जिंदगी में कभी-कभी ऐसे मोड़ आते हैं जब हर रास्ता बंद सा लगता है। दिल कुछ कहता है, तो दिमाग कुछ और। ऐसी ही कश्मकश में फंसी हुई थी राधा। उसके जीवन में समस्याओं की एक लंबी फेहरिस्त थी। लेकिन आज, वह खुद को कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत महसूस कर रही थी। उसके हाथों में एक नियुक्ति पत्र था, जो उसकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम था। यह पत्र उसके जीवन का नया अध्याय लिखने वाला था।
राधा का जीवन बचपन से ही कठिनाइयों से भरा रहा। माता-पिता का जल्दी गुजर जाना और फिर अपनों के बीच पराई बन जाना, उसके जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियां थीं। उसे न केवल अपनी पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ा, बल्कि अपने आत्मसम्मान को भी बचाने की लड़ाई लड़नी पड़ी।
राधा ने किसी तरह ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी की। उसने सोचा था कि एक दिन उसकी शिक्षा और मेहनत उसे एक नई पहचान दिलाएगी। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि जिंदगी के अगले पड़ाव में उसे और भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
राधा की शादी एक ऐसे व्यक्ति से हुई, जो शुरू में बहुत अच्छा लगता था। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उसके असली स्वभाव का पता चला। उसका पति शराब का आदी था। वह देर रात घर आता, बच्चों को मारता और राधा से अभद्र व्यवहार करता।
ससुराल का माहौल भी उसके लिए अनुकूल नहीं था। वहां किसी को उसकी समस्याओं से कोई मतलब नहीं था। सबने यही मान लिया था कि यदि घर में कोई समस्या है, तो उसकी वजह राधा ही है।
राधा ने बहुत कोशिश की कि वह इस रिश्ते को बचा सके। उसने बच्चों की खातिर, अपने परिवार की खातिर हर तकलीफ को सहा। वह सोचती थी कि एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन हालात और बिगड़ते गए।
राधा के मन में हमेशा एक द्वंद चलता रहता था। उसका दिल कहता था कि उसे अपने परिवार के लिए इस रिश्ते को निभाना चाहिए। लेकिन उसका दिमाग कहता था कि उसे अपनी जिंदगी की दुर्दशा को खत्म करना होगा।
राधा के मन में यह सवाल बार-बार उठता था, “क्या मैं अपने बच्चों के लिए सही उदाहरण पेश कर रही हूं? क्या मैं उन्हें यह सिखा रही हूं कि अन्याय सहना ठीक है?”
इन सवालों ने उसे अंदर से झकझोर कर रख दिया। उसे लगा कि अब समय आ गया है कि वह अपने लिए, अपने बच्चों के लिए एक मजबूत कदम उठाए।
जब राधा को एक नौकरी का अवसर मिला, तो उसके जीवन में एक नई उम्मीद जगी। यह नौकरी न केवल उसके आत्मसम्मान को लौटाने का मौकाथा , बल्कि यह उसके बच्चों के लिए बेहतर भविष्य की राह भी खोल सकती थी।
नियुक्ति पत्र को हाथ में लिए हुए राधा ने अपने मन में एक बड़ा फैसला कर लिया। उसने सोचा, “जरूरत पड़ी तो तलाक भी ले लूंगी। मैंने अपनी जिंदगी का हर फर्ज निभाया है। अब मैं अपने लिए जीना चाहती हूं।”
राधा ने अपने पति और ससुराल वालों के सामने यह साफ कर दिया कि वह अब इस तरह की जिंदगी और नहीं जी सकती। उसने अपनी नौकरी ज्वाइन करने का फैसला किया और अपने बच्चों को साथ लेकर नए सिरे से जिंदगी शुरू करने की ठान ली।
राधा को पता था कि समाज में एक अकेली महिला के लिए खुद को स्थापित करना आसान नहीं है। उसे यह भी पता था कि उसके इस फैसले को लेकर लोग तरह-तरह की बातें करेंगे। लेकिन उसने ठान लिया था कि वह अपने आत्मसम्मान और अपने बच्चों के भविष्य के लिए इस लड़ाई को लड़ेगी।
उसने अपने आसपास के नकारात्मक माहौल से दूरी बना ली। उसे पता था कि यदि वह दूसरों की बातों पर ध्यान देगी, तो वह कभी अपने फैसले पर अमल नहीं कर पाएगी।
राधा के लिए सबसे बड़ा सहारा उसके बच्चे थे। उसने तय किया कि वह उन्हें एक बेहतर जिंदगी देगी। वह चाहती थी कि उसके बच्चे उसकी तरह जीवन में संघर्ष न करें।
उसने बच्चों को प्यार और सुरक्षा का माहौल देने का वादा किया। उसने उन्हें यह सिखाने का भी निश्चय किया कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता किसी भी रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
अपने पति और ससुराल वालों के विरोध के बावजूद, राधा ने अपनी नौकरी शुरू की। उसने महसूस किया कि जब वह अपने पैरों पर खड़ी होगी, तभी वह अपने बच्चों को सही दिशा दे पाएगी।
राधा ने एक छोटा सा किराए का घर लिया और वहां से अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की। उसने हर कदम पर खुद को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की।
राधा की यह नई शुरुआत आसान नहीं थी। उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन हर मुश्किल ने उसे और भी मजबूत बना दिया।
उसने धीरे-धीरे महसूस किया कि उसकी मेहनत रंग ला रही है। उसके बच्चे भी खुश रहने लगे और उन्होंने अपनी मां के संघर्ष से प्रेरणा ली।
राधा ने अपने काम में भी खुद को साबित किया। उसने यह दिखा दिया कि एक महिला, चाहे कितनी भी कठिनाइयों का सामना कर रही हो, यदि वह आत्मनिर्भर बनने का फैसला कर ले, तो वह किसी भी बाधा को पार कर सकती है।
राधा की कहानी हर उस महिला के लिए एक प्रेरणा है, जो जिंदगी में संघर्ष कर रही है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता सबसे महत्वपूर्ण हैं।
राधा ने अपने जीवन में जिस हिम्मत और धैर्य का परिचय दिया, वह हर किसी के लिए एक मिसाल है। उसने यह साबित कर दिया कि कठिनाइयों के बावजूद, यदि आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो आप अपनी जिंदगी को बदल सकते हैं।
डा० बीना कुण्डलिया