मैं सिया तीस वर्ष की उम्र में जीवन का बेहद नाजुक कठिन और चुनौती भरा घर परिवार छोड़ने का #आखिरी फैसला #लिया था.. उस समय मेरे साथ सात साल का रोहन और स्टेट बैंक की दस साल पुरानी नौकरी, कुछ कपड़े, कड़वे अनुभव अनिश्चित भविष्य और यादें साथ थी….
कितना संघर्ष किया मैने… आज जब सोचती हूं तो आश्चर्य होता है… घर में बिल्ली आ जाती तो टेबल पर चढ़ जाती और चिल्लाती पापा मम्मी जल्दी भगाओ…. नानी घर जाती तो बड़ा और पुराना डिजाइन का घर होने के कारण बाथरूम थोड़ी दूर बने थे… जब भी जाती मम्मी बाहर खड़ी रहती..
कॉलेज से ट्रिप जाता तो पापा कहते जाओ सिया आत्मविश्वास बढ़ता है और नई नई जानकारी भी मिलती है.. दोस्तों का साथ यादगार बन के रह जाता है…पर मैं कभी नहीं गई… ग्रेजुएशन करते हीं बैंक में नौकरी लग गई.. दादा दादी की इच्छा थी मरने से पहले सिया की शादी देख लूं… एनटीपीसी में इंजीनियर थे मनोज… छोटा परिवार मम्मी पापा एक बहन बस… पापा के कॉलेज के दोस्त ने रिश्ता बताया था… धूम धाम से हमारी शादी हो गई…
कुंवारे सपनों को हकीकत बनने का समय आ गया था… हैंडसम मनोज मुझे पहली नजर में भा गए थे..
पूरा परिवार एक साथ हीं था.. वक्त अच्छे से गुजर रहा था… शादी के तीन महीने बाद मनोज मुझे एक डुप्लेक्स दिखाने ले गए… बैंक से मुझे आसानी से लोन मिल जाएगा ऐसा मनोज ने मुझे कनविंस किया… मेरे अकाउंट में जो पैसे थे उसे डाउन पेमेंट कर बैंक से लोन ले लिया मैने…
अब मुझे हाथ में मात्र 8हजार रुपए आते…. जो कभी सब्जी मंगाने ननद को कॉलेज जाते समय पॉकेट खर्च तो कभी मां जी की क्रीम लाने में खत्म हो जाते.. मनोज से मांगने पर कहते घर खर्च और कुछ सेविंग अकाउंट में पैसे चले जाते हैं.
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साल बीतते मै रोहन की मां बन गई.. सपने सपने हीं रह गए… मैं घर में काम करने और नोट छापने की मशीन बन कर रह गई थी.. ना कहीं घूमने जाना ना हीं कभी मनोज मूवी दिखाने ले जाते…. पहले कहते थोड़ा हाथ खींच कर खर्च करो, अपना घर हो जाएगा… फिर नेहा की शादी में भी हमे खर्च करना होगा.…
मैं अजीब सी बेबसी में बंध कर रह गई थी.. रोहन से भी ना दादा दादी को ना हीं मनोज को कोई लगाव था.. मां जी किट्टी पार्टी और समाज सेवा में रहती.. एक ड्रेस खुलता दूसरा पहनती और निकल जाती… पापा ने गाड़ी से विदाई की थी पर उस गाड़ी पर मै जब लेबरपेन हो रहा था तब मनोज हॉस्पिटल ले कर गए..
मां जी नेहा ससुरजी और मनोज उस गाड़ी का उपयोग करते थे.. मनोज झगड़ा नहीं करते पर उनकी बात में आदेश होता था.. डिसीजन सुनाते थे… मैं अपना रिश्ता बचाने के लिए सब जहर पी रही थी..
रोहन अब स्कूल जाने लगा था.. रिश्ते में ठंडापन आ गया था… बैंक के एक स्टाफ ने झिझकते हुए बताया मनोज का किसी लड़की से अफेयर है… मैं आसमान से गिरी.. डायरेक्ट मनोज से पूछा… मनोज ने स्वीकार कर लिया… मेरे कानों में जैसे पिघले सीसे उड़ेल दिए हो… मैं बैंक से छुट्टी लेकर मम्मी पापा के पास आ गई… डाइवोर्स फाइल हो गया… जब डुप्लेक्स के लिए बिल्डर के पास गई तो पता चला पेपर में मेरा नाम नहीं है.. ऐसा धोखा… पापा मेरा ट्रांसफर भाग दौड़ कर अपने शहर में करवा दिया.. मम्मी पापा ने मुझे छोटे बच्चे की तरह संभाला.. पापा भी मेरे दुःख से बहुत दुःखी थे.. एक रात सोए तो फिर उठे नहीं…
अब मुझे खुद को मम्मी को और रोहन को संभालना होगा… आयरन लेडी बनना होगा…. और वक्त ने बहुत कुछ मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए… रोहन ने जो लक्ष्य अपने लिए सेट किया था… उसमें उसको सफलता मिली..
अब मैं और मम्मी सहेलियां बन गई हैं… रोहन मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया था…मूवी कभी मॉल छुट्टी मिलने पर कहीं घूमने निकल जाते हैं… हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा… रोहन कैंसर में विशेष पढ़ाई के लिए दो साल के लिए अमेरिका चला गया है… मैं और मम्मी इस खुशी को सेलिब्रेट करने दुबई चले गए थे…
और दो साल पंख लगाकर उड़ गए… रोहन वापस आ रहा है..विदेश में अच्छे जॉब ऑफर हुए.., बहुत अच्छी सैलरी के साथ..पर रोहन ने साफ इनकार कर दिया….एयरपोर्ट पर रोहन से लिपट गई मैं और भगवान को धन्यवाद दिया इतना अच्छा बेटा देने के लिए…
रोहन डॉक्टर बन गया है.. टाटा कैंसर हॉस्पिटल में ज्वाइन कर लिया है..उसकी स्कूल की फ्रेंड मोना जो लीलावती अस्पताल में पोस्टेड है, उसे जीवन संगिनी बनाने के लिए मुझसे परमिशन मांगा.. मैने सहर्ष हां कर दिया.. अगले साल डेस्टिनेशन वेडिंग होगी… मैं और मम्मी अभी से तैयारियों में लग गए हैं… बैंक से एक सप्ताह की छुट्टी ले कर मै और मम्मी वाराणसी आए हैं.. बनारसी साड़ी बहु के लिए लूं मेरी बरसों से इच्छा थी… बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद भी लेना है और त्रिशूल की नोक बसी इस पावन नगरी में कुछ वक्त मम्मी बिताना चाहती थी..
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गंगा आरती देखने के बाद हम दोनों होटल के कमरे में आ गए.. तभी रोहन का फोन आया. मम्मा जानती हैं आज क्या हुआ.. हकला रहा था.. वो जो मनोज कुमार है मेरा तथाकथित पिता.. आज आया था कैंसर के लास्ट स्टेज में है….मैने आज अपनी आंखों से नानाजी का वो श्राप फलित होते देखा…उन्होंने ने कहा था मेरी मासूम बेटी और इस देवदूत को धोखा देने वाले तुझे जीते जी कीड़े पड़ेंगे..मैने भी पहचान लिया और उसने भी मुझे… बोला बेटा मैने डपट दिया मै डॉक्टर हूं अपनी बीमारी के बारे में बताएं. और भी पेशेंट बाहर इंतजार कर रहे हैं…
साथ में बहन थी… नर्स ने बताया इन्हें बाल बच्चा नहीं है… बहन ले कर आई है…पत्नी को जब इनकी बीमारी का पता चला… जितना हो सका संपति समेट कर ले गई.. घर के कागजात पर भी इनके सिग्नेचर करवा लिया… बस पेंशन इनके पास है… मम्मा इन्होंने हमारे साथ जो किया भगवान सूद ब्याज के साथ लौटा रहे हैं… बहुत खराब स्थिति में थे… मैने डॉक्टर का फर्ज पूरा किया… वक्त बहुत बलवान होता है… मैं स्तब्ध थी… भगवान इंसाफ कर चुके थे… एक निर्दोष लड़की और निरीह मासूम बच्चे की आह लगी मनोज को…
Veena singh
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