टॉयलेट के बगल में गेट के पास आनंद पांच गुंडों से बुरी तरह उलझा हुआ था।पांचों बदमाश एक साथ उसपर हमला कर रहे थे मगर वो एकला उनका जमकर मुकाबला कर रहा था।जिसके चलते गेट बुरी तरह जाम हो चुका था लोग न चढ़ पा रहे थे न उतर पा रहे थे।मारपीट देखकर गेट के बाहर प्लेटफार्म पर काफी भीड़ जमा हो गई थी।
लोग या तमासाबीन बने हुए थे कोई किसी को छुड़ाने का प्रयास नहीं कर रहा था।किसी को समझ नहीं आ रहा था आखिर पांच पांच लोग मिलकर एक लड़के को क्यों मार रहे थे।
आनंद को काफी चोटे आई थी ।लेकिन उसने भी उन पांचों की जमकर धुलाई किया था।
तभी भागती हुई पद्मिनी वहा पहुंची ।वहा का हाल देखकर वो बुरी तरह घबड़ा गई।उन पांचों को आनंद पर हमला करते देख पहले तो वो काफी डर गई लेकिन उसने हिम्मत और सूझबूझ से काम लिया।उसने तुरंत टीटी को फोन कर वहा हालत बताते हुए तुरंत जीआरपी लेकर आने को कहा और अपनी सेंडिल निकालकर उन पांचों पर टूट पड़ी ।उसने उन पांचों के सिर पर सेंडिल की हिल से खटाखट मारना शुरू किया।
वे पांचों दर्द से बिलबिला उठे। एक गुंडे ने अपनी मोबाइल में पदमिनी का फोटो देखते हुए चिल्लाकर कहा_ अरे इस लड़के को छोड़ो इस लड़की को पकड़ो ।इसी को उठाना था ।अपनी रिवाल्वर निकालो और इसे उठाकर ले चलो ।
तभी पदमिनी ने अपना हाथ रोक लिया और गुंडों के सरदार के मस्तिष्क में संदेश भेजा _ तुम यह क्या कर रहे हो।यह कानूनन जुर्म है ।तुम्हे इसकी सजा मिलेगी।पैसे लेकर किसी पर हमला करना मानवता नही है।तुम एक दयालु और शरीफ आदमी हो ।मुझको और मेरे साथी पर हमला बंद करो और चुपचाप यहां से चले जाओ।हम दोनों तुम्हारा दुश्मन नहीं है।जाओ जल्दी जाओ यहां से।
पदमिनी का टेलीपैथी काम कर गया ।उसके संदेश ने उन गुंडो के सरदार पर जादू की तरफ असर किया ।
उसने चिल्लाकर कहा _ अरे छोड़ दो इन दोनों को ये हमारे दुश्मन नही है।अब चलो जल्दी सब यहां से।
उसकी बात सुनते ही चारो बदमाश रुक गए और आश्चर्य से उसे देखने लगे।
एक ने कहा _ अरे तुम ये क्या कह रहे हो ।हमे इस लड़के का हाथ पैर तोड़ने और इस लड़की को उठाने के लिए कहा गया था।
उस सरदार ने अपने आदमी के गाल पर एक थप्पड़ लगाया और कहा _ मैंने कहा _ छोड़ दो इन दोनों को और चलो।
सब लोग आश्चर्य से उनकी इस हरकत को देख रहे थे।उनकी समझ में ये नही आ रहा था की अभी ये सब इन दोनो पर हमलावर थे और अब इनको छोड़ने की बात कर रहे हैं।आखिर यह चमत्कार हुआ कैसे।
कोई कुछ समझ पाता तभी टीटी कई बंदूक धारी जीआरपी गार्ड को लेकर पहुंच गया और उन पांचों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पदमिनी जख्मी आनंद को सहारा देकर अपने बर्थ पर ले आई।
उसे इसकी इस दशा पर बड़ा अफसोस हो रहा था।तभी टीटी एक रेलवे के डॉक्टर को साथ लेकर आया आनंद के चेहरे और सिर पर लगी चोटों पर दवाइया लगवाकर कहा _ मैडम मैने पहले ही कहा था आप तुरंत एसी कोच में चली जाइए आप दोनो सुरक्षित रहेंगे।लेकिन आप दोनों अभी तक गए नही।
ठीक है अंकल जाती हूं।पदमिनी ने कहा ।तभी बिरेंद्र अग्रवाल आ गया और कहा _बेटी मैं कबसे तुम्हारा इंतजार कर रहा था लेकिन तुम आई नही ।अभी किसी ने बताया तुम्हारे दोस्त के साथ मारपीट हुई थी।
आनंद को किसी की कोई बात समझ में नहीं आ रही थी।
उसका चेहरा देखकर पद्मिनी ने कहा _ अपने दिमाग पर ज्यादा जोर मत दो चलो मैं सब समझाती हूं।इतना कहकर वो अपना समान उठाकर चल दी।बिरेंद्र अग्रवाल ने आनंद का सामान उठा लिया।
तब तक ट्रेन खुल चुकी थी और आधी रात को अपनी तूफानी रफ्तार पकड़ चुकी थी ।करीब दो स्टेशन तक दोनों बिरेंद्र के बर्थ पर बैठे रहे इसके बाद दोनो एसी कोच के रिजर्व सीट पर चले गए।
आनंद ने अपने बर्थ पर बैठते हुए खर्च मेरा दिमाग झन्ना रहा है।अब तो बता दो पूरा मामला क्या है।
पद्मिनी ने उसे ओम प्रकाश के षडयंत्र के बारे में बता दिया।सुनकर आनंद ने गुस्से में कहा_ जिस दिन वो ओम का बच्चा मिल गया मैं उसकी हड्डियां तोड़ दूंगा।
वो आश्रम में ज्ञान ,शांति और साधना सीखने गया था या गुंडा गर्दी।मुझे बहुत अफसोस हो रहा है ऐसे लोगों पर।इनका कुछ नहीं हो सकता।किसी के कितना भी सीखा पढ़ा दो लेकिन उनकी मानसिकता को बदला नही जा सकता।आनंद ने गुस्से में कहा।
लेकिन तुम ने बाथरूम से आने में देरी क्यों कर दिया।अगर जल्दी आ गए होते तो यह घटना नही घटती।
पदमिनी ने पूछा।
अरे क्या बताऊं यार मैं जैसे ही बाथरूम के पास पहुंचा वहा ट्रेन से उतरने वाले यात्री ढेर सारा सामान रखकर पूरा रास्ता ही जाम कर रखा था।
किसी तरह टॉयलेट पहुंचा वहा पहले से ही कोई बुजुर्ग महिला गई हुई थी।काफी देर के बाद उसके निकलने के बाद जैसे ही मैं टॉयलेट से फ्रेस होकर बाहर निकला तब तक ट्रेन रुक चुकी थी ।गेट तक आते ही वे पांचों ट्रेन में चढ़ चुके थे।मुझे देखते ही उनके सरदार ने मुझे पहचान लिया और मुझ पर टूट पड़े काफी देर तक मैं उनसे लड़ता रहा तब तक तुम आ गई ।
आनंद घटना के बारे में बताते हुए कहा।लेकिन तुम बताओ वे पांचों मारपीट करते हुए अचानक रुक कैसे गए और अपना दुश्मन नहीं है कह कर जाने क्यों लगे थे।आनंद ने पदमिनी से पूछा।
दरअसल मैने उनके सरदार के मस्तिष्क में अपना संदेश भेजकर यह सारी बाते उसके दिमाग में बैठाई थी।और मैं सफल रही ।वो मेरे बस में हो चुका था।पदमिनी ने बताया।
ओह अच्छा तुमने तो कमल कर दिया यार।आनंद ने खुश होकर कहा।
वो हंसना चाहा लेकिन दर्द की वजह से हंस नही पाया।
लेकिन तुम मेरे बस में कब आओगी आनंद ने मुस्कुराते हुए पद्मिनी से पूछा।
उसका सवाल सुनकर वो मुस्कुरा दी और बोली _ इतनी मार पड़ी है फिर भी तुम्हारा इश्क का भूत नही उतरा है और वो हंसने लगी।
आनंद भी किसी तरह मुस्कुराने की कोशिश करने लगा।चोट की वजह से वो मुस्कुरा भी नही पा रहा था।
वो आशिक ही क्या जो मार खाकर भी सुधर जाए तो फिर आशिक ही क्या है।उसने मुस्कुरा कर कहा।
तुम नही सुधरोगे ।पदमिनी ने हंसते हुए कहा ।उसे आनंद पर पहली बार बड़ा प्यार आ रहा था।उसने आगे बढ़कर उसके सिर को सहलाते हुए कहा _ अब काफी रात हो चुकी है चुपचाप सो जाओ।
इतने दर्द में भला कैसे नींद आएगी बोलो।तुम अपनी गोद में मेरा सिर रखकर सहलाओ तो शायद नींद आ जाए।आनंद ने शोखी से कहा।
अच्छा तो तुम अब बच्चे भी बन गए नटखट कही के ।चलो आओ तुम भी क्या याद करोगे।
आनंद को जैसे मांगी मुराद मिल गई हो ।वो तुरंत उसकी गोद में सिर रखकर सो गया।
पदमिनी उसका सिर सहलाने लगी ।ट्रेन हिचकोले खाती हुई भागी जा रही थी ।जैसे उसे भी किसी से मिलने की जल्दी बाजी थी ।
थोड़ी ही देर में आनंद खर्राटे लेने लगा था।पद्मिनी ने आहिस्ते से उसे अपने बर्थ पर लेटा दिया और उसकी बर्थ पर आकर लेट गई ।लेकिन उसकी आंखो में नींद नहीं आ रही थी।
उसकी आंखो मे भविष्य की कई छोटी बड़ी घटनाएं चलचित्र की भांति आती जा रही थी।उसने हर भविष्य की घटनाओं को अपने दिमाग में बैठाना शुरू किया और उसे कब नींद लग गई उसे पता ही नही चला।
अगला भाग
भविष्य दर्शन (भाग-13) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड