ई का करत हो बहुरानी… – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

पहला दिन था इसलिए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। करे तो क्या करें?शादी कर के कल रात को ही तो इस घर में आई थी, सुबह सवेरे मड़वा में पूजा करने के बाद पंडित जी ने कहा अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले लो ।सामने बहुत सारी महिलाएँ खड़ी थी।अब सब के पाँव छूकर आशीर्वाद लूँ और हाथ जोड़ कर कृतिका के समझ ही नहीं आ रहा था।

तभी उसने देखा पास में दादी सास, नानी सास बैठी है वो उनके चरणों में झुकी तो आशीष की बरसात होने लगी। कृतिका को याद आया माँ हमेशा कहा करती थी,“ बेटा जब समझ नहीं आये सामने कौन है तो बस एक नजर देखना ,उम्र में बड़े लोगों का आशीर्वाद ही मिलेगा चाहे वो कोई भी हो।” बस कृतिका सबसे आशीर्वाद लेने लगी।

तभी वो एक महिला के चरणों में झुकने लगी तो वो बोली,“ अरे अरे बहुरानी ई का करत हो…. हम तो ई घर में खाना बनावे खातिर आत रही..हमार पैर ना छुआ..!”( अरे बहुरानी ये क्या कर रही हो.. मैं तो इस घर में खाना बनाने के लिए आती हूँ, मेरे पैर ना छुओ)

 कृतिका उनके पैर छू चुकी थी।

वो बोली ,“ आप मुझसे बड़ी है, आशीर्वाद दे दीजिए।”

सुनकर वो गदगद हो कृतिका को आशीर्वाद दे कर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए बोली,“ तोहार झोली हमेशा ख़ुशियों से भरल रहें ।”(तुम्हारी झोली ख़ुशियों से भरी रहे)

कुछ औरतें हँसने लगी तो सास ने कहा,“ कोई बात नही पहला दिन है ,इसको क्या पता सामने कौन कौन है? हमने भी तो इसका परिचय किसी से नहीं करवाया।वैसे भी अम्मा तो इतने सालों से हमारे घर में खाना बना रही है वो घर की सदस्या जैसी ही है।अच्छी बात कही बहू बड़ों से आशीर्वाद लेने में कोई हर्ज भी नहीं है ।”

 वक़्त गुज़रता गया और अम्मा से कृतिका की खूब बनने लगी थी। अब तो वो साठ साल की हो गई थी । कृतिका की सास गुजर चुकी थी। घर के आँगन में आज फिर एक मड़वा सजा था। नई नवेली बहुरानी नूरी भी आज उसी दोराहे पर खड़ी थी , आज उसका भी पहला दिन था और पंडित जी ने कहा सभी बड़ों से आशीर्वाद ले लो।

 नूरी आगे बढ़ी और एक बुजुर्ग महिला के चरणों में झुक गई। 

“ अरे ई का करत हो नई बहुरानी हम तो ई घर में खाना बनावे खातिर रही…।” ( अरे ये क्या कर रही हो नई बहू , हम तो घर में खाना बनाने के ख़ातिर रहते)अम्मा ने कहा 

“ तो क्या हुआ अम्मा, यहाँ पर सबसे बड़ी आप है और बड़ों से आशीर्वाद मिल जाए तो हर्ज ही क्या है ।” कहती हुई नूरी अब अपनी सास की और बढ़ीं 

कृतिका उसे गले से लगाती हुए बोली,“ आज मेरी बहू का पहला दिन है इसलिए इसे समझ नही आ रहा होगा किससे आशीर्वाद ले पर वो भी जानती है बड़े कोई भी हो आशीर्वाद लेने से दुआएँ ही मिलेगी … फिर अम्मा अब तो आप ही अभी इस घर में सबसे बड़ी हो… माँ जी के जाने के बाद मुझे एक माँ की तरह आपने ही तो संभाल के रखा है अब अपनी इस बहुरानी का भी साथ निभाना ।”

अम्मा की आँखें सजल हो गई। उन्हें ऐसा लगा सालों पहले वाली कृतिका बहू नूरी के रूप में लौट आई है ।जिसने सदा अम्मा को एक माँ का मान सम्मान दिया बस एक आशीर्वाद के बदले ।

शादी के बाद अक्सर नई बहू के साथ ऐसा होता है, सामने कौन है पता नहीं होता और पहले दिन में ऐसी बातें हो जाती है पर अगर संस्कार अच्छे हो तो वो सब का मान सम्मान करना जानते हैं नहीं तो कोई और होता तो सोचता ये मैंने क्या कर दिया।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# बहुरानी

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