सीखा कहा हो ? जल्दी करो मंदिर जाना है ,लेट हो जायेगा | हा कर तो रही हो शिखर ,सुबह बहुत काम हो जाता है | थोड़ा बहुत तुम भी कर लेते तो टाइम से सब हो जाता |
शिखर मंदिर के लिए निकल गया | वहां पहुंच पूजा पाठ हवन सब कुछ किया बहुत खुश था | शुरू से ही शिखर और सीखा दोनो पूजा पाठ बहुत करते थे | कन्या भोजन , ब्राह्मण भोजन ,सब कुछ करते थे | पंडित जी जो कह दे, वो जरूर करते थे | बिना सोचे समझे | शिखर को लगता की पूजा पाठ के कारण ही आज मेरे जीवन में सारी खुशियां ,सारी सुख सुविधाएं है |
वो आज जिस मकाम पे है ,उसका पूरा श्रेय अपनी द्वारा की गई पूजा पाठ को ही देता था |उसके मां पिता जी को उसकी ये बात बुरी लगती थी लेकिन ,वो कुछ कहते नहीं थे | वो सोचते की चलो बेटा खुश है और क्या चाहिए |
आज सीखा ने घर में सत्यनारायण की कथा रखी थी | बहुत सारे लोगों को बुलाया था | सारी तैयारी कर लिया सीखा ने | फिर अपने कमरे में तैयार होने चली गई | पंडित जी आ गए| जैसे ही शिखर की मां पंडित जी को प्रसाद की थाली देने गई ,अचानक उनके हाथ से थाली छूट गया | पूरा प्रसाद बिखर गया | शिखर गुस्से से चिल्ला उठा |
“क्या कर दिया अपने मां,किसने बोला आपको प्रसाद लाने के लिए? सब कुछ खराब कर दिया आपने,जाओ आप यहां से अपने कमरे में |जब कोई काम ठीक से नहीं कर सकती आप ,तो क्यों करती है |
शिखर की मां आंखों में आंसू लिए अपने कमरे में चली गई | पीछे से शिखर के पापा भी धीरे से उठ कर कमरे में चले गए | शिखर का ये व्यवहार किसी को अच्छा नहीं लगा | सभी लोग चुप चाप बैठे रहे |पूजा खतम हो गई | सारे लोग चले गए | सीखा मां के कमरे में प्रसाद ले के आई | और बोली मां जी आपने पूरी पूजा खराब कर दिया | पता नहीं कौन सा अपशगुन होगा अब ? क्या जरूरत थी आपको कुछ करने की मै सब कर रही थी ना | शिखर के पिता जी ने बोला बेटा परेशान नहीं हो आगे से ऐसी गलती नहीं होगी |
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शिखर की मां ने बोला सुनो जी, चलो हम लोग गांव चलते है | वहीं गुजारा कर लेगे | जिंदगी के बचे ही कितने दिन है | आज तो बेटा , ने हमको सबके सामने बोल दिया | मैने किसी तरह रो के बर्दास्त कर लिया | लेकिन किसी दिन आपको बोल देगा तो मैं बर्दास्त नहीं कर पाऊंगी | आप सही कह रही है | चलिए सामान रख लीजिए | कल सुबह वाली ट्रेन से हे निकल चलते है |
शिखर बेटा कल सुबह मंदिर जाते समय हमको तुम स्टेशन छोड़ देना | कुछ दिन गांव हो के आते है हम दोनो | गांव की बहुत याद आ रही है | शिखर ने बोला ठीक है | सीखा भी मन ही मन खुश होती अच्छा है ये लोग जाए यहां से | फिर क्या था | दोनो लोग गांव चले गए | यहां जैसे ही शिखर मां पिता जी को स्टेशन छोड़ के आया | उनके बॉस का कॉल आया ,तुमने कैसा प्रजेंटेशन दिया था ? तुमको कोई प्रॉब्लम थी तो मुझसे पूछ लेते | प्रोजेक्ट हम लोगों के हाथ से निकल गया | तुम्हारे कारण कंपनी को लाखों का नुकसान हुआ है | अब कोई प्रमोशन नहीं मिलेगा तुमको समझे |
शिखर घर आ गया | सीखा ने आवाज लगाया ,आ जाओ शिखर आरती का टाइम हो गया है | आता हूं ,शिखर बिना मन के हाथ जोड़ खड़ा हो गया ,उसकी आंखे अपने मां पिता जी को खोज रही थी | उसकी आखों में आंसू थे |
सीखा ने पूछा क्या हुआ? रो क्यों रहे हो? कुछ हुआ क्या? सीखा अब मेरा प्रमोशन नहीं होगा | नहीं ऐसा नहीं हो सकता ,मैने इतना पूजा पाठ किया ,घर में कथा भी किया | ऐसा नहीं हो सकता | आप ने कितनी मेहनत की थी | अपने प्रमोशन के लिए | सब आपके मां के कारण हुआ है | मुझे लगा ही था ,कुछ अबसुगन होगा, देखो हो गया ना | उनके घर में काम करने वाली ,ने बोला साहब जी एक बात बोलूं?”जानते है मां बाप की दुआओं में भगवान के आशीर्वाद से भी बड़ी शक्ति है “”
दो दिन पहले तक आप दोनों कितने खुश थे |देखा मां पिता जी के जाते ही आपकी जिंदगी से मानो सारी खुशियां ही चली गई हो | शिखर ने बोला तुमने सही कहा | चलो ,जल्दी चलो सीखा ,मां पापा को ले आते है |
गांव जा के अपने पापा के गले लग गया शिखर और बोला पापा आपलोग चलो मेरे साथ ,हमको माफ कर दो | शिखर की मां अभी भी गुस्से में थी ,बोली नहीं बेटा आप जाओ अपने घर | वहां पूजा पाठ में मन लगाओ ,हम दोनों की चिन्ता मत करो | मां पूजा पाठ करना है ,इस लिए तो अपने भगवान को लेने आया हूं | शिखर के शब्दों ने मां की ममता को हिला दिया | और वो जाने को रेडी हो गई | शिखर और सीखा दोनो बहुत खुश थे अब | उनको एहसास हो गया की ” मां बाप की दुआओं में भगवान के आशीर्वाद से भी बड़ी शक्ति है “
रंजीता पाण्डेय