“ रिया चलो आज कॉफी पीने बाहर चलते हैं ।” पति सुहास ने रिया से कहा जो ना जाने किन विचारों में खोई हुई गुमसुम सी खड़ी थी
“ सुन रही हो?” सुहास ने झकझोरते हुए कहा
“हं हाँ क्या कह रहे हो ..?” रिया हड़बड़ाते हुए बोली
“ कहाँ खोई रहती हो रिया…हँसना बोलना सब भूल गई हो चलो तैयार हो जाओ ना कॉफी पीने चलते हैं ।” सुहास ने कहा तो रिया थोड़ा ना-नुकर के बाद तैयार हो गई।
कॉफी शॉप पर बहुत भीड़ थी वो दोनों एक तरफ़ खड़े हो जगह ख़ाली होने का इंतज़ार कर रहे थे तभी किसी ने रिया को आवाज़ दिया।
सामने से उसकी कॉलेज फ़्रेंड कृतिका आ रही थी साथ में उसका पति भी था जो कॉलेज टाइम से उसे भी जानता था।
दोनों रिया और सुहास से बहुत देर तक बातें करते रहे…पुराने दोस्त कभी कभी बेरंग ज़िन्दगी में रंग भर देते है ये सुहास ने रिया के चेहरे पर आई चमक देख महसूस किया कुछ देर बाद चारों फिर मिलने का वादा कर चल दिए।
कृतिका कुछ समय पहले ही इस शहर में आई थी…अब उसकी रिया के साथ फ़ोन पर बातचीत होने लगी थी…
एक दिन कृतिका ने रिया से पूछा,“ तू पहले कितनी चंचल थी यार बात बात पर शायरी और कविताएँ कर लिया करती थीं अब ऐसे चुप चुप सी क्यों रहने लगी है…. और तेरी वो छिपी डायरी किधर है जिसमें हाल-ए-दिल बयान किया करती थी ।”
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“ अब मन नहीं करता कृतिका… मुझे खुद समझ नहीं आता मुझे क्या हो रहा है… सुहास भी कहते रहते हैं तुम हँसना बोलना भूल रही हो… उपर से एक ही बेटा उसे भी विदेशी बना दिया… क्या हमारे यहाँ अच्छे कॉलेज नहीं थे … बस ऐसा लगता है मैं अकेली हो गई हूँ।” रिया ने फ़ोन स्पीकर पर रख कुछ काम करते हुए कृतिका से बातें करने में मशगूल थी
“ मैं तो कहती हूँ फिर से तू अपनी शायरी का पिटारा खोल दे…देखना फिर से चहकने लगेगी ।” कृतिका ने कहा कुछ देर बातें कर फोन रख दिया
दो दिन बाद अचानक रिया के पास एक अनजान नम्बर से मैसेज आया…
उसकी ही एक शायरी लिखी हुई थी और साथ में लिखा हुआ था ऐसे ही और शायरियों का हमें इंतज़ार है क्या आप हमें अपनी शायरी सुनाना पसंद करेंगी?
रिया ये देख कर आश्चर्य में डूब गई… कॉल किया तो वो नम्बर बंद था
उसने लिखा ये नम्बर आपको कहाँ से मिला और ये शायरी… कौन है आप और मैं आपको क्यों अपनी शायरी सुनाऊँ ?
उधर से फिर जवाब आया… बस इतना समझ लीजिए आपका एक क़द्रदान हूँ जो जरा देर से जागा हूँ… देखिए ब्लॉक मत कीजिएगा… हम आपको परेशान करने के लिए फिर एक नया नम्बर ले लेंगे पर आपका पीछा ना छोड़ेंगे ।
रिया उससे बहस करते करते हार गई पर वो चुप ना हुआ वो बार बार रिया से विनम्र विनती करता रहा एक शायरी….
रिया को अपना वो दिन याद आने लगा जब लोग उसकी कविता या शायरी सुन कर एक बार और की शोर कर बैठते थे… रिया ना चाहते हुए भी शायरी सुनाने लगी
ये सिलसिला लगभग दस दिन तक चला…रिया अब थोड़ी ख़ुश रहने लगी थी… सुहास भी ये बदलाव महसूस कर रहा था…. अब तो रिया घर में काम करते हुए भी कुछ ना कुछ गुनगुनाती रहती थी…
एक दिन सुहास रिया को किसी काम से आवाज़ दे रहा था….
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रिया मोबाइल में व्यस्त थी…
“ क्या बात है यार कहाँ व्यस्त हो कब से आवाज़ दे रहा हूँ सुन ही नहीं रही…?” सुहास ने कहा
“ वो ऽऽवोऽऽऽ ।” रिया क्या ही कहती दो दिन से मैसेज जो नहीं आया था
“ कुछ नहीं बस बोल रहा था कि उस दिन कृतिका कह रही थी शायरी और कविताओं की कोई डायरी है तुम्हारी …. अरे हमें भी तो कभी सुनाओ।” सुहास ने रिया को छेड़ते हुए कहा
“ तुम्हें कैसे पता सुहास ये तो हम फ़ोन पर बातचीत कर रहे थे…?” रिया आश्चर्य से पूछी
“ वो मैडम आप स्पीकर पर बात कर रही थी ।” सुहास लापरवाही से बोला
“ ओहहह हाँ …तुम हमारी बातें सुन रहे थे .. बहुत बुरे हो तुम।” रिया झेंपते हुए बोली
“ पर तुम्हें तो शायरी और कविताओं में जरा भी इंट्रेंस्ट नहीं फिर आज अचानक?” रिया आश्चर्य से पूछी
“ अरे सुनाओ ना आज मन कर रहा है ..।” सुहास ने ज़िद्द करते हुए कहा
रिया उसकी ज़िद्द पर सुनाने लगी तो सुहास उसकी अगली पंक्तियाँ बोलने लगा…. रिया आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगी
“ तुम्हें ये सब कहाँ से पता सुहास…?” रिया ने पूछा
“ वही से जहाँ से तुम मैसेज पर उसको सुनाती रहती हो..?” सुहास ने रिया को घूरते हुए कहा
रिया को काटो तो खून नहीं… ये सुहास को कैसे पता … हे भगवान ये क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में…वो आगे कोई मैसेज ना करने के लिए जल्दी से फोन उठाई ही थी कि मैसेज आया…. आज की मेरी शायरी…
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वो एक किनारे हो कर मैसेज की “ अब कभी नहीं…।” कह कर रिया ब्लॉक करने को हुई ही थी कि मैसेज आया…. ये तो तुम्हें ख़ुश रखने का ज़रिया है इसे ही बंद कर रही हो?
“ हाँ क्योंकि मेरे पति को पसंद नहीं है ।” रिया ने लिखा
“ अगर मैं कहूँ तुम्हारे पति को बहुत पसंद है तो..।”
रिया सुहास की ओर देख रही थी वो फोन पर व्यस्त था और मुस्कुरा रहा था…
” देखो अब कभी मुझे मैसेज मत करना।” कह रिया नम्बर ब्लॉक कर दी
तभी सुहास की आवाज़ सुनाई दी “ धत्त तेरी की।”
रिया फोन रख सुहास की ओर भागी…. देखती क्या है सुहास उसके नम्बर पर मैसेज किए जा रहा था
“ ये तुम मुझे मैसेज कर रहे हो पर क्यों… जो है सामने से बोलो ना…।” आवाज़ सुनते सुहास रिया का मुँह देखने लगा
“ अब क्या बोलूँ तुमने तो ब्लॉक कर दिया ।” सुहास मासूम सा चेहरा बना कर बोला
“ मतलब …… वो अनजान नम्बर…. तुम…. शायरी …. कविता… हे भगवान क्या मज़ाक़ है सुहास ?” रिया सुहास को घूरते हुए बोली
“ यार उस दिन तुम दोनों की बातें सुन कर मुझे लगा तुम मेरी वजह से ही खुद को खुश नहीं रख पाती… मैंने शादी के बाद ही तुम्हारी इस खुशी पर रोक लगा दिया था….उस दिन एहसास हुआ अब इस खुशी को सामने तो लाना
है पर जरा निराले अंदाज़ में… बस ये सब उसी की वजह से कर रहा था… नया नम्बर लिया मैसेज किया और फिर तुम्हारे चेहरे पर ख़ुशी दिखने लगी …. दो दिन से व्यस्त था तो मैसेज नहीं किया और मैडम परेशान हो रही थी… वैसे ये नया चाहने वाला लगता ज़्यादा पसंद आ रहा तुम्हें!” सुहास ने सफ़ाई देते हुए रिया को छेड़ा
” तुम भी ना कमाल करते हो….मान लो कोई और होता और वो मेरी शायरी का दीवाना होता तो…।” रिया भी छेड़ते हुए बोली
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“ अजी हम से ज़्यादा आपको कोई चाह ही नहीं सकता।” कहते हुए सुहास ने रिया को आलिंगन में ले लिया
“फिर भी एक अनजान नम्बर से आए मैसेज ने मेरी रिया की ज़िन्दगी तो बदल ही दी क्यों ये तो सही है ना।” सुहास ने कहा
“ हाँ सुहास ये तो सच है और वो अनजान नम्बर मेरा एक नम्बर का चहेता है ।” कहते हुए रिया सुहास के गाल पकड़कर खींच दी
दोस्तों कभी कभी ज़िन्दगी में हम बहुत सारी बातें सोचकर खुद को ख़ुशी से वंचित कर देते हैं अगर ऐसा कुछ वाक़या हो और ज़िन्दगी बदल जाए तो कितना अच्छा हो… मेरी इस कहानी पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
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रश्मि प्रकाश