आखिरी अलविदा – गरिमा जैन 

समीर :”आज तो तुम बहुत खुश लग रही हो ,ऐसे तो कुछ भी कर लो तुम्हारे चेहरे पर तो मुस्कुराहट आती ही नहीं। ऐसा क्या छपा है अखबार में जिस को पढ़कर तुम्हारी मुस्कुराहट ही नहीं थम रही।”

उर्मिला: “नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ याद आ गया”

समीर:” अरे क्या याद आ गया हमें भी तो बताइए नहीं तो हम तो आपकी यह मुस्कुराहट देखने के लिए तरस गए थे”

उर्मिला :” नहीं कुछ नहीं “

कहते हुए उर्मिला अखबार हाथों में लिए तेजी से अपने कमरे में चली गई।  उसका पति समीर मुस्कुरा रहा था” चलो किसी बहाने आज उर्मिला के चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई दी नहीं तो शादी  के बाद से ही उसकी मुस्कुराहट  जाने कहां चली गई थी।”

वह उर्मिला के लिए कुछ भी कर ले वह खुश ही नहीं होती। ना घूमने से,ना शॉपिंग से, ना जान  क्यों ऐसे ही बुझी बुझी  सी रहती ,हो सकता है वह समीर को पसंद नही करती हो! नहीं,नही ऐसा होता  तो भला वह समीर से शादी ही क्यों करती! वह आज के जमाने की पढ़ी-लिखी लड़की है मां-बाप के दबाव में आकर शादी करने वाली तो नहीं! समीर  भी ना जाने क्या-क्या सोचने बैठ गया ,अरे उर्मिला खुश है इसमें वह भी खुश है । इसी खुशी में समीर ने चाय बनवायी।

उधर कमरे में बैठी उर्मिला अखबार को बार बार पढ़ रही है और डायरी में कुछ नोट कर रही है और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है ।ना जाने उंगलियों पर क्या घटा बढ़ा रही है फिर कुछ लिखती है। थोड़ी सी देर के बाद समीर वहां चाय लेकर आ गए।” लो तुम्हारे लिए भी चाय बनवाई है ।”

उसे देखते ही उर्मिला ने झट से डायरी बंद कर दी और मुस्कुरा कर बोली हां हां आइए चाय पीने की बड़ी इच्छा हो रही थी और चाय के साथ पकोड़े नहीं बनवाए ?समीर आश्चर्य में पड़ गया, हमेशा कैलोरी कैलोरी  की बात करने वाली आज पकोड़ो की बात कर रही थी ?

“वो मैंने बहुत दिनों से शॉपिंग नहीं की तो आज  शॉपिंग करने के लिए Infinity Mall जाऊंगी।”

समीर ने कहा ठीक है मैं भी साथ चलूंगा शाम को एक पार्टी में भी जाना है दोनों साथ चलेंगे।


“नहीं नहीं मैं इस बार अपनी सहेली के साथ जाऊंगी आप के साथ अपने पसंद से कपड़े नहीं ले पाती “

“ठीक है as you wish “

समीर ऑफिस चले गए और उर्मिला ने खुशी-खुशी अपने लिए ड्रेस निकाली और अपनी सहेली को फोन किया। दोनों के मिलने का टाइम फिक्स हो गया और ठीक 2:00 बजे उर्मिला घर से निकल गयी।वह बार-बार डायरी का एक पन्ना खोलती कुछ पढ़ती और अपने मोबाइल पर कुछ लिखती जाती ।मीता उसकी बचपन की सहेली थी दोनों में बहुत पुरानी दोस्ती थी और वे अक्सर मिलकर अपने दुख सुख आपस में बांटतीथी।

उर्मिला :  वह आ गया मीता ।उसने मिलने का वही पुराना तरीका अपनाया है ।वह मुझसे मिलने आ रहा है ।

मीता :”कौन आ गया पगली “

उर्मिला:”वही ‘

मीता :”क्या ,यह क्या कह रही हो? क्या वह वापस आ गया? पर तुम्हें कैसे पता? उसके पास तुम्हारा फोन नंबर तो होगा नहीं!

उर्मिला :” नहीं रे उसने वही पुराना तरीका अपनाया है मुझसे मिलने का ।

मीता :”क्या वह अखबार में विज्ञापन छपाने वाला।

उर्मिला:” हां देखो ना यह देखो ,मैं अखबार की कटिंग भी लेकर आई हूं और पूरा कोड मैंने सॉल्व करके अपने मोबाइल में सेव कर लिया है। वह मुझसे मिलने सिल्वरलेक होटल में  आ रहा है ,तुम भी चलोगी मेरे साथ, मेरा दिल जोरों से धड़क रहा है ।”

मीता :” पागल मैं क्या करूंगी तेरे साथ वहां जाकर कबाब में हड्डी! लेकिन अगर तेरे पति समीर को यह बात मालूम पड़ गयी तो!

उर्मिला:” कहां से मालूम पड़ेगी वह तो मुझ पर अंधा विश्वास करते हैं कह दूंगी अपने दोस्त से मिलने जा रही हूं।

मीता:” झूठी, वह तेरा दोस्त तो नही….उर्मि अगर वो तुझे अपने साथ चलने को बोलेगा तो क्या करोगी?

उर्मिला: मीता वो मेरा पहला प्यार था उसे कैसे भूल सकती हूँ।समीर बहुत सुलझे हुए इंसान हैं वो मेरी हालत समझ जाएंगे।

मीता : लेकिन उर्मि उदय ने तुझे मजधार में छोड़ दिया था।

उर्मिला: उसकी कोई मजबूरी रही होगी ,मैं उसे अच्छे से जानती हूँ वो कोई गलत काम नही कर सकता।


मीता :ओहो मैं भी किसकी बुराई करने बैठ गयी।

दोनों सहेलिया जोरो से हंस देती हैं। दोनों खुशी-खुशी मॉल में शॉपिंग करती हैं और उर्मिला अपने लिए बहुत खूबसूरत सा लाल रंग का ड्रेस खरीदती है ।उस ड्रेस को पहन के उर्मिला बहुत खूबसूरत लग रही थी बिल्कुल आज से 5 साल पहले वाली उर्मिला। वैसे ही चेहरा ,तीखी नाक ,लंबे घुंघराले बाल उसने हल्का सा मेकअप भी किया था ।गले में डायमंड का नेकलेस पहना था जो उसके पति ने उसे शादी की सालगिरह पर दिया था ।

जब उर्मिला सिल्वर लेक होटल पहुंची तो उदय पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था उसने पीछे से ही उदय को पहचान लिया था ।ऊंचा कद घुंघराले बाल उसने काले रंग का सूट पहना था उर्मिला का दिल जोरों से धड़क रहा था ।उसने  चित परिचित अंदाज में उदय के गर्दन पर अपनी उंगलियां फेरी उदय ने उसका हाथ उसी अंदाज में पकड़ लिया जैसे पहले पकड़ा करता था और उर्मिला सातवें आकाश पर थी ।उसे उसका पहला प्यार जो मिल गया था। उसके दिल में हजारों सवाल थे वह इतने साल तक कहां रहा ?कभी उसने उसे बुला कर मिलने की कोशिश क्यों नहीं की! कभी उसे याद क्यों नहीं किया ?लेकिन उस समय बस सिर्फ उदय से बातें करना चाहती थी। उसे जी भर के देखना चाहती थी। दोनों बात करने में तल्लीन हो गए।

उदयने कहा उर्मि  मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूंगा उस शाम में अचानक गायब हो गया था ।

दरअसल मैं डर कर भाग गया  था ।

किससे डर था तुम्हे!

वह मैं कुछ गलत संगत में पड़ गया था मैंने ड्रग्स की तस्करी की थी।

क्या ड्रग्स की तस्करी और तुम! पर तुम तो पढ़ लिखकर…. यह सब बातें हैं और तुम्हें तो याद है ना मेरे तो होस्टल के बिल तुम ही दिया करती थी टैक्सी के पैसे भी….

उदय ये सब  पुरानी बातें हो गई ।

पुरानी बातों से ही तो आगे का भविष्य बनता है।

मैं परेशान हो चुका था इमानदारी की जिंदगी जी जीकर। मैंने ड्रग्स की तस्करी का काम शुरू किया लेकिन मैं उसमें नौसिखिया था ।

यानी कि तुम आज भी …..

यह बातें करने की नहीं होती इसीलिए मैंने तुम्हें फेसबुक इंस्टाग्राम पर कांटेक्ट नहीं किया मैं चाहता तो तुम्हारा फोन नंबर आसानी से निकलवा सकता था लेकिन मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारा नाम मेरे साथ जुड़े ।

मतलब क्या तुम्हे  पुलिस अभी भी ढूंढ रही है !

अरे नहीं नहीं पुलिस नहीं ढूंढ रही है लेकिन हां मेरा एक पास्ट था अब मैं ऐसा कोई काम नहीं करता। नंबर दो का काम करना मैंने छोड़ दिया है, लेकिन कहते हैं ना कि…. अरे खैर छोड़ो तुम बताओ तुम्हारी जिंदगी कैसी चल रही है।

उर्मिला उसे क्या बताती है कि पिछले 5 सालों का एक-एक दिन एक-एक मिनट उसने उसी की याद में काटा है। अपने पति के साथ बिताया एक भी पल उसे सजा के सामान लगता था उसके दिल दिमाग से सिर्फ उदय था लेकिन उसने इस समय ऐसा कुछ भी नहीं कहा ।उसने कहा तुम बताओ तुम अब कहां रह रहे हो इस समय।


इस समय मैं पेरिस में रह रहा हूं। पेरिस सच मे  बड़ा खूबसूरत शहर है ।वहां मेरा एक बड़ा पब्लिशिंग हाउस है। कुछ समय के लिए मैं वहाँ काम करता था। वहां के मालिक मुझे बहुत पसंद करते थे ।तुम तो जानती हो मुझे लिखने का शौक  था। उनकी बेटी डायना मुझे पसंद करती थी।उर्मिला जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ता है। मैं तुम्हें किसी मुसीबत में डालना  नहीं चाहता था इसलिए मैंने कुछ नही बताया। दो  साल पहले मैन डायना से शादी कर ली थी ।उसके बाद डायना के पिता का देहांत हो गया अब वो पब्लिशिंग हाउस  मैं ही चलाता हूं ।

उर्मि मैं तुम्हे ले जाने आया हूँ।

कहा ले जाओगे मुझे तुम उदय

अपनी सपनो की दुनिया मे ।मैं डायना को तलाक दे दूंगा। मैंने काफी पैसे इकट्ठा कर लिए है।हम तुम चैन से दिन्दगी जियेंगे।

उर्मिला:चैन की जिन्दगि? दो जिन्दगि बर्बाद करके ।

उदय: कौन डायना और समीर!

उर्मिला: हाँ उदय इसमे इन दोनों की क्या गलती।तुमने डायना को सीढी बनाई और मैंने समीर को। सच हम दोनों कितने मतलबी है।तुम्हारा संदेश पढ़कर मैं भागी चली आयी पर अब मैं समीर से कुछ नही छुपाउंगी सब कुछ बताकर ही मेरी आत्मा को शांति मिलेगी।

उदय : बेवकूफ मत बनो उर्मि मेरे साथ चलो ।ये मौका दोबारा नही आएगा।

उर्मिला : तुम जानते हो उदय इन पांच सालों में मैंने कितनी बार खुदकुशी की कोशिश की पर हर बार समीर ने मुझे बचाया तब तुम डायना को अपने झूठे प्यार में फसा रहे थे।मैंने समीर को हमेशा एक हमदर्द समझा क्योंकि पहला प्यार कोई कैसे भूल सकता है ।असल मे ये कहना ही गलत है कि पहला प्यार कोई नही भूलता सच तो यह है कि सच्चा प्यार कोई नही भूलता।

उदय : ओह तुम मुझे ताने दे रही हो तुम्हारे चेहरे से मालूम पड़ता है कि तुम आज भी मुझे चाहती हो।

उर्मिला: सच कहा तुमने दस मिनट पहले तक तुम्हे चाहती थी पर समीर के आगे तुम कुछ भी नही।मेरी एक मुस्कुराहट के लिए वह सब कुछ हारने को तैयार है और तुमने मेरी मुस्कुराहट ही छीन ली उदय!अगर तुममे जरा भी गैरत है तो डायना का दिल मत तोड़ना उस बेचारी के पास तो समीर जैसा देवता भी नही। तुम्हे ये मेरी आखिरी अलविदा है …..

स्वरचित

गरिमा

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