अब आगे…
निहारिका का फोन प्रथम के पास आता है …
देवेश निहारिका को मार रहा है…
यह सुन प्रथम जल्दी ही अपने कमरे से बाहर निकल आता है…
रात के 1:00 बज रहे थे…
प्रथम समझ नहीं पा रहा था..
मैं क्या कर रहा हूं …??
क्यूँ कर रहा हूँ..??
कुछ भी हो..
बस एक लड़की मुसीबत में है..
उसकी मदद करनी चाहिए …
वह जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ा रहा था …
डर भी लग रहा था उसे…
सांस तेज चल रही थी…
तेज चलने की वजह से हांफ रहा था…
उसने कई ऑटो रोकने की कोशिश की…
कोई ऑटो वाला नहीं रुका ….
एक बाईक वाला रुका फिर….
वह बाइक कर बैठ गया…
निहारिका का घर आ चुका था…
वह गेट खोल अंदर आया ….
अंदर का गेट अभी बंद था…
उसने कई बार दरवाजा खटखटाया ….
दरवाजा नहीं खुला…
प्रथम ने खिड़की से झांक कर देखा..
तो वह भौचक्का रह गया …
देवेश निहारिका के लम्बे बालों को दोनों हाथों से खींचकर जमीन पर उसे घसीट रहा था…
निहारिका के चेहरे ,,हाथ शरीर पर ,,न जाने कितने ही घाव थे….
उसके कपड़े भी जगह-जगह से फटे हुए थे ….
प्रथम समझ नहीं पा रहा था कि देवेश सर देखने में तो बिल्कुल भी ऐसे नहीं लगे थे…
लेकिन यह ऐसा क्यों कर रहे हैं निहारिका जी के साथ…
छोटी उम्र का लड़का प्रथम इस तरह की बातों को पहली बार देख रहा था …
समझ नहीं आ रहा कि मैं अब क्या करूं…??
उसने कई बार दरवाजा खटखटाया…
लेकिन दरवाजा खुल ही नही रहा था…
अबकी बार प्रथम हिम्मत कर बोला…
देवेश सर ,,,दरवाजा खोलिए…
मैं प्रथम …
जरा काम था आपसे…
अभी भी देवेश के कानों में उसकी आवाज नहीं गई …
वह तो बस तावड़तोड़ वार करने में लगा था निहारिका पर…
सर ..
प्लीज खोलिये ना दरवाजा…
मुझे आपसे काम है …
बार-बार प्रथम बोल रहा था…
प्रथम की आवाज सुन देवेश घबरा गया …
तूने ही बोला होगा इसे …
इतनी रात क्यों आया है ये…??
निहारिका कुछ नहीं बोल पा रही थी…
देवेश ने उसे घसीट कर अंदर वाले कमरे में बंद कर दिया…..
जल्दी से अपने बाल,,हुलिया ठीक कर दरवाजे पर आया…
दरवाजा खोला…
प्रथम इस समय तुम…??
कोई बात हो गई क्या …??
हां सर..
वो आपसे काम था …
काम था तो दिन में बोल देते…
प्रथम पता है तुम्हे रात के 2:00 बज रहे हैं…
बोलो क्या काम था ….??
मुझे ऑफिस के लिए भी जाना है सुबह…
सोना भी है…
प्रथम सोच रहा कि इतना खूंखार आदमी है…
इसके सामने मैं कैसे पूछूं कि आप निहारिका जी के साथ क्या कर रहे थे ….
निहारिका जी सो गई क्या…??
हां वह तो कब की सो गई …
तुम्हारी आवाज सुनी तो मैं उठ करके आ गया …
सर..
ये जमीन पर खून के निशान कैसे हैं …??
वो हमारे घर में डॉगी है ना…
उसके पैर में घाव हो गया है …
तो उसी की वजह से हैं …
प्रथम हर संभव कोशिश कर रहा था …
कि उसके प्रश्नों का जवाब मिल सके …
लेकिन वह सीधा नहीं पूछ पा रहा था …
उसे निहारिका को बचाना भी था…
सर its ए हम्बल रिक्वेस्ट फ्रॉम यू ….
क्या मैं आज आपके यहां रह सकता हूं…??
क्यों तुम्हें रूम में कोई दिक्कत है …??
देवेश बोला…
वो ना सर लाइट चली गई है …
कल मेरा टेस्ट है कॉलेज में..
पढ़ना चाहता हूं…
और फोन की रोशनी से मेरा सर दर्द हो रहा था…
तो मैंने सोचा …
आपका घर पास ही है…
क्यों ना आपके पास ही आकर पढ़ लिया जाए…
अगर आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो…
देवेश का मन तो नही कर रहा था कि उसे हां बोले…
लेकिन प्रथम का शक और बढ़ जाता अगर वो मना कर देता….
उसने कह दिया ..
ठीक है …
लेकिन बार-बार इस तरह रात में मत आना प्रथम…
डिस्टरबेंस होती है….
नहीं नहीं सर …
अगर आपको बुरा लगा हो तो मैं अभी चला जाता हूं…
नहीं ..नहीं …
अब आ ही गये हो तो आज पढ़ाई कर लो…
कल तुम्हारा टेस्ट है …
अंदर वाले कमरे में जहां तुम पहले रुके थे …
वही जाकर के तुम पढ़ाई कर सकते हो …
प्रथम अंदर वाले कमरे में आ गया …
देवेश भी अपने कमरे में जाकर अंदर सो गया …
अब कमरे से आवाज बिल्कुल नहीं आ रही थी…
सुबह के 6:00 बजे धीरे से निहारिका कमरे से बाहर आई …
वह प्रथम के कमरे में आती है…
अंदर से दरवाजा बंद कर लेती है …
प्रथम घबराकर उठ जाता है…
निहारिका प्रथम के सीने से लग गई ….
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अहमियत रिश्तों की (भाग-10) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi
तब तक के लिए जय श्री राधे…
मीनाक्षी सिंह
आगरा