इतना गुमान ठीक नही .….. परिस्थितियां मौसम के तरह जाने कब रंग बदल ले – रंजीता पाण्डेय   : Moral Stories in Hindi

रीता जी (उम्र बयालीस साल)  और उनकी बेटी रिया  (सोलह साल) दोनो एक साथ रहती थी | रिया के पापा अमेरिका में  काम करते थे | दो , तीन साल में घर आते थे ,वो भी कुछ महीनो के लिए |   लेकिन वो हमेशा रीता जी को बोलते की रिया का अच्छे से ध्यान रखना | जो भी उसको चाहिए ,दिलाना | खूब घूमना , जितना पैसा चाहिए मैं भेज दुगा | रीता जी ने बोला बस बस आप अपना ध्यान रखिए, मैं रिया का ध्यान रखूंगी | 

रिया की आदते बिगड़ती जा रही थी | उसका व्यवहार रीता जी के साथ कुछ ठीक नही था  | वो हर बात पे  अपनी मां को बोलती आपको कुछ नही आता मम्मा , आप जिंस क्यों नही पहनती ? ऑनलाइन पेमेंट करने  तक नही आता आपको ? इस तरह की बहुत सी शिकायते थी | रिया को अपनी मम्मा से | रिया रात को दोस्तो के साथ घूमना चाहती | रीता जी हमेशा मना करती | बोलती चलो बेटा आपको जहा जाना है मैं साथ चलती हूं , तो उनकी बेटी को अच्छा नही लगता | रीता जी हमेशा मना करती  थी उसको |

और  समझाती की रात को अकेले  नही जाते |वो गुस्सा हो जाती | रिया हर जगह कार ले के जाना चाहती | लेकिन १८ की ना होने के कारण उसका लाइसेंस नही बना था | इस लिए वो दूर कार ले के नही जा पाती| अपने मम्मा को बार बार बोलती की आप कार भी चलाना नही जानती | मुझे देखो मम्मा मैं कितनी छोटी हु फिर भी मुझे सब कुछ आता है | आपको कुछ नही आता |  रीता जी को  रिया की बात सुन तकलीफ होती  |

रीता जी ने बोला , 

बेटा ” इतना गुमान ठीक नही …. परिस्थितियां मौसम के तरह जाने कब रंग बदल ले ,,|  

रिया ने गुस्से से बोला हा ,  हा ठीक है देखती हू आप कब बदलेगी ?? 

रिया कंप्यूटर कोर्स करने के ६ महीने के लिए बाहर दूसरे शहर चली गई | फिर क्या था रीता जी बिल्कुल अलेके हो गई | उनका मन अपनी रिया में ही लगा रहता | रीता जी अकेले बोर होने लगी ,उन्होंने सोचा क्यों  ना मैं भी कंप्यूटर कोर्स कर लू?ये बात अपने दोस्त से बोला | उनकी दोस्त ने बोला बहुत अच्छा रहेगा चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं | तुम अपनी कार ले के चलो हम दोनो जल्दी पहुंच जाएंगे | रीता जी ने सकुचाते हुए बोला ,कार,, क्यों क्या हुआ ?

कार खराब है क्या? नही नही हमको चलाना नही आता | उनकी दोस्त ने बोला ,तो क्या हुआ मैं तुमको सीखा दूंगी | रीता जी बहुत खुश हुई | और दो चार दिन में ही रीता जी ने कार चलाना सीख लिया | फिर क्या था अब तो, कोई भी काम होता रीता जी कार से ही जाती | रोज कंप्यूटर क्लास जाती| धीरे धीरे उन्होंने , कंप्यूटर अच्छे से चलाना सीख लिया | कंप्यूटर क्लास जिंस पहन के जाती | उन्होंने अपने आप को बहुत चेंज कर लिया |

रिया का कॉल आया, रिया रो रही थी ,बोली मम्मा आप जल्दी मेरे पास आ जाओ , मेरा पर्स किसी ने ले लिया है , मेरे पास पैसे नही हैं, मुझे बहुत डर लग रहा है,ओके ओके बेटा मैं आती हू तुम रो नही,अपना लोकेशन सेंड करो बेटा ,मम्मा आप लोकेशन ,, लेकिन कैसे,?

तुम सेंड करो ,फिर जल्दी से रीता जी अपनी कार से बेटी का पास पहुंच गई ,और बेटी को ले के घर आ गई, रिया अभी भी सदमे में थी और बोली मम्मा आप ये सब,,,,हा  बेटा मैने तो चेंज कर लिया अपने को ,लेकिन तुम कब अपने को चेंज करोगी ?आज अगर तुम्हारे  साथ कुछ हो जाता तो? मैने बार बार मना किया के रात को जरूरी ना हो तो नही निकला करो ,लेकिन तुमने माना नही,घर ही आना था तो कल आ जाती, मम्मा आज मैं समझ गई , आप क्यों हमको रोकती टोकती थी,

आज रीता जी खुश थी उन्होंने सोचा की अगर मै लोकेशन ट्रेस करना नही सीखती ,तो अपनी बेटी को कैसे खोजती , इस लिए बहुत जरूरी है की आज की नई टेक्नोलॉजी को सीखना, मेरी बेटी के कहने का ढंग गलत था , लेकिन मैं सब कुछ सीख के बहुत अच्छा महसूस कर रही हू ,

बहुत जरूरी है समय के साथ  खुद को बदलना , मैने तो बदल लिया अपने आपको,,,

रिया बहुत खुश थी ,बोला मम्मा आपने ये सब कैसे किया ?  मैने तो अपनी बेटी के लिए किया सब | पर अब आप बताओ रिया बेटा आप कब अपनी आदतों को बदलोगी? ,

रीता जी रिया अब दोनो के बीच अब सब बहुत अच्छा हो गया |

 रिया मन ही मन सोचने लगी मम्मा सही कहती थी ” इतना गुमान ठीक नही … परिस्थितियां मौसम के तरह जाने  कब रंग बदल ले | आज मम्मा ने मेरे लिए अपने आपको पूरी तरह बदल लिया है | अब मेरी बारी है |

रंजीता पाण्डेय

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