सुनो जी … मैं रोज तुमसे कह कहकर थक चुकी हूं दीपावली धीरे-धीरे नजदीक आ रही है मोहल्ले में सभी के घरों की साफ सफाई का काम शुरू हो चुका है पंखों में कितनी धूल जमी हुई है खिड़कियां भी कितनी मैली हो चुकी है
पत्नी की बात सुनकर मैं चुप कैसे रह सकता था मैं भी बोल पड़ा
इसमें मैं क्या करूं .. मैं ड्यूटी से आकर थक जाता हूं इसलिए आराम कर लेता हूं घर में बच्चे बड़े हो चुके हैं
बच्चों के साथ मिलकर तुम खुद क्यों नहीं साफ सफाई कर लेती
2 दिन से देख रहा हूं घर में कूड़े की बाल्टी भरी हुई है पूरा घर बदबू से महक रहा है तुम घर में रहती हो कम से कम कूड़े की बाल्टी तो खाली कर दिया करो
तब पत्नी बोली मैं कूड़े की बाल्टी कैसे खाली करूं .. 2 दिन से नगर निगम की कूड़े वाली गाड़ी हमारी गली में नहीं आ रही है कुछ मजदूर आए थे सड़क की खुदाई करके ना जाने कहां मर गए सड़क खुदी हुई पड़ी है अब इसमें मेरा क्या कसूर है की गाड़ी सड़क के गड्ढे के इस पार नहीं आ पा रही है
तो इसमें सोचने वाली क्या बात है मोहल्ले से बाहर कूड़ा दान बना हुआ है तुम कूड़ा वहां जाकर भी तो फेंक सकती हो मैंने पत्नी को समझाते हुए कहा
तब पत्नी भड़कते हुए बोली .. अच्छा अब मैं कूड़ा इतनी दूर फेंकने जाऊंगी आजकल के पुरुष तो अपनी पत्नियों को सब्जी तरकारी लेने भी नहीं भेजते और तुम मुझे… कूड़ा फेंकने के लिए कह रहे हो
मेरी बात सुनो ध्यान से ..
गली में 2 दिन से एक कूड़े वाली अम्मा आ रही है अपना एक रिक्शा लेकर उसने मुझसे कहा था मुझे महीने के ₹50 दे दीजिए मैं खुद आपका कूड़ा रोज समय पर ले जाऊंगी
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₹50 तो बहुत ज्यादा है मैंने बिगड़ते हुए कहा
तब पत्नी बोली महीने में एक बार ही देना है और फिर मुझे बार-बार कूड़े की गाड़ी का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा
तब मैंने पत्नी से कहा जब दिल्ली नगर निगम ने मुफ्त कूड़े की गाड़ी हर मोहल्ले में चलवा रखी है तो फिर पैसे खर्च करने की क्या जरूरत है
फिजूल खर्ची बिल्कुल बंद करो मेरा ड्यूटी का समय हो रहा है दिनभर बच्चों के साथ मिलकर घर की साफ सफाई कर लेना और जितना भी कूड़ा इकट्ठा हो जाए उस कूड़े को मोहल्ले के बाहर बने कूड़ेदान में फेंक
आना
मैं ड्यूटी के लिए निकल पड़ा शाम को 6:00 बजे घर लौटा तो
घर एकदम दमक रहा था पंखे चमचमा रहे थे खिड़कियों में नया रंग रोगन हो चुका था ऐसे लग रहा था जैसे खिड़कियां अभी-अभी नई लगवाई हो
तब बच्चे बोले पापा हमने मम्मी के साथ मिलकर घर की साफ सफाई की है अभी तक हमने और मम्मी जी ने खाना भी नहीं खाया
तब पत्नी बोली मैं पतीले में दाल चढ़ा देती हूं
पत्नी और बच्चों की मेहनत देखकर मुझे तरस आ गया उनको खुश करने के लिए मैंने कहा चलो आज तुम सबको होटल में खाना खिलाता हूं मम्मी काफी थक चुकी है इसलिए घर में खाना आज नहीं बनेगा
पत्नी जल्दी-जल्दी नए कपड़े पहन कर तैयार हो गई और शीशे के सामने मेकअप करने लगी मैं दरवाजे के बाहर खड़ा पत्नी का इंतजार करने लगा मगर काफी देर होने के बाद जब पत्नी दरवाजे के गेट पर ना पहुंची तो मैं कमरे के भीतर गया
पत्नी रूहासे मुंह बोली .. मेरे सोने के झुमके नहीं मिल रहे हैं अलमारी के हर एक खाने को छान मारा न जाने कहां गायब हो गए
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पत्नी के साथ मिलकर मैंने भी झुमके तलाशने में मदद की लेकिन हर कोशिश बेकार गई एक एक पूंजी जमा करके पत्नी के लिए झुमके बनवाए थे अब पत्नी ने न जाने कहां खो दिए मैं मन ही मन पत्नी को डांट रहा था
तब मैंने विचार करके पत्नी से कहा दिनभर तुम्हारे साथ मिलकर बच्चों ने सफाई की थी शायद सोने के झुमके कूड़े में चले गए होंगे
और कूड़ा भी तुम लोगों ने फेंक दिया मोहल्ले के बाहर जो कूड़ा दान बना हुआ है वहां कूड़ा चुगने वाले हर समय मौजूद रहते हैं
मुझे तो नहीं लगता कि अब हमारे सोने के झुमके हमें वापस मिल पाएंगे
तब बड़ी बेटी ने बताया पापा हमने साफ सफाई करने के बाद सारा कूड़ा.. एक बड़े से नीले थैले में भरकर कूड़े वाली अम्मा को दे दिया था और मम्मी ने हम सब बच्चों से कहा था कि मैं कूड़े वाली अम्मा को हर महीने ₹50 दे दूंगी मगर यह बात पापा को मत बताना
बेटी की बात सुनकर पहले तो मैं क्रोधित हुआ फिर मैं थोड़ा निराश हो गया और पत्नी से कहने लगा
कूड़े में गया सामान क्या कभी वापस मिला है
कूड़े वाली अम्मा को तुमने कूड़ा दे दिया उनका तो धंधा यही है
हर घर से कूड़ा मांग कर ले जाना और उस कूड़े की तलाशी लेना
अगर उस कूड़े वाली अम्मा को सोने के झुमके मिल जाएंगे तो वह कभी नहीं लौटाएगी अब मुझे एक-एक पैसा जोड़कर फिर तुम्हारे लिए सोने के झुमके बनवाने पड़ेंगे पत्नी चुपचाप खड़ी होकर मेरी बातें सुनती रही…
तभी दरवाजे पर खटखट हुई बेटी ने दरवाजा खोला तो एक अधेड़ उम्र की महिला जिसने सूट सलवार पहना हुआ था मुंह पर कपड़ा बंधा हुआ था पैरों में पुरानी सी घिसी हुई चप्पल थी भारी आवाज में बोली
जी अभी आधे घंटे पहले मैं आपके घर से कूड़ा ले गई थी जब मैंने कूड़े को पलटाया तो उसमें एक चमकती हुई चीज नजर आई गौर से देखने पर पता चला वह सोने का झुमका था उस कूड़े को हमने और खंगाला तो उसमें एक सोने का झुमका और मिला मुझे झुमके मिलते ही मैं दौड़ी दौड़ी जल्दी से तुम्हारे घर की तरफ चल पड़ी
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मुझे पूरा यकीन था यह नीले रंग का कूड़े वाला थैला मैंने आपके घर से ही लिया था उसने हाथ बढ़ाते हुए कहा यह लो आपकी अमानत
उस कूड़े वाली अम्मा के हाथों में सोने के झुमके देखकर मेरी शर्म से आंखें झुक गई मुझे यकीन ही नहीं था की सोने के झुमके वापस मिल जाएंगे अगर कूड़ा मोहल्ले के कूड़े दान में फेंक दिया गया होता तो कभी ना मिलता या कूड़े की गाड़ी में डाल दिया गया होता तो भी झुमके वापस नहीं मिलते
लेकिन कूड़े वाली अम्मा को कूड़ा देने से हमारी खोई चीज वापस मिल गई
पत्नी ने जल्दी से उस अम्मा को घर बैठने के लिए आग्रह किया
और चाय पानी पीने के लिए विनती की
मगर वह जल्दी में थी उसने कहा बच्चे घर पर इंतजार कर रहे हैं शाम का खाना भी तैयार करना है इतना कह कर वह चली गई
मैंने पत्नी को धन्यवाद देते हुए कहा तुमने ठीक किया जो कूड़ा तुमने कूड़े वाली अम्मा को दिया इतना कीमती सामान उस अम्मा ने हमारे घर लाकर हमें दिया …… उसके लिए हमें भी कुछ करना चाहिए
दीपावली आने वाली है हमें भी उनके लिए कोई बड़ा सा तोहफा उन अम्मा को देना चाहिए कूड़े वाली अम्मा की ईमानदारी की कदर होनी चाहिए उसका सम्मान होना चाहिए
और मैं एक बात और कह दूं घर का सारा कूड़ा अब दिल्ली की नगर निगम वाली गाड़ी में नहीं फेंकना उस अम्मा को ही देना और महीने के 50 नहीं सो रुपए देना
जब से नगर निगम की गाड़ी गली गली घूम रही है इन लोगों की तो रोजी-रोटी ही मारी गई है
तब पत्नी बोली मोहल्ले में अभी भी कुछ ऐसे घर हैं जो लोग नगर निगम की गाड़ी में कूड़ा नहीं फेंकते बल्कि उन्होंने अपने घर पर कूड़े वाली अम्मा को कूड़ा ले जाने के लिए लगा रखा है ताकि उस अम्मा का भी परिवार पलता रहें
तब मैं मन ही मन सोचने लगा कूड़े वाली अम्मा आज बहुत खुश होगी क्योंकि मोहल्ले में उसका एक मेंबर और बढ़ गया
और मुझे अपनी भूल पर भी पछतावा हुआ बिना सोचे समझे किसी को भी बुरा भला नहीं कहना चाहिए
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लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना