अहमियत रिश्तों की (भाग-10) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे…

सुबह का समय था … प्रथम सो रहा था …

निहारिका रोते हुए  प्रथम के कमरे में आती है …

और अंदर से दरवाजा बंद कर लेती है…

प्रथम घबराकर उठ जाता है…

निहारिका प्रथम के सीने से लग जाती है …

प्रथम झटककर निहारिका को खुद से अलग  करता है …

निहारिका  फिर पास आ जाती  है…

यह क्या कर रही हैं आप  निहारिका जी…??

यहां बैठिये…

पानी पीजिए आप…

बार-बार प्रथम बाहर की ओर खिड़की से देख रहा  है..कि कहीं देवेश तो नहीं आ रहा…

तभी निहारिका  खिड़की भी बंद कर लेती है…

निहारिका जी…

प्लीज बताएंगी आप   देवेश सर आपको क्यों मार रहे थे…??

मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है…

वह मुझे इतने अच्छे लगे पहली बार तो…

उन्होंने हमें पुलिस से बचाया …

और अब उनका यह रूप देखकर तो मेरे हाथ-पांव फूल रहे हैं…

आपने मेरी मदद की…

इसलिए आपकी  मदद  करना मेरा फर्ज बनता है …

अगर आप मुझे बताएंगी  तो शायद में कुछ हेल्प कर पाऊं…

निहारिका फूटकर रोने लगी…

प्रथम उसके मुंह पर हाथ रख लेता है …

निहारिका जी….

प्लीज धीरे रोईये…

नहीं तो देवेश सर आ  जाएंगे…

निहारिका खुद को शांत करती है …

अपने आंसू पोंछती  है …

प्रथमजी …

कहानी कहां से शुरू करूं..

कहां पर खत्म …

मुझे समझ नहीं आ रहा…

जी..

आप मुझे इतना तो बता सकती हैं कि  सर आपको मार क्यों रहे थे ..?

क्या आपसे कोई गलती हुई…

हां हुई है ना …

गलती…मैं एक अनाथ हूं…

निहारिका जोर से चिल्लाई …

निहारिका जी प्लीज..

स्पीक स्लोली…

मैं  अनाथ हूं प्रथम जी…

जिसका कोई सहारा नही…

तो फिर देवेश सर  आपके कौन है …??

आपके हस्बैंड ..??

बॉयफ्रेंड ..??

या फ्रेंड..?

या कोई नजदीकी रिश्तेदार ..??

प्रथम जी..

मैं एक अनाथ लड़की थी..

मेरा जन्म बहुत ही अच्छे परिवार में हुआ था ..

मेरे माता-पिता  दोनों ही मेरे लिए काफी संपत्ति छोड़ कर गए थे….

मेरे चाचा चाचा और सारे परिवार वालों ने मिलकर मुझसे बचपन में ही   वह संपत्ति हड़प ली …

मेरे पास कुछ ना रहा…

मैं दर-दर भटक रही थी…

नौकरी करके एक कमरा लेकर रहती  थी…

फिर एक दिन देवेश ने मुझे अपने घर में किराए पर रहने को कमरा दिया …

उसका व्यवहार शुरुआत में मेरे साथ बहुत ही अच्छा था…

सरकारी नौकरी में था…

देखने सुनने में भी अच्छा था …

उसने  बोला  मैं तुमसे शादी करूंगा…

मैं भी खुश थी..

प्रथम तो एक पल को सन्न रह गया …

क्योंकि शायद वह मन ही मन निहारिका को पसंद करने लग गया था…

लेकिन फिर वह हकीकत से रूबरू हुआ ,,तो खुद को संभालते हुए बोला…

तो फिर समस्या क्या है निहारिका जी …?

कर लीजिये शादी आप दोनों…??

मैं शादी के लिए बोलती  हूं तो बहाने बना देता है …

अभी कुछ दिन पहले ही मुझे इसके फोन से पता चला है कि इसकी शादी हो चुकी है…

इसके दो बच्चे भी हैं…

वह कहां रहते हैं …??

उनसे मिलता है या नहीं…

इस बात की जानकारी मुझे बिल्कुल नहीं है …

वह शादी नहीं कर रहा  हैं…

बस मेरे साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाना चाहता है….

जिसके लिए मैं बिल्कुल भी राजी नहीं…

इसी वजह से रोज मुझे मारता है…

मैं कई बार पुलिस स्टेशन भी गई ,,लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई …

तो आप यहां से भाग क्यों नहीं जाती…??

आप पढ़ी-लिखी है…इंडिपेंडेंस है …

आपको नौकरी मिल जाएगी …

फिर आप इस दलदल में क्यों रह रही हैं..? ?

बोलिए निहारिका जी..

क्या वजह है इसकी…??

तुम ही बताओ प्रथम ..

एक अनाथ लड़की…

जिसके आगे ना ,,पीछे ,,कोई भी नहीं है …

अकेले चार-पांच हजार की नौकरी करके दुनिया में सरवाइव करना क्या इतना आसान है …??

लेकिन कुछ दिनों से यह मेरे साथ बहुत मारपीट कर रहा है…

इसलिए मैं अब इस  आदमी के साथ नहीं रहना चाहती…

प्लीज प्रथम …

मुझे बचा लो..

तुम्हारा जीवन भर उपकार मानूंगी …

निहारिका जी …

इसमें मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं…??

मैं खुद ही शहर में अनजान हूं…

मैं आपको कहां लेकर जाऊंगा …??

दुनिया एक लड़का और लड़की को किस नजरों से देखती  हैं…

वह तो आप जानती  ही हैं …

और मेरे बाऊजी और मां, पापा ने मुझे यहां पढ़ने के लिए,,कुछ  बनने के लिए भेजा है…

नहीं नहीं …

मैं ऐसा तो नहीं कर सकता…

हां आप कहें तो मैं पुलिस स्टेशन में देवेश सर  की कंप्लेंट कर सकता हूं …

तो शायद आपको वह छुटकारा दिलवा दें ….

कि तभी देवेश चिल्लाता है …

कहां गई …

कहां मर गई तू ….??

जोर-जोर से देवेश प्रथम का दरवाजा खटखटाता है ..

प्रथम दरवाजा खोल देता है …

देवेश प्रथम के कॉलर को पकड़…

वहां निहारिका नहीं होती है …

तभी प्रथम  अपने कॉलर से देवेश का हाथ अलग कर खिड़की से झांकता है तो निहारिका फिर नीचे मिट्टी में कुछ खोद रही होती है…

आगे की कहानी जल्द…

तब तक के लिए जय श्री श्याम …

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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