चारों तरफ हाहाकार…रोने पीटने की आवाज़ें…हर कोई ग़म से सरोबार। विनय के मम्मी, पापा, भाई, बहन और रिश्तेदार सबका रो रोकर बुरा हाल था। लेकिन निधि, निधि तो जैसे पत्थर सी हो गई थी। विनय के शहीद होने की खबर सुनकर वो तो बस शून्य में ताक रही थी और कभी-कभी अपने मेंहदी लगे हाथों को देखती जिसका रंग अभी फीका भी नहीं हुआ था।
नई-नवेली दुल्हन ही तो थी वो, मात्र दो दिन की ब्याहता। जब उसके पति विनय को अचानक से अपनी ड्यूटी पर जाना पड़ा, जो कि एक फाइटिंग पायलट था और उसके जाने के अगले दिन ही उसके शहीद होने की खबर आई। कुछ घंटों के बाद विनय एक तिरंगे में लिपटा हुआ घर आया
जो दो दिन पहले ही अपने घरवालों से खुशी खुशी विदा लेकर और अपनी नई नवेली पत्नी को जल्दी आने का वादा कर छोड़ गया था। और चलते चलते निधि को उदास देखकर उसे प्यार की झप्पी दे गया था। निधि के सामने अब कुछ चल चित्र की तरह था।
लेकिन आंखों से आसूं निकलने का नाम नहीं ले रहे थे जबकि दिल में दर्द का तूफान उठ रहा था। घर की बड़ी-बूढ़ी बस यही कहे जा रही थी इसे रुलाओ कोई, नहीं तो इसे सदमा लग जाएगा। दिल के तूफान को बह जाने के लिए रोना भी जरूरी है उसके मायके से उसकी ताईजी भी आई थी जिन्होंने उसे पाला था। वो उन्हें ही मां कहती थी क्योंकि उसकी मम्मी तो उसे जन्म देते ही मर गई थी।
कुछ समय बाद विनय की अंतिम विदाई का वक्त आ चुका था। फिर शुरू हुई एक सुहागन को अभागन बनाने की प्रक्रिया। चूड़ियां, बिंदी, बिछुए सब एक-एक करके उतार दिए। निधि की ताईजी ने आकर जब निधि को छाती से लगाया तो उसकी चीत्कार से सारा घर गूंज उठा। मां मैं कैसी भाग्यहीन हूं
जन्म लेते ही भगवान ने मेरी जन्म देने वाली मां को छीन लिया। और जब दुबारा मुझे खुशी मिली तो भगवान ने मुझसे वो खुशी भी छीन ली। मां अब मेरा क्या होगा…क्या करुंगी मैं अब… सबकी आंखे नम थी। निधि की सास ने आगे बढ़कर उसे गले लगाया हम है बेटी तेरे साथ।
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विनय को शहीद हुए आज एक वर्ष व्यतीत हो चुका था। आज उसकी पुण्य तिथि पर अब नाते-रिश्तेदार इक्कठा थे। निधि के ससुराल और मायके वालों ने मिलकर निधि की शादी विनय के छोटे भाई से करने का फैसला लिया। यद्यपि ये फैसला लेना आसान नहीं था क्योंकि पहले तो निधि ही इस शादी के लिए तैयार नहीं थी उसका मानना था कि उसके भाग्य में सुख है ही नहीं, पर जब उसकी सास और ताईजी ने उसे समझाया कि इतना
बड़ा पहाड़ सा जीवन कैसे कटेगा, और समाज की ऊॅंच-नीच को भी समझाया तो वह मान गई। उधर उसकी बुआ सास ने उसकी सास को खूब भड़काया की लड़की भाग्यहीन है उसकी शादी अपने छोटे बेटे से मत करो। बड़ा तो चला ही गया कही छोटे को भी कुछ हो गया तो… लेकिन उसकी सास ने कहा भाग्यहीन वो नहीं हम है जो उसे इस रूप में देख रहे है। हम उसे दोबारा सौभाग्यवती बनाएंगे और निधि की शादी विनय के छोटे भाई नितिन से हो गई।
नितिन और निधि की शादी को छह साल बीत गए थे। इस बीच वे दो प्यारे बच्चों के माता-पिता भी बन गए थे, एक बेटा और एक बेटी। निधि बहुत अच्छी और संस्कारी बहु थी। उसने सारे घर की जिम्मेदारी बखूबी उठा ली थी। कुछ दिनों से उसकी बुआ सास रहने के लिए आई हुई थी। निधि उनका भी बिल्कुल अपनी सास की तरह ध्यान रखती।
जब उन्हें कुछ ज्यादा ही दिन रहते हुए हो गए तो निधि को लगा कि शायद कुछ बात है। निधि ने अपनी सास से बात की कि, बुआजी कुछ उदास सी रहती है। इतने दिन हो गए उन्हें आए हुए ना ही एक भी बार भैया-भाभी ने उनसे बात की। कह तो तुम सही रही हो, जीजी की उदासी महसूस तो मैं भी कर रही हूं।
जब निधि की सास ने उनसे पूछा तो वे रोने लगी और बोली बहु मेरे साथ बहुत बुरा व्यवहार करती है और न ही वो मुझे अपने साथ रखना चाहती है। निधि जो कि तभी बुआ जी के लिए दूध लेकर आई थी बोली, तो बुआ जी आप यही रहिए ना।
बुआ जी ने निधि के आगे हाथ जोड़ दिए और बोली, बेटा मुझे माफ करदे। मैने तेरी सास से तेरे लिए कितना भला-बुरा कहा और तुझे भाग्यहीन बताती रही। बेटा भाग्यहीन तो मैं हूं जो तेरे जैसे हीरे को नहीं परख सकी। बुआ जी आप ये हाथ मेरे सर पर आशीर्वाद के लिए रखिए कि मेरा भाग्य ऐसे ही चमकता रहे।
दिनांक: 22/11/2024
नाम: नीलम शर्मा
मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश,