आखिरी फैसला – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

मम्मी, मम्मी मैं यह शादी नहीं करूंगी।  पापा मेरी बात बिल्कुल नहीं मानेंगे। और दादी ,दादी तो बस अपने सामने मेरी शादी करने के लिए तुली हैं। मम्मी अभी मेरी उम्र ही क्या है ?इंटर ही तो पास किया है ।

मैं आगे पढ़ना चाहती हूं, मां अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं। निशा चुपचाप बैठी हुई अपनी बेटी हिना की बातें सुन रही थी। और दिल से चाहती थी कि अभी इतनी जल्दी हिना की शादी ना हो। पर उसे पता था कि उसकी कही हुई  बात को कोई नहीं सुनेगा। 

मां क्यों चुप बैठी हो, सुन रही हो ना आप। हां बेटा सुन तो रही हूं लेकिन तुम्हें तो पता है कि तुम्हारे पापा मेरी बात नहीं मानेंगे। ठीक है तो दे देने दो मुझे कुएं में धक्का। निशा का मन दुखी हो गया।

निशा को अपना समय याद आने लगा ।यही तो उम्र थी उसकी भी, पढ़ाई में कितनी अच्छी थी वह। जब इंटर में उसकी फर्स्ट डिवीजन आई तो जैसे उसके सपनों को पर लग गए थे। वह पढ़-लिखकर प्रोफेसर बनना चाहती थी। उसे टीचिंग का बहुत शौंक था। जब उसने पापा से आगे पढ़ने के लिए क्या कहा ,

तो बस दो टूक जवाब मिला था बहुत हो गई पढ़ाई। मैंने एक लड़का देखा है बहुत अच्छा घर परिवार है। परसों वे लोग तुम्हें देखने आ रहे हैं। निशा तो सुनकर अवाक ही रह गई थी, अचानक पापा के इस निर्णय से। उसे पता था अगर उसने जरा भी इस टाइम कुछ कहा तो पापा गुस्से से सारा घर सिर पर उठा लेंगे। 

लेकिन उसने कोशिश की थी अपनी मम्मी से कहकर ,कि पापा को समझाएं पर उसकी मम्मी उसके पापा के गुस्से से इतना डरती थी कि कुछ बोल ही नहीं पाई। और फिर उसे देखने लड़के वाले आए निशा उनको पसंद आ गई। लड़के वाले कुछ दिन भी रुकने के लिए तैयार नहीं थे तुरंत चट मंगनी पट ब्याह कर दिया गया। निशा अपने सपनों को दफन कर शादी होकर ससुराल आ गई। 

कुछ दिनों के अंदर ही उसे पता चल गया कि शादी के लिए इतनी जल्दी क्यों मचाई गई थी। निशा का पति विशेष कुछ भी काम नहीं करता था जबकि उन्हें बताया गया था कि वह बैंक में नौकरी करता है। शराब ,जुआ सारे ही व्यसन उसमें थे। अगर कभी निशा विशेष को समझाना चाहती तो उसके पास जवाब में केवल थप्पड़ और घूंसे ही होते थे। 

निशा यही सोचती कि क्या मैं अपने पापा के ऊपर इतनी बोझ थी, कि अगर शादी करनी भी थी तो उन्होंने लड़के के बारे में ठीक से पता भी नहीं किया । आंख मूंदकर बस अपने दोस्त पर विश्वास करके उसे इस दलदल में धकेल कर उसका जीवन बर्बाद कर दिया। निशा ने अपने घर जाना भी छोड़ दिया। शादी के दो साल बाद हिना उसकी गोद में आ गई।

एक बेटी का बाप होकर भी विशेष में कुछ बदलाव नहीं आया। अब मार -पिटाई लड़ाई- झगड़ा  यही सब निशा के जीवन का हिस्सा हो गए थे । विशेष का रवैया देख उसने सोच लिया था कि वह दोबारा मॉं नहीं बनेगी। अपनी और अपनी बेटी हिना की जरूरत को पूरा करने के लिए उसने सरकार द्वारा चलाए गए सिलाई सेंटर में सिलाई सीखी।

और घर पर सिलाई का काम करना शुरू कर दिया। दोनों मां बेटी आपस में एक -दूजे का सहारा थी। आज जो कुछ कभी उसके साथ हुआ था वही सब उसकी बेटी के साथ दोहराया जा रहा था। लेकिन क्या वह भी अपनी मां की तरह मूक रहकर सारा तमाशा देखती रहेगी? नहीं उसने मन ही मन कसम खाई कि वह अपनी बेटी के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं होने देगी ।

चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। कुछ दिनों बाद विशेष ने चार लोगों को घर में लाकर बैठा दिया, कि यह लोग हिना को देखने आए हैं। निशा ने देखा कि चारों ने ही शराब पी रखी है। उसके तन -बदन में आग सी लग गई । उसने विशेष का कॉलर पकड़ कर कहा कि तुम्हें शर्म नहीं आती। अपनी बेटी की शादी की बात कर रहे हो

या उसे बेच रहे हो इन शराबियों के हाथ। कान खोलकर सुन लो मेरी बेटी की शादी अभी नहीं होगी उसकी मां है उसके साथ। मेरी बेटी पढ़ -लिखकर अपने पैरों पर खड़ी होगी ।और उसके बाद मैंअच्छी तरह से देखभाल कर अपनी बेटी की शादी करूँगी। मेरी बेटी मेरी तरह नारकीय जीवन नहीं जिएगी, समझे तुम। यह मेरा आखिरी फैंसला है।

विशेष निशा का यह रौद्र रूप देखकर हैरान था, जिसने आज तक उसके सामने जबान नहीं खोली थी ,आज उसके हाथ उसके कॉलर तक पहुंच गए थे । उसे समझ आ गया था कि यह एक मांँ की ममता की ताकत है।

नीलम शर्मा

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