आपको तीन साल तक अंधेरे में रखा कि किसी लड़के के साथ उसके चक्कर चल रहें हैं…और आज उसी के साथ वो भागकर आपके चेहरे पर तो कालिख पोत गई ना..।”
मिसेज़ चंद्रा चुप थीं..सबके सामने हमेशा के लिये उनकी नज़रें झुक गई थीं।
विभा गुप्ता
# अंधेरे में रखना स्वरचित, बैंगलुरु
# अंधेरे में रखना