अफसोस – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मैने अपनी जिंदगी मैं “ना ” कहना नही सीखा था | इसका अफसोस हमको हमेशा होता है | मैने ” ना ” कहा होता तो शायद मेरी जिंदगी आज इस मकाम पे नही होती |

मैं अपने परिवार वालो की हर सही ,गलत  बातो को मानती | कभी मना नही किया |इस कारण मेरे परिवार वालो ने कभी मेरा सम्मान नही किया | आज भी याद है , मैने जब, जब नौकरी करने की बात की तब, तब परिवार के सभी लोगो ने मना कर दिया | अमित मेरे हसबैंड ने बोला तुम नौकरी करोगी तो घर के काम कोन करेगा ?

मां पापा को कोन संभालेगा ? वैसे तुम्हारी मर्जी? जो चाहो करो | बात यही रफा दफा हो जाती | सास ससुर आपस में बाते करते  नौकरी कर के करेगी क्या?कितना कमा लेगी ? उनकी बातो  का कभी खंडन नही कर पाई | की मैं क्यों कमाना चाहती हू | 

मेरे मायके में मेरी भतीजी की शादी तय हो गई | मैं बहुत खुश थी | रोज रोज सोचती क्या दूंगी भतीजी को ? होने वाले दामाद को क्या दूंगी? अमित से भी इस बारे में  बात किया | लेकिन उनका भी जबाव था ,कुछ भी दे देना | हमको बहुत दुख हुआ | 

आज अगर मैं कमाती तो शायद अपने तरीके से मैं अपनी भतीजी के लिए कुछ कर पाती |

उसकी  शादी का दिन भी आ गया |किसी ने कुछ भी नही बोला सभी लोग शादी में गए, और खाना खा के चलते बने | क्या देना है ? इस बारे में किसी ने हमसे बात करना भी जरूरी नही समझा | 

बुरा लगा , बहुत ज्यादा बुरा लगा , | अपने आप पे बहुत गुस्सा आया | 

मैं मायके से ससुराल आई |   सब  बैठ के चाय पी रहे थे | सास ,ससुर ,अमित ,और मेरी बेटी  |

अमित ने पूछा शादी ठीक से हो गई? सासु मां ने पूछा ,क्या हुआ? तुम बहुत गुस्से  में लग रही हो?सब ठीक  है ना? 

हमको रोना आ गया | बेटी ने बोला क्या हुआ मां? 

मैने बोला बेटा तुम मेरी एक बात गांठ बांध लो | तुम खूब पैसा कमाना | और खुश रहना | अपने परिवार वालो की खुशी के लिए अपनी खुशी को कभी नही मारना और जिंदगी में  ” ना ” कहना जरूर सीखना | 

मैं नही चाहती जिस बात का अफसोस हमको है , वही मेरी बेटी को रहे | 

सास ,ससुर ,अमित सब मेरी ओर देखने लगे सबको समझ आ गया |की मैने ऐसा क्यों बोला |  बेटी ने हमको गले लगा लिया और बोला बिल्कुल मां | आप की बात मैं हमेशा ध्यान रखूंगी | 

रंजीता पाण्डेय

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