रात को पदमिनी और आनंद खाना खाकर अपने अपने बर्थ पर सो गए।कुछ ही घंटे बीते होंगे ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में भागी जा रही थी।दोनो को सुबह अपने शहर के स्टेशन पहुंचना था।फिर बस द्वारा उन्हें अपने गांव जाना था।
तभी अचानक पदमिनी अपने बर्थ पर नींद से उठ कर बैठ गई।उसने सामने वाली नीचे की बर्थ पर देखा आनंद गहरी नींद में खर्राटे ले रहा था।पदमिनी को उसका चेहरा बड़ा प्यारा लगा।वो हमेशा उसके हर काम में सहयोग करता था।लेकिन पदमिनी आनंद की मां को लेकर काफी चिंतित हो गई।उसने देखा कि उसकी मां काफी गंभीर रूप से बीमार है।इधर ओम प्रकाश ने कुछ गुंडों को आनंद पर हमला करने के लिए अगले स्टेशन पर भेजा है।उसने साफ साफ उनकी बाते सुनी है।उसने गुंडों को रुपया देते हुए कहा है _ जाओ ट्रेन में आनंद का हाथ पैर मारकर तोड़ दो।उसने किसी तरह हम दोनो बर्थ नंबर पता लगा लिया था।
खुद मेरा अपहरण करने को बोला था।
तभी उसे टीटी की बात याद आई।उसने अपना नंबर देकर जरूरत पर फोन करने को कहा था। तबतक टीटी ने बिरेंद्र अग्रवाल के बता दिया था कि पदमिनी की वजह से ही ट्रेन लुटेरों द्वारा लुटने से बच गया था।
चिंता से उसकी नींद उड़ गई थी ।हालांकि लुटेरे पकड़ लिए गए थे फिर भी वो काफी डरा हुआ था।उसके पास काफी महंगे गहने और समान थे।वो पदमिनी से मिलकर उसका आभार व्यक्त करना चाहता था।इसलिए जब नींद नहीं आई तो अपनी पत्नी को जगाकर समान की देख भाल करने हेतु बोल कर टीटी द्वारा बताए गए कोच और बर्थ नंबर पर पदमिनी से मिलने पहुंच गया।
उसने देखा पदमिनी अपने बर्थ पर चिंतित बैठी दिखाई दी।
उसने उसको नमस्कार किया और आभार व्यक्त करते हुए कहा _ आज तुम्हारी वजह से मैं लूटने से बच गया। मेरा नंबर रख लो कभी मेरी जरूरत पड़े मुझे जरूर याद करना ।मैं तुम्हारा एहसान कभी नही भूलूंगा बेटी।लेकिन तुम चिंतित क्यों लग रही हो ।कोई समस्या है तो बताओ।
तबतक पदमिनी ने टीटी को फोन लगा चुकी थी ।थोड़ी देर में टीटी चार जीआरपी गार्ड को लेकर उसके पास आया।
पद्मिनी ने उसे सारी बात बताई और कहा मुझे अपनी चिंता नहीं है लेकिन आनंद को कुछ हो गया तो मैं खुद को काफी माफ नही कर पाऊंगी।क्योंकि यह मेरे ही लिए मेरे साथ आया था।
टीटी ने कहा_ देखिए मैडम मैने दो जीआरपी गार्ड अग्रवाल जी को निगरानी में लगा रखा है।ताकि आगे कोई लूटपाट इनके साथ न होने पाए।
एक काम कर सकता हूं आप दोनो को एसी फर्स्ट क्लास में भेज देता हूं । वहा आप दोनो सुरक्षित रहेंगे।अगले स्टेशन पर मैं फोन कर देता हूं चार जीआरपी गार्ड और बुला लेता हूं सारी बात बताकर।
आप एसी का जो किराया है वो दे दे मैं उस कोच के टीटी को बोलकर आपका बर्थ कन्फर्म करवा देता हूं।
उसकी बात सुनकर पद्मिनी सोच में पड़ गई।
उसे चुप देख कर बिरेंद्र अग्रवाल ने कहा _ बेटी शायद तुम किराया को लेकर सोच में पड़ गई हो ।लेकिन तुम चिंता मत करो मैं हूं न ।जो भी किराया लगेगा मैं तुम दोनों का दे दूंगा ।
मैं चाहता तो एसी फर्स्ट क्लास में सफर कर सकता था ।लेकिन सोचा स्लीपर क्लास में कोई हमारे बारे में सोचेगा भी नही की हम महंगे गहने और समान लेकर चल रहे है।
फिर उसने टीटी से कहा _ टीटी साहब अगला स्टेशन आने से पहले चलिए एसी कोच में इन दोनों का बर्थ कंफर्म करते है ।
टीटी ने दो गार्ड को पदमिनी की निगरानी में लगाकर बिरेंद्र और दो जीआरपी गार्ड को लेकर एक कोच की ओर दौड़ पड़ा ।
एसी कोच के टीटी से बात करने पर उसने अपने टैब में बर्थ की पोजिशन देखकर कहा_ दो स्टेशन बाद दो बर्थ खाली होने वाली है।मैं दो स्टेशन बाद से टिकट बना देता हूं । आप दो बर्थ का सात हजार रुपए दिला दे।
पहले वाले टीटी ने कहा _ मैडम बहुत जानकार है उन्हे भविष्य दिखता है और भी बहुत कुछ जानती है उनसे आपको आगे फायदा हो सकता है इसलिए अपना हिस्सा छोड़कर बताए कितना रुपए दिलवा दूं।दूसरे टीटी ने कहा _ ऐसी बात है तो एक हजार रुपए छोड़कर दिलवा दे।
बिरेंद्र अग्रवाल ने कुल छः हजार रुपए निकालकर उस टीटी को दे दिए।उसने दो बर्थ कन्फर्म कर टिकट दे दिया ।दोनो का नाम लिख लिया ।
लेकिन दो स्टेशन तक दोनों कहा रहेंगे ।पहले वाले टीटी ने पूछा ।
तब तक दोनो मेरे बर्थ पर बैठ सकते है ।बिरेंद्र ने कहा _ मेरे दो बच्चे इनके बर्थ पर सो जायेंगे।
तब ठीक है पहले वाले टीटी ने कहा।
पदमिनी को आकार सबने बताया दो स्टेशन बाद आप दोनो एसी फर्स्ट क्लास के कोच में बर्थ नंबर ग्यारह और बारह पर चले जाना ।
तब तक आप दोनो मेरे बर्थ पर चले जाओ ।आपकी बर्थ पर मेरे बच्चे सो जायेंगे।बिरेंद्र ने कहा ।चलो बेटी मैं तुम्हारा सामान लेकर चलता हूं उसने पदमिनी से कहा।
आप चलिए अंकल मैं आनंद को लेकर आती हूं।
टीटी और बिरेंद्र चले गए।
अगला स्येशन आने वाला था।पदमिनी ने अपने मोबाइल में देख लिया था आधे घंटे में ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुंचने वाली थी।उसने आनंद को जगाया लेकिन वो गहरी नींद में खर्राटा लेता रहा ।जैसे घोड़े बेचकर सो रहा हो।पदमिनी चिंतित होने लगी आनंद उठ ही नही रहा था।
उसने अपने वाटर बोतल से पानी निकालकर उसके चहेरे पर फेंक दिया ।वो हड़बड़ा कर उठ बैठा।क्या हुआ तुम मुझे पानी से क्यों भींगा रही हो ।भला अभी मजाक करने का कोई समय है ।कितनी अच्छी नींद में सो रहा था।तुम्हारे साथ सपने में झील में नाव पर सैर सपाटा कर रहा था।लेकिन पदमिनी ने उसकी बात को अनसुनी करते हुए कहा जल्दी उठो हमे दूसरे कोच में बिरेंद्र के बर्थ पर चलना है।
लेकिन क्यों हमारी बर्थ तो हमारे स्टेशन तक है ।फिर क्यों अपनी सीट छोड़े ।आनंद ने आश्चर्य से पूछा।
सवाल मत करो जितना मैं कह रही हो करो।जल्दी उठो और सारा सामान लेकर चलो यहां से ।
पदमिनी ने झुंझला कर कहा ।
ठीक है बाबा तुम नाराज मत हो पहले मुझे बाथरूम से आने दो फिर चलता हूं।
आनंद ने अपनी चप्पल पहनते हुए कहा।
बाथरूम उस कोच में भी है वही कर लेना चलो ।लेकिन आनंद नही माना वो लपकता हुआ बाथरूम की ओर भाग खड़ा हुआ ।
इधर पदमिनी परेशान होकर उसका इंतजार कर रही थी।तब तक ट्रेन ने अपनी रफ्तार कम करनी शुरू कर दी थी । अगला स्टेशन आने वाला था।
पदमिनी और चिंतित नजर आने लगी थी ।उसे आनंद की काफी चिंता हो रही थी।
उसका दिल तेजी से धड़कने लगा था।जैसे जैसे आनंद को आने में देर हो रही थी उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।तब तक ट्रेन ने प्लेटफार्म से गुजरना शुरू कर दिया था और गति कम होने लगी थी ।
पद्मिनी को अब आनंद पर बहुत गुस्सा आने लगा था।बहुत जिद्दी लड़का है ।अगले बर्थ में टॉयलेट जाता तो क्या होता।ट्रेन रुकते ही ओम के गुंडे ट्रेन में चढ़ जायेंगे। फिर पता नही उसके साथ क्या करेंगे । मेरा अपहरण भी करना चाहते है।
तभी ट्रेन ने झटका दिया और रुक गई ।लोग ट्रेन पर चढ़ने और उतरने की आपाधापी करने लगे ।अब पदमिनी के बर्दास्त से बाहर होने लगा था।तभी टॉयलेट की तरफ से बहुत जोर का शोर सुनाई देने लगा।
पदमिनी का दिल धक धक करने लगा।वो बिना एक पल गवाए टॉयलेट की तरफ भागती चली गई।उसकी जान हलक में अटक गई थी।भगवान न करे आनंद को वो गुंडे ढूंढ और पहचान पाए हो।
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भविष्य दर्शन (भाग-12) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड