भविष्य दर्शन (भाग-31) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

ठीक दस बजे सुबह आनंद अपनी बाइक लेकर आ गया ।पदमिनी भी तैयार होकर उसका इंतजार कर रही थी ।

अपनी घड़ी दिखाते हुए आनंद ने कहा _  देख लीजिए मैडम मैं आपके हुकम के अनुसार एक दम सही समय पर आया हूं।अब आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए।

हा हा मैं जान गई तुम बड़े प्रफेक्ट लड़के हो।पद्मिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।फिर पूछा कुछ खाए पिए हो या ऐसे ही चले आए।

खाया तो था यार लेकिन तुमको देखते ही मेरी भूख बढ़ गई कुछ खिलाओ न बड़ी जोर की भूख लगी है।

आनंद ने अपने पेट पर हाथ फेरते हुए कहा।

उसकी इस हरकत पर पद्मिनी खिलाकर हसने लगी । बदमाश कही के एक नंबर के नौटंकी बाज हो ।तुमसे कुछ क्या लिया तुम तो एक नंबर के भूक्खड़ निकले ।चलो आओ तुम्हे खीर पूड़ी हलवा और उड़द की जलेबी खिलाती हूं।पदमिनी ने हंसते हुए कहा।

क्या सच में तब तो मजा आ जायेगा।देरी मत करो जितना जल्दी हो खिलाओ ।खीर पूड़ी सुनकर तो मेरी भूख और बढ़ गई है यार ।मुझसे बर्दास्त नही हो रहा है।

हे भगवान तुमको इतनी जोर की भूख लग गई ।लेकिन मेरे पूछने से पहले तो नही बताया कि तुम इतने भूखे हो ।पदमिनी ने मजाक करते हुए कहा।

अब बातो में समय मत गवाओ चलो पहले स्वादिष्ट भोजन के दर्शन तो करवाओ।तभी पदमिनी की मां आ गई।आनंद की बात सुनकर बोली _  देखो बेटी आनंद बेटा भूखा है इसे जल्दी अंदर ले चलो और खिलाओ।

तुम भी कहा इसकी बातो में आ गई। अभी सुबह के दस बज रहे हैं।बोलो इतनी जल्दी किसको भूख लगती है।ये नाटक कर रहा है। इसकी बहन इसको बिना खाए घर से निकलने नही देती है ।दम भर खाकर आया होगा।और यहां नौटंकी कर रहा है।पदमिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।

देख रही हो काकी एक तो ये खुद ही पूछ रही है ।खीर पूड़ी का नाम ले रही है उपर से कुछ देना तो दूर मेरा मजाक उड़ा रही है।आप इसको छोड़िए चलिए आप ही कुछ खिलाइए।आनंद ने बेसब्री से कहा।

बेटी क्यों इसको परेशान कर रही है।इसके लिए खुद ही इतना कुछ बनाई है और अब इसका मजाक उड़ा रही है।

अपनी मां की बात सुनकर वो हसने लगी ।

अच्छा तो ये बात है । कमाल है भाई मेरे नाम पर इतना कुछ बनाया और घर आए मेहमान को इस तरह भूखा रखते तो पहली बार देख रहा हूं।

आनंद ने जूठी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा।

ज्यादा नाटक मत करो चलो चुपचाप हाथ मुंह धो लो और जितना खाना है गले तक खाओ।तुम्हारे लिए स्पेशल पनीर की सब्जी भी बनाई है।उसने मुस्कुराते हुए कहा।

देखो काकी ये मुझे सुना सुना कर ललचा रही थी खिला नही रही है।आनंद ने कहा और अपनी बाइक के स्टेंड पर खड़ा कर पद्मिनी की बांह पकड़ा और खिंचता हुआ घर के अंदर ले गया और बोला_ अब एक शब्द मत बोलना ।पहले जितना बोली हो खिला लो फिर बात करना ।

उसकी इस हरकत पर पद्मिनी की मां हसने लगी ।उन दोनों के पीछे पीछे आते हुए सोचने लगी।दोनो जल्दी से अपनी पढ़ाई पूरी कर लेते तो दोनो परिवार से सलाह कर इनका विवाह करा देती ।कितना प्यार है दोनो में।

पदमिनी की मां ने जमीन पर चटाई बिछा दिया ।दो पीढ़ा आमने सामने रख दिया.तब तक आनंद हाथ मुंह धोकर आ गया ।

वो एक पीढ़ा पर बैठ गया।

थोड़ी देर में पद्मिनी एक थाली में खीर पूड़ी ,पनीर की सब्जी,हलवा ,सलाद, पापड़,अचार,चटनी और आम के फल काटकर अलग अलग कटोरी में सजाकर ले आई ।

आनंद ने दूर से ही स्वादिष्ट भोजन की खुशबू के सूंघ लिया था वो बस पद्मिनी के आने का इंतजार कर रहा था।

जैसे ही वो भोजन की थाली लेकर उसने हाथ बढ़ाकर ऊपर से ही उसके हाथ से थाली झपट लिया और खाने पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा।

सबका एक एक कौर खाने के बाद वाह वाह करने लगा।

अभी वो खा ही रहा था तभी पद्मिनी का एक सेवक ने आकर बताया बाहर कुछ लोग आपसे मिलने के लिए आए हुए हैं दीदी ।उनको क्या बोलूं।

पदमिनी ने अपनी मां से कहा _ मां मैने आज किसी से मिलने का कार्यक्रम रद्द कर दिया था।शायद इन लोगो को जानकारी नहीं होगी तुम जाकर उनको बैठक खाना में बैठाओ।और अपने सेवक से बोली तुम जाकर सबको चाय पानी पिलाओ मैं आनंद को खाना खिलाकर आती हूं।

सबके जाते ही आनंद ने कहा ,_ सच सच बताओ खाना तुमने बनाया है या तुम्हारी मां ने ।

तुमको क्या लगता है।पद्मिनी ने उल्टे सवाल किया।

मुझे तो लगता है सुंदर लड़की को खाना बनाने नही आता है।आनंद ने मुस्कुराते हुए कहा।

अच्छा तो तुमको लड़कियों के पाक कला का बड़ा ज्ञान है।बताओ अब तक कितनी लड़कियों के हाथ का बना खाना खा चुके हो।पदमिनी ने नाराज होते हुए कहा

अरे बाबा मैं तो मजाक कर रहा था।तुम तो नाराज होने लगी।जरा अपना हाथ लाना ।

क्यों मेरा हाथ कभी देखा नहीं है क्या ।

देखा है यार कई बार देखा है लेकिन इस बार कुछ विशेष है तुम्हारे हाथो मे।

नही मुझे हाथ नही दिखाना है।पद्मिनी ने कहा ।

अच्छा चलो मत दिखाओ मगर खीर तो और लाओ।

पद्मिनी ने उसे बड़े प्रेम से पेटभर कर खाना खिलाया ।खाना खा कर उसने बड़ी जोर की डकार लिया और हाथ मुंह धोकर उसने धीरे से पद्मिनी की कलाई को पकड़ लिया और अपने होठों से चूम लिया।

पद्मिनी सिहर उठी  उसे बहुत अच्छा लगा मगर डांटते हुए बोली एक तो मैंने तुम्हे इतने प्रेम से खाना खिलाया और तुम शैतानी करने लगे।

आनंद ने मुस्कुराते हुए इस बार उसकी एक अंगुली पकड़ लिया और अपने हाथ की अंगुली से सोने की अंगूठी निकालकर पहना दिया और बोला _ जिस तरह तुमने प्यार से खिलाया उसी तरह मैंने भी अपने प्यार की निशानी दे दिया ।

आज तुमने अपने इन नाजुक मुलायम हाथों से जितना स्वादिष्ट भोजन खिलाया है सच बता रहा हूं आजतक ऐसा भोजन कभी नहीं खाया । तुम्हारे हाथों  में सचमुच लक्ष्मी का वास है ।तुमने आज मेरा दिल जीत लिया ।

झूठी तारीफ मत करो।मुझे बातो मे मत उलझाओ।पदमिनी ने कहा।

बोलो तो सीना चीर कर दिखा दूं आनंद ने कहा।

रहने दो तुम लडको को बाते बनानी बहुत आती है ।

पदमिनी ने कहा ।

अरे यार मैं तुमको कैसे विश्वास दिलाऊं।आनंद ने उसे मानते हुए कहा।

तुम जब से मिली हो तब से मैं केवल तुम्हारे ही बारे में सोते जागते सोचता रहता हूं।तुम्हारे लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता हूं।

बस बस अब ज्यादा प्यार मत छलकाओ वरना मेरी आंखों से आंसू छलक पड़ेंगे।पदमिनी उसकी बातो से भाऊक होकर बोली ।उसकी आंखो मे आनंद के लिए प्यार का सागर हिलोरे मार रहा था।

वो जानती थी आनंद उसे सच्चा प्यार करता है ।वो सच कह रहा था।लेकिन जितना एक लड़का खुलकर अपने दिल की बाते कह सकता है उतना एक लड़की नही कह सकती।झिझक और लाज शर्म का पर्दा पड़ा रहता है।

हालांकि वो भी उससे दिलो जान से चाहने लगी थी।

लेकिन उसने जो आनंद के बारे में घटनाएं घटित होते देखी थी उससे वो काफी चिंतित थी ।वो काफी भाऊक हो रही थी ।इसलिए आज एक पूरा दिन आनंद के साथ बिताना चाहती थी  उसे जीभर कर प्यार करना चाहती थी ।

क्या तुम्हे अब भी मेरी बातो पर यकिन नही है आनंद पुछ रहा था।

पदमिनी की तंद्रा भंग हुई वो अपनी सोचो के काफिले से बाहर आई और रोती हुई दौड़कर उसके सीने से लिपट गई।

आनंद उसका यह रूप देखकर आवाक रह गया ।अरे अचानक तुम्हे क्या हो गया है।

उसने उसके पीठ और सर पर प्यार से हाथ फेरते हुई पूछा ।वो कुछ नही बोली बस उसके सीने से लगकर अपनी धड़कनों का एहसास उसे करा रही थी की उसका दिल भी तुम्हारे लिए ही धड़कता है ।

तभी उसकी मां आ गई ।उसने अपनी बेटी को इस हाल में देखा तो वो भी चौंक गई ।उसने अपना गला साफ किया ।

पदमिनी को अपनी मां के आने का एहसास हुआ ।उसकी आंखे आंसुओ से भींगी हुई थी।

अपने आपको संभालो यार आज क्या हो गया है तुम्हे ।आनंद ने कहा।

लेकिन उसकी मां अपनी बेटी के दिल का हाल समझ रही थी ।एक दिन पहले ही उसने आनंद के बारे में बताया था की उसके साथ बड़ी घटना घटने वाली है ।

तुम दोनो को बाजार भी जाना है बेटी है देर हो जायेगी । जाओ जल्दी होकर आओ ।

उससे पहले बाहर जो लोग आए हैं उनसे मिल लो।उसकी मां ने कहा।

ठीक है मैं आती हूं।आनंद ने अपने हाथो से उसकी आंखो से आंसू पोंछे और कहा तुम तैयार होकर आओ मैं बाहर तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।

पदमिनी ने कहा ठीक है।

आनंद जब बाहर बैठक खाने में गया वाह पांच लोग बैठे हुए थे जिनमे तीन पुरुष और एक औरत के साथ एक लड़का था।

थोड़ी देर में पद्मिनी वहा आई ।उसने सबसे पूछा क्या काम था ।

एक आदमी ने कहा _ मेरा बेटा बार बार फेल हो जा रहा है जिससे वो आत्म हत्या करने की कई बार कोशिश कर चुका है।तुम कुछ उपाय करो बेटी।

पदमिनी ने अपनी आंखे बंद कर उस लड़के के मस्तिक में अपना संदेश भेजने लगी ।उसने संदेश भेजा की मैं एक होनहार विद्यार्थी हूं।कुशाग्र बुद्धि और विवेक शील हूं ।मैं काफी हार नहीं मान सकता हूं।

जिंदगी में हार जीत लगी रहती है।सबके जीवन में होता है। फिर मैं क्यों आत्म हत्या करूं।

मैं फिर से तैयारी करूंगा और परीक्षा ही नही जिंदगी के हर क्षेत्र में जीत हासिल करूंगा।मुझे बहुत कुछ करना है ।मेरे ऊपर मेरे माता पिता की भी जिम्मेवारी है।मुझे कुछ हो गया तो इनका क्या होगा ।मैं हर्गिज अपनी जान नही लूंगा।

पद्मिनी ने उसके मस्तिष्क में जैसे ही यह संदेश भेजा वो लड़का उत्साह से भर उठा और जोश में बोला मां अब मैं कभी अपनी जान नही लूंगा ।में फिर से परीक्षा दूंगा और इस बार हर हाल मे पास करूंगा ।

उसकी बात सुनकर उसके माता पिता आश्चर्य और खुशी से पागल होने लगे।यह तो चमत्कार हो गया।

जिसे समझा समझा कर सारे लोग थक चुके थे वो कुछ ही पल में बदल गया।

उसके माता पिता ने पदमिनी के सामने हाथ जोड़ लिया और कहा_ बेटी तुमने मेरे बेटे ही नही हम सबकी जान बचा लिया ।क्योंकि अगर इसे कुछ हो जाता हमलोग खुद ही मर जाते यह हमारा इकलौता बेटा है।

वे लोग पद्मिनी को कुछ पैसा देने लगे।

लेकिन पद्मिनी ने कहा_ अभी नही जब आपका बेटा पढ़ लिख कर कोई नौकरी करेगा तब उसकी पहली कमाई से दान के रूप में लूंगी ।

वे लोग खुश होकर उसे दुआए देते हुए चले गए।

आनंद की बाइक पर बैठने से पहले पदमिनी ने उसे पच्चीस हजार रुपए देते हुए कहा _ इसे रख लो।इसमें से आधा मुझ पर खर्चा करना और आधा तुम रख लेना।

कैसी बात कर रही हो यार माना की मैं अभी पढ़ाई कर रहा हूं।इतने रूपये तो नही लेकिन तुम्हे अपने पॉकेट खर्चा  से घुमा फिरा तो सकता हूं।

ऊपर से लड़की से पैसा लेकर लड़का उसपर खर्चा करे यह तो लड़के के लिए बड़े शर्म कि बात है यार ।

वो सब छोड़ो जैसा मैं कह रही हूं करो और चलो ।

आनंद कुछ नही बोला और रुपए अपनी जेब में रखकर अपनी बाइक स्टार्ट कर दिया ।पदमिनी उसकी बाइक पर पीछे बैठ चुकी थी । बाइक को उसने रफ्तार पकड़ा दिया था । उसने बाइक की गति को बढ़ा दिया था।

पद्मिनी ने उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया था।

शहर में कई जरूरी सामान लेने के बाद दोनो पार्क में चले गए।

पार्क में पद्मिनी ने आइस्क्रीम खाने की इक्षा जाहिर की। आनंद ने वाह बने स्टाल से लाकर दे दिया ।दोनो वाह हरी और नर्म घास पर बैठ कर बाते करने लगे।

पदमिनी ने उसे ओमप्रकाश की नई योजना के बारे में बताने लगी।सुनके उसे बड़ा आश्चर्य हुआ ।ये बहुत ढीठ आदमी है इतना नुकसान होने के बाद भी सुधरने का नाम नही ले रहा है।

उस दिन बाल बाल बच गया ।वरना उसका खेल खत्म हो गया था।

आनंद ने गुस्से में कहा।

तभी पद्मिनी के फोन पर मंत्री जी का फोन आया और उधर से बोले तुम्हारा काम हो गया है।

एक खुश खबरी भी है अगले महीने मैं मुख्य मंत्री बनने वाला हूं हम दोनो का प्रयास सफल रहा ।

पद्मिनी ने उन्हे बधाई देते हुए कहा बधाई हो अंकल ।

अब मैं थोड़ी देर में अपने घर के लिए निकलूंगी ।कल आप मेरे घर आइए जरूरी बात करनी है ।

तभी पांच बदमाश वाह पहुंच गए और धीरे से आनंद की पीठ पर बंदूक रखकर बोले चुपचाप हमारे साथ चलो वरना गोली मार देंगे ।

आनंद एक हट्टा नौजवान था उसने उनको कसकर धक्का मारा और पद्मिनी का हाथ पकड़कर खींचता हुआ पार्क के बाहर अपनी बाइक की तरफ भागा।

तभी पीछे से गोली चली लेकिन उसके सिर को छुती हुई निकल गई।

अपनी बाईक को स्टार्ट कर चुका था ।पदमिनी भी बैठ चुकी थी ।उसने बंदूक की गोली की तरह अपनी बाइक को दौड़ा दिया ।वे बदमाश भी एक बोलेरो जिप से उसका पीछा करने लगे।लेकिन वो हवा में उड़ता चला जा रहा था ।

तभी अचानक पुलिस की तीन जिप आनंद के पीछे आकर उसे कवर करने लगी।

पुलिस भी गुंडों पर जवाबी फायरिंग करने लगी ।

अगला भाग

भविष्य दर्शन (भाग-32) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक _  श्याम कुंवर भारती

बोकारो, झारखंड

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