शहर की ऊंची ऊंची इमारत से कुछ दूरी पर एक छोटी सी कच्ची बस्ती थी उस बस्ती में सबसे छोटा मकान सरजू लाल का था वह अपनी पत्नी मायावती और अपने 7 बर्ष के बेटे ढिल्लू के साथ हंसी-खुशी दिन बिता रहा था ढिल्लू सरकारी स्कूल में पढ़ता था और पढ़ने लिखने में बहुत तेज था आज मकान को सजाया जा रहा था क्योंकि आज ढिल्लू का जन्मदिन था उसका नाम जरूर अटपटा था लेकिन देखने में बहुत खूबसूरत और सुंदर था
ढिल्लू ने ही अपने पिता सरजू लाल को कहा था
पापा ,, जी अमीरों के घर में सब बच्चों का जन्मदिन मनाया जाता है
हम गरीब हैं तो क्या हमारा कभी जन्मदिन नहीं मनाया जाएगा
मेरे दो-चार दोस्त है उनका भी जन्मदिन मनाया जाता है
इस बार तो मैं अपना जन्मदिन मना कर ही रहूंगा
सरजू लाल की पत्नी मायावती ने भी अपने पति से कहा
देखो जी अपना एक ही इकलौता बेटा है आप तो जानते ही हो शादी के 4 साल के बाद इसका जन्म हुआ है अब ढिल्लू के बाद मुझे कोई औलाद नहीं होगी ऐसा डॉक्टरों ने भी कह दिया है
हमारी एक ही संतान है बुढ़ापे का सहारा है इसकी खुशी के लिए हमें सब कुछ करना चाहिए
पत्नी की बात मानकर सरजू लाल ने अपने बेटे ढिल्लू का आज जन्मदिन मनाने की बात कह दी
ढिल्लू ने अपने आसपास के सब मित्रों को बताया आज शाम को मेरा जन्मदिन है सबको घर पर आना है
शाम हो चुकी थी सरजू लाल ने केक की दुकान पर अपने बेटे के लिए एक केक ऑर्डर पर बुक करवाया था लेकिन वह केक अभी तक घर नहीं पहुंचा इसलिए सरजू लाल ने अपनी पत्नी से कहा मैं केक की दुकान पर जा रहा हूं जब तक तुम घर में आए मेहमानों की खातिरदारी करते रहना
ढिल्लू कहने लगा पापा मैं भी तुम्हारे साथ जाऊंगा
मैं केक देखना चाहता हूं मेरा केक कैसा बनाया गया है
और उसमें सात मामबत्तियां भी लगानी जरूरी है क्योंकि मैं 7 बरस का हो चुका हूं
मायावती ने अपने बेटे को बहुत रोका परंतु वह नहीं माना और जाने की जिद्द करने लगा
सरजू लाल अपने बेटे की उंगली पकड़े जल्दी-जल्दी केक की दुकान पर चल पड़ा
कुछ दूर चलने के बाद सरजू रुक गया
सरजू ,, ने अपने बेटे से कहा वह देखो सड़क के उस पार केक की दुकान है
तुम यही खड़े रहो मैं अभी केक लेकर आता हूं
सरजू लाल अपने बेटे को वहीं खड़ा करके सड़क पार करके केक की दुकान के भीतर चला गया
दुकानदार ने सरजू लाल को तुरंत पहचान लिया और कहा आपका केक तैयार है सरजू लाल ने जेब से रुपये निकाल कर केक के मालिक को पकड़ा दिए और अपना केक लेकर दुकान के बाहर आ गया
ढिल्लू सड़क के बीचो-बीच खड़ा हुआ था सरजू ने दूर से ही कहा तुम्हें सड़क पार करने के लिए किसने कहा
तभी एक बड़ी सी गाड़ी तेज रफ्तार में आई और ढिल्लू को टक्कर मारती हुई निकल गई
ढिल्लू वहीं सड़क पर खून से लथपथ फड़फड़ाने लगा
सरजू दौड़कर ढिल्लू के पास पहुंचा ढिल्लू बेहोश हो चुका था
खून सड़क पर बिखरा देखकर सरजू पागलों की तरह चिल्लाने लगा
अरे कोई बचाओ मेरे बच्चे को किसी गाड़ी वाले ने टक्कर मार कर मेरे बच्चे को घायल कर दिया है
लेकिन उस सुनसान सड़क पर उसकी आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था
केक का मालिक सरजू की चीख पुकार सुनकर अपनी दुकान से बाहर निकला
अब तक ढील्लू अपना दम तोड़ चुका था
दुकानदार ने ढिल्लू की नब्ज पकड़ी और सरजू को बताया तुम्हारा बच्चा खत्म हो चुका है अब इसमें बिल्कुल भी जान नहीं रही
सरजू जोर-जोर से रोने लगा आज मेरे बेटे का जन्मदिन था घर पर सब लोग इसका इंतजार कर रहे हैं
इन अमीर लोगों को गरीबों के बच्चों को कुचलने में बड़ा मजा आता है
दुकानदार बताने लगा
यहां से एक गाड़ी इसी समय काफी तेजी से निकलती है बड़ी सी गाड़ी है उस गाड़ी और उस गाड़ी के मालिक को मैं अच्छी तरह पहचानता हूं
इस शहर का सबसे अमीर व्यक्ति वही है दो-चार गाड़ियां है उसके पास
उसका नाम दीनाचंद है सबसे बड़ा मकान इस शहर में उसी का है
बड़े-बड़े वकील और पुलिस वाले उनके घर पर आना-जाना करते हैं
तुम तो बहुत गरीब हो अगर केस भी करोगे तो तुम जीत नहीं पाओगे
बाकी आगे तुम्हारी मर्जी मैं तुम्हें दीना चंद का मकान नंबर बता देता हूं तुम चाहो तो वहां जाकर अपनी फरियाद सुना सकते हो
यहां से 1 किलोमीटर दूर लक्ष्मी मंदिर है उसके पीछे वाली गली का पहला मकान उन्हीं का है
सरजू ने अपने बेटे को गोद में उठा लिया दुकानदार एक बड़ा सा कपड़ा ले आया और ढिल्लू के ऊपर डाल दिया
सरजू को याद आया घर पर सब लोग ढिल्लू का इंतजार कर रहे होगे आज ढिल्लू का जन्मदिन है
सरजू तेज कदमों से अपने घर की ओर पैदल चल पड़ा
सरजू का मन बार-बार कह रहा था ,, सरजू तू अपने घर क्यों जा रहा है तुझे सेठ दीनाचंद के घर जाना चाहिए और उसे ललकारना चाहिए उसे बताना चाहिए देख तेरी गाड़ी से मेरा बच्चा कुचल गया और तूने पीछे मुड़कर भी ना देखा
लेकिन मेरे पास तो कोई सबूत भी नहीं है कहीं दीनाचंद मना कर दे और कहे तुम जैसे गरीब लोग मुझसे रुपया ऐठने के लिए मुझ पर झूठा इल्जाम लगा रहे हो और फिर पुलिस और वकील भी उनके साथ है
मेरे पास कोई ठोस सबूत और गवाह भी नहीं है दुकानदार भी मेरे साथ दुकान के भीतर था उसने भी एक्सीडेंट होते हुए नहीं देखा
सोचते सोचते चलते चलते सरजू का घर आ चुका था
सरजू ने अपने बेटे की लाश को घर के बाहर देहरी पर रख दिया
और घर के भीतर चला आया उसकी पत्नी मायावती
गरमा गरम पुड़िया बनाते हुए बोली — आ गए आप
आज मेरे बेटे का जन्मदिन है इसलिए मैंने सोचा हलवा और पूरी बनाई जाए मैं तो अपने बेटे को हमेशा खुश देखना चाहती हूं आज मेरा बेटा जी भरके खाएगा
क्या हुआ तुम खामोश क्यों हो और ढिल्लू दिखाई नहीं दे रहा ,, कहां गया
लगता है बाहर खेल रहा होगा आज उसका केक जो आया है
कुछ देर के बाद पत्नी फिर बोली तुम चुप क्यों हो मैं तुमसे बात कर रही हूं और तुम कोई जवाब नहीं दे रहे हो
सरजू की आंख से पानी छलक पड़ा — और उसने बताया अब अपना बेटा इस दुनिया में नहीं रहा
यह बात सुनकर मायावती की सांस अचानक रुक गई फिर एकदम से वह बड़बड़ाती हुई बोली कैसी अनाप शनाप बातें कर रहे हो
ढिल्लू तो तुम्हारे साथ गया था केक लेने के लिए मेरे साथ मजाक मत करो अपने बेटे के लिए ऐसी बातें करते हुए क्या तुम्हें शोभा देता है
सरजू ने घर के बाहर इशारा किया
घर में मौजूद पड़ोस के दो-चार बच्चे भी थे सब लोग बाहर आए और चादर हटाया गया अपने बेटे को मृत प्रकार एक मां का हृदय अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था अभी कुछ देर पहले ही तो कितना चहल कदमी कर रहा था बार-बार कह रहा था मां आज मेरा जन्मदिन है
पत्नी अपने पति को झकझोरते हुए बोली सच-सच बताओ क्या हुआ
मेरे बेटे का ऐसा हाल किसने किया
सरजू खामोश हो गया ,, आसपास के लोगों को खबर मिली
सभी सरजू के घर दौड़े चले आए
सरजू से पूछा गया ढिल्लू की ऐसी हालत किसने की
सरजू ने सबको हुए रोते हुए बताया
कोई बड़ी सी गाड़ी वाला टक्कर मार कर चला गया ना गाड़ी का नंबर देखा ना ड्राइवर की शक्ल
उसी रात ढिल्लू को अग्नि के हवाले कर दिया गया
और धीरे-धीरे समय तेजी से बीतता चला गया
इस घटना को पूरा एक साल हो चुका था
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बड़े से खुले मैदान में फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां खड़ी हुई थी
सरजू एक गाड़ी का दरवाजा खोलकर गाड़ी में बैठ जब शहर में आया था तब छोटा-मोटा काम करके अपना परिवार पाल रहा था
फिर एक दिन घर पर एक लेटर आया इस नौकरी के लिए
तब से ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी चलाता और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था किंतु ढिल्लू के जाने के बाद सरजू और उसकी पत्नी मोहल्ले वालों से अब कम ही बातचीत किया करते थे
रोज की तरह सरजू फायर ब्रिगेड की गाड़ी में बैठा था
तभी अचानक एक कॉल आई —
लक्ष्मी मंदिर के पीछे वाली गली का पहला मकान वहां पर आग लग चुकी है मकान मालिक का नाम दीना चंद है गाड़ी लेकर जल्दी वहां पहुंचों
सरजू ने गाड़ी तुरंत स्टार्ट की अचानक वह 1 साल पीछे अतीत में खो गया यह तो वही दीना चंद है जिसकी गाड़ी ने मेरे बच्चे को कुचल दिया था
आज उनके घर में आग लगी है अच्छा हुआ ईश्वर जो करता है अच्छा करता है मैं वहां गाड़ी नहीं ले जाऊंगा अब मजा आएगा
लेकिन मुझे तो गाड़ी ले जानी पड़ेगी मैं उन्हें जलता हुआ देखना चाहता हूं वहीं दूर से खड़ा तमाशा देखूंगा तब मेरे दिल को ठंडक मिलेगी
सरजू ने गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी और दीना चंद के मकान के सामने खड़ी कर दी
मोहल्ले की भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी सभी कहने लगे फायर ब्रिगेड की गाड़ी आ गई अब आग बुझ जाएगी
सरजू सोचने लगा पहले यकीन तो कर लूं यह मकान पक्का दीना चंद का ही है
वहीं पास खड़ी एक महिला कहने लगी मेरे पति का नाम दीनाचंद है वह इस समय विदेश गए हुए हैं
मेरा 8 बरस का बेटा दीपू ऊपर आग में फंस चुका है जल्दी से उसे बचाइए आज उसका जन्मदिन है दूसरे माले पर हमने जन्मदिन की सारी व्यवस्था कर दी थी और ग्राउंड फ्लोर पर मेहमानों के खाने पीने की सारी तैयारी थी
अचानक आग लग गई और सब लोग घर से बाहर निकल आए
लेकिन हमारा बेटा दीपू दिखाई नहीं दे रहा है शायद वह अभी भी घर के दूसरे वाले वाले के अंदर फंसा हुआ है
सरजू सोचने लगा अब बदला लेने का मुझे पूरा मौका मिल गया है
अब मैं झूठ-मूठ सबके सामने दूसरी मंजिल पर चढ़ जाऊंगा
सबको लगेगा मैं दीपू को बचाने जा रहा हूं लेकिन मैं उसे बचाऊंगा नहीं
और सबसे कह दूंगा मैंने बहुत कोशिश की बचाने की लेकिन नाकामयाब रहा
फायर ब्रिगेड की गाड़ी में दो लोग पीछे बैठे हुए थे उन्होंने अब तक पानी चालू करके आग बुझाना शुरू कर दिया था
सरजू को डर था कहीं दीपू बच ना जाए इसलिए मुझे ही दूसरे माले पर चढ़ाना होगा
सरजू उस जलते हुए मकान के भीतर प्रवेश कर गया
और इधर-उधर दीपू को खोजने लगा
दूसरी मंजिल पर पहुंचने पर रसोई घर में दीपू को सरजू ने देख लिया
वह 8 बरस का हंसमुख बालक चिल्लाने लगा अंकल जी मैं इधर हूं
मुझे बचाओ ,, मैं आग में जल जाऊंगा ,,
सरजू मन ही मन में दीना चंद को कह रहा था देख आज तेरे बच्चे की जान मेरी मुट्ठी में है मेरे बच्चे को मार कर तू चला गया था और तेरा कुछ न बिगड़ सका
अब मैं भी तेरे बच्चे को नहीं बचाऊंगा अब इस आग की लपटो में तेरे बच्चे को जलता हुआ देखूंगा
क्योंकि नीचे सड़क पर तुम्हारी पत्नी बता रही थी कि तुम्हारा भी यह इकलौता बेटा है
तुमने भी मेरे इकलोते बेटे को मारकर हमारे बुढ़ापे का सहारा छीन लिया था अब मैं भी तुम्हारे बुढ़ापे का सहारा छीन लूंगा
दीपू ने फिर पुकारा अंकल जी जल्दी आइए आग और तेज बढ़ रही है
दीपू की पुकार सुनकर सरजू को ऐसे लगा जैसे उसका ढिल्लू आग की लपटो में खड़ा हुआ है और अपनी जान की भीख मांग रहा है
अचानक से सरजू के हृदय में कपकपी होने लगी उसके हृदय के भीतर से आवाज आई,, अरे नालायक यह तू क्या कर रहा है
दीना चंद ने जो गलती की उसी गलती को तू भी कर रहा है
फिर उसमें और तुझमें क्या फर्क रह जाएगा
तेरा काम है लोगों के घरों में जाकर आग बुझाना और लोगों को सुरक्षित बचाना इस मासूम से बच्चे ने तेरा क्या बिगाड़ा है
सरजू को अचानक एहसास हुआ शायद वह क्रोध के मारे और बदले की भावना के चक्कर में अपने कदम पीछे करके खड़ा हुआ था
लेकिन जब उसकी आत्मा ने उसको झकझोर दिया तब सरजू की आंखें खुली ,,
इस मासूम से बच्चे को मारने से मेरा ढिल्लू वापस नहीं आ सकता
मैं इतना पत्थर दिल नहीं हूं उसने लपक कर दीपू को झट अपने गोद में उठा लिया और तेजी से आग की लपटों से बचाता हुआ
सीढ़ियों से नीचे की ओर भागा
दीपू को बचाने के चक्कर में सरजू के बदन में आग की लपटों ने गहरे जख्म दे दिए थे लेकिन उसे खुशी थी मैंने एक नन्हें बालक की जान बचाई है
किसी के घर का इकलौता दीपक बुझने से बचा लिया
सरजू के बाहर आने पर
मकान के बाहर खड़ी पब्लिक ने तुरंत दीपू को ठीक-ठाक हालत में देखा और सरजू को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया
आग पर काबू पा लिया गया था
अब तक दीना चंद भी यह खबर सुनकर घर के बाहर आ चुके थे
उन्होंने सरजू के पैर पकड़ते हुए कहा
मुझे रास्ते में सब खबर मिल रही थी मगर मैं हवाई जहाज में बैठा हुआ था
हमारे मकान में आग लग गई और मेरे इकलौते बच्चे को बचाने के लिए कोई फायर ब्रिगेड वाला आदमी दूसरी मंजिल पर चढ़ गया है
तुमने अपनी जान पर खेल कर मेरे बेटे दीपू को बचाया मैं जिंदगी भर तुम्हारे लिए आभारी रहूंगा
मगर सरजू खामोश था काम खत्म होने के बाद गाड़ी स्टार्ट करके वापस अपनी ड्यूटी पर पहुंच गया
छुट्टी होने पर अपने घर चला आया और अपनी पत्नी मायावती को बताया आज मैंने ऐसा काम किया है जो मुझे नहीं करना चाहिए था मैंने अपने दुश्मन के बेटे को बचाया है
तुम्हें याद है एक साल पहले एक गाड़ी अपने ढिल्लू को कुचल कर चली गई थी आज मैं उसी घर की अमानत बचाकर आ रहा हूं
तब पत्नी बिलख बिलख कर रोने लगी कहने लगी उस दिन मैं छाती पीट-पीट कर रोई थी एक बेटे को उसकी मां से जुदा करने वाले जालिम के घर जाकर तुमने ठीक नहीं किया
तुम्हें भी बदला लेना चाहिए था
तब सरजू बोला
मायावती तुम पगला गई हो ,, जो होना था हो गया अपना बेटा तो इस दुनिया में रहा नहीं मुझे दीपू में अपना बेटा ढिल्लू दिखाई देने लगा
और फिर बच्चों से दुश्मनी कैसी लेकिन एक बात है
दीना चंद अगर उस दिन अपनी गाड़ी धीमी चलाता तो यह एक्सीडेंट ना होता और हमारा बेटा आज जीवित होता
गेट पर दीना चंद खड़ा हुआ था उसके हाथ में एक बड़ा सा गिफ्ट था
उसने सरजू की सारी बातें सुन ली थी
उसने कहा क्या मैं अंदर आ सकता हूं
सरजू ने उन्हें अंदर आने की अनुमति दे दी और बैठने के लिए कहा
दीना चंद ने बताया आज मेरे बेटे का जन्मदिन था लेकिन आग लगने के कारण सब मेहमानों को हमने वापस भेज दिया हमारा बेटा सुरक्षित बच गया हमारे लिए तो यही बहुत बड़ी बात है
तुम्हारी ड्यूटी से तुम्हारे घर का पता लेकर मैं तुम्हें ईनाम देने यही चला आया
लेकिन तुम्हारी बातें सुनकर मुझे एक साल पीछे की घटना याद आ गई
शाम हो चुकी थी एक पार्टी से मैं घर लौट रहा था ड्रिंक थोड़ी ज्यादा कर ली थी नशा काफी हो चुका था अचानक मेरी आंख बंद हो गई
मुझे ऐसे लगा जैसे मेरी कार किसी चीज से टकराई हो
जब झटके से मैंने आंखें खोली तो मैंने पीछे मुड़कर देखा मुझसे एक एक्सीडेंट हो गया है
उस समय मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूं
उस दिन मेरे बच्चे का जन्मदिन था और मैं किसी पुलिस के चक्कर में नहीं फंसना चाहता था घर पर सभी मेहमान मेरा इंतजार कर रहे थे
अगले दिन मैं तुम्हारे मोहल्ले में आया पता करने पर पता चला 7 बरस का ढिल्लू अब इस दुनिया में नहीं रहा किसी गाड़ी ने टक्कर मारकर
उसका दम निकाल दिया
मैं तुम्हारी मदद करना चाहता था लेकिन तुम्हारे सामने आने से डर रहा था
तब मुझे एक युक्ति सूझी तुम्हारे घर एक नौकरी का लेटर भिजवाया
और तुम्हें फायर ब्रिगेड की गाड़ी में नौकरी मिल गई
और उस घटना के बाद मैंने फिर कभी ड्रिंक नहीं की और कसम खाई ड्रिंक करके कभी भी गाड़ी नहीं चलाऊंगा
मैं तुम्हारा गुनहगार हूं आज तुम्हारे सामने हूं तुम मुझसे बदला लेना चाहते हो ले लो
मैं जेल जाने के लिए भी तैयार हूं
सरजू कहने लगा साहब चाय ठंडी हो गई चाय पी लीजिए
अब आप ड्रिंक करके गाड़ी नहीं चलाते हैं मेरे लिए यह गर्व की बात है
लेकिन मैं आपका तोहफा कुबूल नहीं कर सकता हूं आप जा सकते हैं साहब
दीना चंद सरजू के घर से अपना तोहफा हाथ में लिए चला गया
सरजू की पत्नी कहने लगी ,, मैं चाहती हूं इसे सजा मिलनी चाहिए
सरजू ने कहा — अपना बच्चा तो चला गया वह वापस नहीं आने वाला
रात हो चुकी थी
जब सवेरा हुआ तो एक पड़ोसी समाचार पत्र लेकर
सरजू के पास आया और बोला क्या तुमने आज का अखबार पढ़ा है
इस अखबार में दीना चंद की तस्वीर छपी हुई है
उसे 7 बर्ष की सजा हो गई
उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली और ढिल्लू की मौत का जिम्मेदार खुद को माना
सरजू अपनी पत्नी से कहने लगा मैंने तो दीना चंद के बारे में ऐसा नहीं सोचा था
मगर तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई
दीना चंद ने अपना जुर्म खुद स्वीकार कर लिया
लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना