चंदा। – कामनी गुप्ता
तलाक के कागज़ पर दस्तखत करने के पहले मन हुआ एक बार फिर सोच लिया जाए। सुमन अपनी दस साल की बेटी चंदा के पास बैठे बोली… चंदा, मम्मी के साथ रह लोगी न?? चंदा लम्बी सांस लेकर बोली.. मम्मी मुझे पापा भी चाहिए। क्या ऐसा नहीं हो सकता आप अलग- अलग घर में रहने की जगह अलग- अलग कमरे में रह लो?? दोनों दूरियों की वजह जानते थे। बेटी की बातें सुन दोनों की आंखे नम हो गई ! अभय का मन हुआ पत्नी को गले लगाकर सर झुका कर अपने किए की माफ़ी मांग ले। यही हाल सुमन का भी था। पर रिशतों में अहम आ गया था। चंदा पापा को मम्मी के पास ले गई और बोली प्लीज़ समझौता कर लो। मुझे आप दोनों चाहिए। चंदा के आंसू देख दोनों पिघल गए थे और अपने फैंसले पर पछता रहे थे। चंदा ने आखिर समझौता करा दिया था।
कामनी गुप्ता***
जम्मू!
आत्मसम्मान – संगीता त्रिपाठी
“,जी मेरी बेटी है ,आप तो काउंसलर है इसे समझाइए, अपने सर्वगुण सम्पन्न पति को छोड़ना चाहती है ,पागल हो गई है , “
कोने में बैठी निरीह सी लड़की अचानक उठ खड़ी हुई ,”हां मुझे अपने पति से तलाक चाहिए .,ऐसे पति से जो सज्जनता का चोला पहन मुझे हर जगह मानसिक रूप से अपमानित करता है ,मेरे आत्मसम्मान को मानसिक प्रताड़ना स्वीकार नहीं ,दोहरे मानदंड वाले व्यक्ति के साथ मै समझौता नहीं कर सकती ।
लता के अंदर कुछ चटक गया , नन्ही सी इस लड़की ने अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद की … ,एक वो है जो कभी भी पति की प्रताड़ना का विरोध नहीं कर पाई …!!
—– संगीता त्रिपाठी
#समझौता
समझौता – रंजीता पाण्डेय
मेरी शादी मेरा मार्कशीट देख के तय हुआ था | लड़की पढ़ी लिखी है | नौकरी कर लेगी | मैं भी बहुत खुश थी |मेरे ससुराल वाले बहुत अच्छे है |
लेकिन शादी के बाद सब कुछ बदल गया | जिम्मेदरियां बढ़ती गई | जिस कारण पढ़ाई तो कर लिया मैने किसी तरह से , लेकिन नौकरी नही कर पाई |मेरे बच्चे बारहवी तक कभी ट्यूशन नही गए |मैंने ही दोनो को पढ़ाया था | आज बच्चे अच्छे पद पर कार्यरत होने के साथ बहुत संस्कारी भी हैं |
मेरे परिवार वालो का मानना है की ,मेरे समझौते के कारण ही संभव हुआ है |
मैं भी बहुत खुश होती हूं,बच्चो को देख के |मानो मेरा सपना पूरा हो गया हो |
रंजीता पाण्डेय
*सामंजस्य* – बालेश्वर गुप्ता
छोटा भाई सचिन एडवोकेट था,चालाकी और धोखे से उसने अपने बड़े भाई मोहन की अधिकांश संपत्ति हड़प ली।इतना ही नही छोटा होते हुए भी उसने मोहन को अपमानित कर घर छोड़ने को मजबूर कर दिया था।
समय बलवान होता है, मोहन ने नये सिरे से अपने को स्थापित कर लिया।सचिन कैंसर से पीड़ित हो गया।आज सचिन को अपनी करनी पर पश्चाताप हुआ तो बड़े भाई से माफी मांगी और मिलने को बुलाया।
अतीत में सचिन के व्यवहार और उसकी करनी को याद कर एक बार तो मोहन का मन वितृष्णा से भर गया।पर फिर भाई है और उसका अंतिम समय है तो मोहन को आखिर अपनी घृणा और भाई के प्रति प्रेम में सामंजस्य स्थापित करना ही पड़ा और वह चल दिया अपने भाई के दुःख में शामिल होने।
बालेश्वर गुप्ता,नोयडा
मौलिक एवम अप्रकाशित।
हालात – पुष्पासंजय नेमा
शर्मा जी छोटे बेटे पार्थ की शादी मे बहुत खुश थे कह रहे थे अरोरा जी ईश्वर की कृपा से सभी जिम्मेदारी पूरी हो गई दोनो बेटे अच्छा कमाने भी लगे घर के हालात भी सुधर गए अब सुमन को घुमाने ले जाऊंगा
लेकिन ये क्या आज स्कूटर से पोती मान्या को घर ला रहे थे फिर अचानक मुलाकात हो गई रुककर रामरहीम हुई मै कहा बड़ी प्यारी बिटिया है पूरी शिवा पर गई है इतना सुनते ही उनकी ऑखे भर गई भर्राई आवाज मे बताने लगे भैया
शिवा इस दुनिया मे नही है छोटी सी बीमारी मे ही चल वसा
और दिवा की पत्नी भी झगड़ा करके चली गई फिर से वही के वही हालात
हालात कब कैसे बदल गए इसकाअंदाजा लगाना अपने वश की बात नही है इतना कहकर मेरे गले लगकर फफक पड़े
मान्या कुछ भी नही समझ पाई
पुष्पासंजय नेमा
जबलपुर
हालात – सुभद्रा प्रसाद
“अरे सागर, तुम इतने धूप में ठेले पर सब्जी क्यों बेच रहे हो ? एक हफ्ते से स्कूल नहीं आये हो | जानते हो ना, कल परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तिथि है | ” निरंजन बाबू बोले |
” सर, पिताजी बिमार है ंऔर पैसों का प्रबंध हो नहीं पाया है | इसीलिए तो स्कूल छोडकर पिताजी का सब्जी का ठेला चला रहा हूँ , जिससेे फार्म भरने के लिए पैसे जमा कर सकूँ |” सागर बोला |
” ठीक है,कल आकर फार्म भर देना | अगर कुछ पैसे कम पड़ गये तो मैं दे दूंगा | अबसे स्कूल से आने के बाद ठेला लगाना | मुझे खुशी है कि तुममें हालात से लड़ने का साहस है | इसे बनाये रखना | एक सफल इंसान बनोगे | मैं भी यथासंभव तुम्हारी मदद करूँगा | ” निरंजन बाबू उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले |
” जी ,सर |” सागर ने उनके पैर छू लिये |
# हालात
स्वरचित और मौलिक
सुभद्रा प्रसाद
पलामू, झारखंड |
व्यवहार – लतिका श्रीवास्तव
अरे विभू सुना है तुम्हे नौकरी से निकाल दिया गया है और तुम्हारे पापा भी रिटायर हो गए …राम राम अब तो चाय भी नसीब ना हो पाएगी…सारी दुनिया को तो बहुत सीख देते फिरते हैं तुम्हारे शिक्षक पिता जी पर तुम्हें कुछ नही सिखाया लगता है पड़ोसी अंकल ने घर में घुसते ही पिता की तरफ व्यंगात्मक सहानुभूति का तंज फेंका।
जी अंकल सिखाया है ना मेरे पापा ने कि बेटा हालात कितने भी खराब हो जाएं पर तुम और तुम्हारा व्यवहार नही बदलना चाहिए और ऐसे हालातों से डरना नहीं निबटना भी मेरे पापा ने सिखा दिया है लीजिए आप चाय पीजिए विभू ने चाय का कप उन्हें थमाते हुए निरुत्तर कर दिया था।
लतिका श्रीवास्तव
हालात – डाॅक्टर संजु झा
हालात से समझौता करते-करते मीरा थक चुकी थी।दिन भर घरों में काम करके तीन बच्चों का लालन-पालन करती।उसका पति सोमू घर चलाने के लिए एक पैसा भी नहीं देता,उल्टे उससे सारे पैसे छीनकर दारु पी जाता।मना करने पर वह मीरा को रूई की तरह धुन देता।
आज भी दारु के नशे में जब मीरा का पति बच्चों के सामने ही शारीरिक सम्बन्ध बनाने पर उतारु हो गया और मारपीट करने लगा,
तब मीरा के धैर्य ने जबाव दे दिया।अब हालात से समझौता न करते हुए पति को घसीटते हुए वह पास की पुलिस चौकी ले गई और उसे मार-पीट के जुर्म में हवालात में बंद करवा दिया और तीनों बच्चों को लेकर अकेले गुमनाम जगह रहने चली गई।
सचमुच हालात के हाथों व्यक्ति कितना बेबस हो जाता है कि जीवनसाथी के खिलाफ भी कठोर कदम उठा लेता है!
समाप्त।
लेखिका-डाॅक्टर संजु झा(स्वरचित)
हालात – नीलम शर्मा
निया को आज बेस्ट टीचर का अवार्ड मिलने वाला था। वह सोचने लगी कि कैसे उसका पति उसे शारीरिक प्रताड़ना देता था। सात साल तक उसने कितना सहन किया। एक दिन उसकी बेटी ने उससे पूछा कि मम्मी आप क्यों पिटती हैं पापा से? उसी दिन उसने अपने मन में निश्चय किया कि वह हालात के आगे घुटने नहीं टेकेगी, और अपनी बेटी को लेकर अलग हो गई। शुरू में थोड़ी मुश्किलें आई, लेकिन उसे अपने फैसले पर गर्व था। तभी स्टेज पर निया का नाम पुकारा गया , वह पूरे आत्मसम्मान के साथ स्टेज पर पुरस्कार लेने के लिए चल दी।
नीलम शर्मा
हालात सुधर सकते हैं – विभा गुप्ता
बहुत दिनों के बाद नरेश अपने काॅलेज़ के दोस्तों से मिले।बातचीत में उन्होंने पूछा कि क्या बात है.. शरद मिलने नहीं आया..सब ठीक तो है?”
दीपक बोले,” उसके हालात ठीक नहीं है यार..कुछ समय पहले उसके गारमेंट शाॅप में आग लग गई थी..बेचारा दाने-दाने को मोहताज़ हो गया है।”
” ओह!” नरेश ने अफ़सोस जताया और उसका पता लेकर अगले दिन उससे मिलने चला गया।एक कमरे का घर देखकर नरेश चौंक गया लेकिन जब शरद उससे हँसकर मिला तो हैरत में पड़ गया।तब शरद बोला,” शाॅप में आग लगने से मैं बर्बाद हो गया था..अपने-परायों ने भी मुँह मोड़ लिया था तब पत्नी मुझे हिम्मत देते हुए बोली कि मेहनत करके हम बिगड़े हालात को सुधार सकते हैं।मैं एक दुकान पर नौकरी करने लगा।वह भी सुबह खाना बनाने जाती और शाम को बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती।धीरे-धीरे हमारी स्थिति सुधरने लगी..बेटा भी फिर से स्कूल जाने लगा…।” शरत अपनी बात कहते जा रहे थे।नरेश को एक सीख मिली कि हौंसले से हर जंग जीती जा सकती है।
विभा गुप्ता
# हालात स्वरचित, बैंगलुरु