मुझे किसी पुरूष का सहारा नहीं चाहिए – अर्चना खंडेलवाल  : Moral Stories in Hindi

बहुत दिन हो गये थे, शिखा ने अपनी मौसी की बेटी को फोन लगाया, लेकिन फोन व्यस्त आ रहा था तो शिखा ने फोन रख दिया, बीस मिनट बाद वही से फोन आया।

कैसी हो रीमा दीदी? आप तो आजकल बहुत व्यस्त रहती हो, अपनी बहन से बात करने की ही फुर्सत नहीं है, शिखा ने बनावटी नाराज होकर कहा।

मै ठीक हूं, तू कैसी है? तुझे तो पता है, टीना की  शादी की उम्र हो गई है, और उसी के लिए रिश्ते तलाशने में लगी हुई हूं, उसे नौकरी करते हुए भी छह साल हो गये है, अब तो मुझे चिंता होने लगी है, टीना की शादी हो जाएं तो मै तनावमुक्त हो जाऊं, रीमा दीदी बोली।

अरे! तो इसमें इतनी चिंता की क्या बात है? हमारी टीना तो बहुत काबिल हैं, होशियार है, और उसके लिए लडका मिलना बहुत आसान है, और इतना अच्छा कमाती भी है, उसे तो कोई भी लडका मिल जायेगा, शिखा चहकते हुए बोली।

उधर से रीमा की आवाज़ कमजोर हो गई, “वहीं तो परेशानी है, लड़कियां पढ़-लिख लेती है, अच्छा कमाती है, और शादी करने का जब समय आता है, तो उन्हें लड़का पसंद नहीं आता है, मेरी सहेली का बेटा है, उसका हमउम्र है, लेकिन उसे भी टीना ने रिजेक्ट कर दिया।’

ऐसा भी क्या हो गया दीदी? क्या लड़का देखने में अच्छा नहीं था, या कोई कमी थी? शिखा ने भी चिंता जताते हुए कहा।

नहीं, लडका लाखों में एक है, सब कुछ अच्छा है कमाता भी अच्छा है, बस उसका पैकेज टीना से कम है, वो टीना से कम कमाता है, तो उसने फोन पर ही मना कर दिया।

‘तीन सालों से टीना का यही रवैया चल रहा है, मैंने तो कह दिया कि तू ही कोई लंडका ढूंढकर ले आ, पर उसे कमाने और कमाने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा है, वो तो बस प्रमोशन लेकर विदेश जाना चाहती है, जहां उसे रोकने-टोकने वाला कोई ना हो, और शादी के लिए तैयार भी नहीं हो रही है, टीना की उम्र में तो मेरे बच्चे हो गये थे, और इसकी अभी तक शादी भी नहीं हुई है।’

“दीदी, आप अपना मन छोटा मत करो, आजकल यही जमाना है, और आपके टीना के जमाने में काफी अंतर है, शिखा ने समझाया।

“हां, अंतर है, पर बेटी की मां को उस जमाने में भी चिंता होती थी, और बेटी की मां को इस जमाने में भी चिंता होती है, मां की फ्रिक में कोई अंतर नहीं आया है, रीमा उदास होकर बोली।

तेरे ससुराल में कोई लडका हो तो बता? रीमा दीदी अचानक से बोली, पर उसका पैकेज टीना से ज्यादा होना चाहिए, वो तभी शादी करेगी?

शिखा ये सुनकर हैरान रह गई, ‘शादी के लिए बस यही एक शर्त है, टीना की ?  लडके के संस्कार, व्यवहार, परिवार, सब कुछ मायने रखता है, लेकिन टीना है कि केवल पैकेज देखकर शादी करेगी? 

दीदी, मेरे परिवार में तो कोई नहीं है, और जो दो देवर है, उनका पैकेज टीना के जितना भी नहीं है, तो उनसे तो शादी हो नहीं सकती।

अच्छा, ठीक है,  मै अभी फोन रखती हूं, और रीमा दीदी ने फोन रख दिया।

शाम को जब विनोद ऑफिस से घर आये तो शिखा ने अपने पति को सारी बातें बताई,  टीना की अजीब शर्त सुनकर वो भी हैरान थे।

शिखा, अभी तो टीना ने अपने से ज्यादा कमाने वाले से शादी कर लेगी, लेकिन शादी के बाद टीना का प्रमोशन हो गया और उसका पैकेज अपने पति से ज्यादा हो गया तो तब वो क्या करेगी?  प्रमोशन नहीं लेगी, या अपने पति को छोड़ देगी ?

विनोद के तर्कों का शिखा के पास कोई जवाब नहीं था।

कुछ दिनों बाद शिखा ने फिर अपनी रीमा दीदी से बात की तो वो तब भी परेशान थी, ‘शिखा टीना का प्रमोशन होने से पहले और  उसके विदेश जाने से पहले ही उसकी शादी कर दूंगी, ये ही मेरा आखिरी फैसला है, मै आज ही उसे अपना फैसला सुना दूंगी।”

” हमे ही अपने बच्चों का भविष्य देखना है, बच्चे कमाते हैं, अपने पैरों पर खड़े है, समझदार है, उन्हें  अपने जीवन में जरा भी हस्तक्षेप पसंद नहीं होता है, लेकिन कुछ जगह पर माता-पिता को हस्तक्षेप करना ही होता है, ये कहकर रीमा दीदी ने फोन रख दिया।

उधर रीमा दीदी के घर में  अभी टीना वर्क घर से ही कर रही थी ।

टीना, आज तक तूने वहीं किया जो तू चाहती थी, तूने अपना हर मुकाम हासिल कर लिया है, लेकिन अभी एक जरुरी मुकाम बाकी है, रीमा जी ने कहा।

मम्मी, आप फिर से शादी को लेकर शुरू हो गई, मै खुद कमा रही हूं, मुझे अपना जीवन बिताने के लिए किसी पुरुष के सहारे की जरूरत नहीं है, मै खुद मैनेज कर लूंगी।

सही है, तू कमा रही है, पुरूष का सहारा नहीं चाहिए लेकिन हर स्त्री को पुरुष का साथ चाहिए होता है, और तुझे शादी करनी होगी, मेरी सहेली आज शाम को ही अपने पति और बेटे के साथ में आ रही है, मुझे लडका पसंद है और तुझे भी पसंद करना है।

अरे!! उस लड़के का तो पैकेज कम है, अपनी बात पहले ही हो चुकी है, मुझे वो पसंद नहीं है, टीना लैपटॉप में नजरे गड़ाकर बोली।

तूने उसे देखा ही कहां है? केवल पैकेज सुनकर मना कर दिया था, जब तुझे पुरूष का सहारा नहीं चाहिए, तू अपनी सभी इच्छाएं खुद पूरी कर सकती है तो लडका कम -ज्यादा कमाएं, उससे तुझे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। शाम को तैयार हो जाना, मैंने और तेरे पापा ने उसे पसंद कर लिया है, यही हमारा आखिरी फैसला है, तूने अपनी शादी की जिम्मेदारी मुझे दी है, तो मुझे ये जिम्मेदारी पूरी करने दें ये कहकर रीमा जी कमरे से बाहर चली गई।

शाम को जब राहुल अपने मम्मी- पापा के साथ टीना को देखने आया तो उसके बोलने का सलीका और व्यवहार टीना के दिल को छू गया, वो मन ही मन सोचतीं रही कि, मैंने इस लड़के के लिए मना कैसे कर दिया? कितना अच्छा दिखता है, बात भी करता है, अकेले में टीना ने राहुल से भी बात की, उसे मना करने का कोई कारण नजर नहीं आया, मेरी सैलेरी आपसे ज्यादा है तो आपको इससे हीनता की भावना तो महसूस नहीं होगी?

टीना की बात सुनकर राहुल चौंक गया, आखिर आप ये क्या कह रही है? और कौनसे जमाने की बातें कर रही है? वो पहले का जमाना अलग था, जब पुरुष को लगता था कि घर मै ही चलाऊं और मेरी कमाई से ही घर के सभी खर्चे पूरे हो, अपनी पत्नी का कमाना और उसकी कमाई घर में खर्च करना उसे गंवारा नहीं था, लेकिन आज सब बदल गया है, पति और पत्नी मिलकर कमाते हैं, दोनों घर की ईएमआई भरते हैं, दोनों बच्चों की परवरिश और सामाजिक रिशते निभाते हैं, कोई किसी से कम नहीं है, हम दोनों नौकरी करते हैं और शादी के बाद अगर आपका प्रमोशन हो जाता है, आपकी सैलेरी मुझसे ज्यादा हो जायेगी तो क्या हमारे रिशते खराब हो जायेंगे? ऐसा नहीं होगा, रिश्ते पैसो से नहीं आपसी समझदारी से निभते है।’

टीना अब पूरी तरह से निश्चित हो गई थी कि उसे सही जीवनसाथी और समझने-समझाने वाला साथी मिला है, राहुल की तो हां थी, टीना ने भी आखिरी फैसला ले लिया और शादी के लिए हां कर दी।

पाठकों, आज समाज में ये बहुत बड़ी ज्वलंत समस्या है, आज के युवक और युवती कमा रहे हैं, अपने पैरों पर खड़े है, लेकिन विवाह का फैसला सही समय पर नहीं ले रहे। आपका इस बारे में क्या विचार है?

आप कमेंट करके मुझे बताइये।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खंडेलवाल  

मौलिक अप्रकाशित रचना 

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