बोझ – आराधना सेन : Moral Stories in Hindi

जब सिन्दूर पडेगा ना मेरी बिटिया के माथे पर तो कितना चेहरा मे रौनक आयेगी यह तुम्हे नही पता, बेकार मे चिंता करती हैं वह लोग भी अच्छे नही थी देखना उससे भी अच्छे रिश्ते आयेंगे दादी न जाने कितनी ही बाते बडबडा रही थी माँ चूल्हे मे रोटियाँ सेंक रही थी जो कभी जल जाती तो कभी कच्ची रह जाती बाबूजी सर झुकाये खाना खा रहे थे,यह पांचवा रिश्ता था बिटिया के लिए जो न हो सका।

रितु सबकी जान थी घर मे बहुत ही अच्छी संस्कारी सर्वगुण संपन्न, दादी ,माँ बाबूजी भाई किसी को भी शिकायत का मौका नही देती थी,उस समय उस छोटे से शहर मे BA पास का अर्थ था की लडकी बहुत पढाई कर ली अब इसकी शादी करा दो।

शादी के लिए अच्छे से अच्छे घर का रिश्ता आता लेकिन रितु के साँवले रंग की वजह से कोई रिश्ता न हो पाता था।

रितु रात को जब बाथरुम जाने के लिए उठी तो बाबूजी की बाते सुन ली,बाबूजी माँ से बोल रहे था”रमेश जिजा ने कहा हैं की यह वाला रिश्ता जरुर हो जायेगा उन्हे रितु के रंग के बारे मे पता हैं उन्होने सिर्फ थोडा ज्यादा दहेज की मांग की हैं”

“ठीक हैं बुला लिजिये ,रितु हमारी इतनी अच्छी बिटिया हैं जिस घर जायेगी रौशन कर देगी”माँ रिश्ता होने की आश मे बोल पड़ी।

रितु चुपचाप कमरे मे चली गई दादी से लिपटकर रोने लगी”दादी मेरे कारण आपलोग सब परेशान हो न,मेरा रिश्ता फूफाजी ऐसी जगह करवा रहे हैं जो लोग मुझे नही मेरे पापा के दिये पैसो से प्यार करते हैं वह अपने बेटे का रिश्ता पापा के पैसो की वजह से कर रहे हैं ऐसे लोगो के घर मुझे नही जाना”दादी समझ रही थी

उसके मन की वेदना एक लडकी की कितनी ख्वाहिशे रहती हैं अपनी शादी को लेकर अगर उसे पता चले उसकी शादी मे अहम भुमिका पैसो की हैं तो दुखी होना स्वाभविक हैं दादी रितु के पीठ मे हाथ रखकर उसे चुप करा रही थी।

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दादी सुबह आँगन मे खटिया पे बैठकर चाय पी रही थी बाबूजी के आते ही रितु कमरे मे चली गई उसे दादी की बाते सुनाई दे रही थी”रमेश जी से कह दे उस रिश्ते को हमारे घर लाने की कोई जरुरत नही जो अपने बेटे की शादी पैसो से करना चाहते हैं

हमारी बेटी से नही उन्होंने हमारी बेटी के बदले ढेर सारा दहेज मांगा इसका अर्थ हैं उन्हे पैसा ही प्यारा होगा वह  हमारी बेटी को क्या प्यार डेगा,हमे तो ऐसी जगह बिटिया भेजनी हैं जो हमारी बेटी को इसी रंग रुप मे अपनाये, ऐसा हमसफर जो उसे सम्मान के साथ उसके माथे मे सिन्दूर डाल कर अपने साथ ले जाए”

माँ भी दादी की बाते सुन रही थी  उन्होने भी बोला “सच ही तो है हडबडी मे कोई गलत इन्सान को हम चुन न ले,हमारी रितु राजकुमारी हैं उसके लिए कोई राजकुमार ही आयेगा”

बाबूजी भी माँ और पत्नी की बातो को सुनकर सोचने लगे “मेरी बेटी मेरे लिए बोझ तो नही हैं की किसी तरह कहीं भी उसे उतार दूँ,अब तो जो मेरी बेटी को उसके रंग रुप के साथ सम्मान से उसका हाथ खोजेगा, उसी के हाथ मे हाथ दूँगा “

रितु अरे बिटिया जल्दी से बाहर आ चल बाज़ार जाने वाली थी न कंप्यूटर का बेसिक कोर्स मे नाम लिखने, चल जल्दी से,जो होगा देखा जायेगा जब अच्छे रिश्ते आयेंगे तब देखा जायेगा।

रितु खुशी खुशी तैयार होने लगी आज उसके चेहरे की चमक अनोखी थी।

स्वरचित

आराधना सेन

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