चीख – गरिमा जैन

चित्रकथा

स्कूल के स्टाफ रूम में बात करती शिक्षिकाएं)

विमला : बेटा नहीं बेटे के नाम पर कलंक है। मां को मार डाला !वह भी छह गोली एक साथ और तो और लाश भी छुपा दी! छी छी ऐसे बच्चे से तो बच्चा ना होना अच्छा।

कमला : अरे अखबार में तो आया था कि 4 बार घर से भाग गया था।मां तो को तो दुश्मन समझता था। रोज लड़ता था उनसे। यह सब गलत परवरिश का नतीजा है ।देखो एक हमारे बच्चे हैं जो चू भी नहीं करते। हाथ उठाना तो दूर की बात है।

विमला : कमला सच कहती है तू बहन ।अरे वह सविता मैम नहीं आई आज। सुना है रोहन के माता-पिता को बुलाया गया है ।तुमने भी देखा था ना वह स्केच जो रोहन ने बनाया था।

कमला : हां बहन बड़ा डरावना था ।ऐसा मालूम होता था कि किसी पर भूत सवार हो गया हो। ऐसी ड्राइंग कौन बनाता है भला!

विमला : सच मैं तो डर गई थी ।रोहन चुप चुप भी तो बहुत रहता है। रोज डांट खाता है ।ना समय पर होमवर्क करता है ना स्कूल आता है।

कमला : हां सुना है उसके मां-बाप का तलाक हो गया है । एक सप्ताह पापा के पास तो एक सप्ताह मां के पास रहता है।

विमला :  पता नहीं ऐसे मां-बाप बच्चा पैदा ही क्यों करते हैं? सच बच्चे की तो किस्मत ही खराब है ।


(तभी सविता मैम स्टाफ रूम में आती हैं )

सविता:  हेलो विमला जी ,हेलो कमला जी ,क्या बातें हो रही हैं ?

कमला : बस सविता तुम्हारा ही इंतजार था। क्या हुआ ?सुना रोहन के माता-पिता आए थे !

सविता:  हां मैंने ही बुलवाया था। बड़ी मुश्किलों से दोनों इकट्ठा आए थे ।इतने व्यस्त हैं बेचारे कि बच्चे के लिए समय ही नहीं है। रोहन का बनाया स्केच देखकर मैं  हैरान रह गई। इस उम्र में इतना आक्रोश है उसके अंदर।

कमला:  सच गुस्सा तो बहुत है उसको ।अभी पिछले हफ्ते ही रिसेस में  बच्चो के साथ क्या जमकर लड़ाई हुई थी!

विमला:  बिगड़ा हुआ बच्चा है ।कितना महंगा मोबाइल लेकर आया था जब सुधीर सर ने पकड़ा था ।

कमला : हां भाई मां-बाप दोनों कमा रहे हैं फिर क्या कमी है?  दोनों हाथों से पैसा खर्च करता है  ।सुना है स्कूल के पीछे पार्क में सिगरेट पीता पकड़ा गया था। हद है इतनी सी उम्र में यह हाल !पूत के पांव पालने में दिखाई दे रहे हैं  ।बड़ा होकर गैंगस्टर बनेगा गैंगस्टर! देखना कहीं वह अपनी मां को मार ना डाले….

सविता : मैम बच्चे तो कोरा कागज होते हैं ।हम बच्चों को दोष देते हैं पर कभी हमने सोचा कि वे बेचारे कितना दबाव झेलते हैं अकेले !ज्यादातर भाई बहन तो होते नहीं आजकल । रोहन के मां-बाप के तलाक की प्रक्रिया में उसने कितना मानसिक तनाव झेला होगा !

कमला:  हां हो सकता है ।वह क्या “डिप्रेशन” हो जाता है ना आजकल, वह हो गया होगा।


सविता : तो पहले के जमाने में बच्चे इतनी कम उम्र में इतना कुछ जान भी नहीं पाते थे! आजकल 12, 13 वर्ष के बच्चों को सब पता है और शायद गलत तरीके से पता है !

कमला : हां मेरे क्लास के बच्चे उस दिन मिर्जापुर वेब सीरीज के बारे में बात कर रहे थे और उस में प्रयोग होने वाली अभद्र भाषा इस्तेमाल कर रहे थे ।जबकि वह तो वयस्कों के लिए है।

सविता :  यही तो मैं कहना चाहती हूं, बच्चों को गलत समय पर गलत तरीके से अधूरा ज्ञान जो मिल रहा है वह उनको कुंठित ,विद्रोही और आक्रामक बना रहा है ।आपने कभी पब्जी गेम खेला है ?

विमला : खेला तो नहीं है पर सुना है ।बच्चे  खेलते हैं।

सविता:  यही तो सब समस्याओं की जड़ है ।हमारे बच्चे कैसे वातावरण में रह रहे हैं ,क्या देख रहे हैं ,कैसा महसूस कर रहे हैं, हमें पता ही नहीं होता ।

विमला :  तो क्या हम सारे काम छोड़ उनके पीछे पड़े रहें? तभी तो वह आक्रामक हो जाएंगे!

सविता:  यह सच है कि हम अपने बच्चों को पूर्णता ऐसे वातावरण से बचा नहीं सकते पर कोशिश तो कर सकते हैं। जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर  यूट्यूब जैसे ऐप  को एक ही ईमेल आईडी से खोलें जिससे हमें पता चलता है कि बच्चा क्या देख रहा है ।हमारी नजर उस पर बनी रहे ।ऐसे ही कई ओटीटी प्लेटफॉर्म है जो बिना किसी रोक-टोक वयस्क सीरियल  दिखाते हैं!


इस पर हम अगर पैरंट लॉक लगा सके तो अच्छा है ,नहीं तो ऐसे ऐप को बच्चों को तभी देखने दे जब भी बच्चे परिवार के साथ हो।

कमला :  सच हमने तो कभी इस ओर सोचा ही नहीं कि गलती बच्चों की नहीं आज के वातावरण की है .सच में कितना कुछ झेलते  हैं वो :मां-बाप के बीच होने वाले झगड़े उन्हें कितना विचलित करते हैं!  दोस्तों में खुद को हमेशा बेहतर दिखाने की होड़! हमेशा प्रथम आने का दबाव और गलत ढंग से मिल रही अधूरी जानकारी !

विमला : आपने हमारी आंखें खोल दी ।शिक्षकों का दायित्व और बढ़ गया है। आज के बच्चे को डांट से नहीं बल्कि प्यार से और उनकी सोच को समझ कर  समझाना होगा ,नहीं तो हमारा कमाया यह सारा धन व्यर्थ है। हमें बच्चों के अंदर से निकलने वाली चीख को सुनना होगा।

इति

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