“हाय माम्………”
“अरे बेटा……..तुम जल्दी आ गईं?” तरु की आवाज सुनकर प्रिया चौंकते हुए बोली।
“आज तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी इसलिए हाफ डे लेकर आ गई; लेकिन आप धूप में पुरानी फोटोज के साथ क्या कर रही है?” प्रिया के पास बैठते हुए तरु ने पूछा।
“तबीयत ठीक नहीं क्या हुआ…….पहले यह बताओ?” प्रिया ने चिंतित होकर पूछा।
तरु अभी पूरी डॉक्टर बनी भी नहीं है; इंटर्नशिप चल रही है लेकिन तरु की पोस्टिंग कोविड वार्ड में कर दी गई इसलिए प्रिया हमेशा डरती रहती है।
“कुछ नहीं हुआ बस थोड़ा पेट में दर्द था………”
“अच्छा तुम नहा लो मैं चाय बनाती हूँ।” प्रिया बोली।
“मम्मी मैं नहा कर ही आपके पास आई हूँ; मुझे आए हुए आधा घंटा हो गया है, नानी ने दरवाजा खोल दिया था। आप बाहर फोटोज में इतना खोई थी कि आपको पता ही नहीं चला कि मैं आ गई हूँ। अब बताइए आप यह सब क्या कर रही हैं?” तरु ने मुस्करा कर पूछा।
“देखो ना बेटा इन फोटोज को घूप दिखा रही हूँ फोटोज में नमी लग गई है; इसमें ज्यादातर फोटो मेरे बचपन की है।” प्रिया ने फोटोज की ओर देखते हुए कहा।
“अच्छा मम्मी मैं आपकी सारी फोटो स्कैन करके हार्ड डिस्क में रख लूंगी तो आप की फोटो कभी खराब नहीं होंगी; आप भी चिंता मत करो…….” तरु उन फोटोज की ओर देखते हुए बोली।
प्रिया अभी भी उन फोटोज में खोई हुई थी।
“ये कितनी प्यारी फोटो है, क्या ये नानी है? ये तो बिलकुल आपके जैसी लग रही है।” तरु ने उत्साहित होकर कहा।
“हाँ बेटा नानी की ही फोटो है इस फोटो में गुलाब का फूल पकड़े हुए कितनी सुंदर लग रहीं है।” प्रिया तरु को फोटो दिखाते हुए बोली।
मैं वही सोच रही थी; ………कितनी यंग है फोटो में,नानी कहना कितना अजीब लग रहा है…….” तरु फोटो को देखकर हँसते हुए बोली।
“बेटा तुम्हारी नानी कॉलेज प्ले में बहुत हिस्सा लतीं थी। इस प्ले में उनको बेस्ट अभिनेत्री का अवार्ड मिला था तब ही ये फ़ोटो खींची गई,ऐसा नानी ने मुझे बताया था।”
तरु बड़े प्रेम से उस फोटो को देखने लगी ।
“मम्मा में यह फोटो अपने पास रख रही हूँ; सहेलियों को दिखाऊंगी।” तरु उस फोटो को लेते हुए बोली।
“इस फोटो को संभाल के रखना ये वाली सिर्फ एक ही फोटो है।” प्रिया ने बेटी को हिदायत दी।
इसके बाद दोनों घर के अंदर आ गई।
तरु नानी के पास बैठते हुए बहुत लाड़ से बोली, “मम्मी चाय पिला दो ना प्लीज़…..”
“तुम भी कैसी बात करती हो……बस मम्मी को ही आर्डर देती रहती ये नहीं कि तुम ही सबके लिए चाय बना लो। हमारे जमाने में तो बच्चों को सख्ती से रखा जाता था।” नानी ने गुस्सा किया।
“नानी मम्मी तो आजकल ऑनलाइन क्लासेज ले रही है ना, एक बार कॉलेज शुरू हो जाने दो; फिर देखना मैं मम्मी की मदद किया करूंगी, पक्का वादा।” तरु ने नानी को आश्वस्त किया।
प्रिया चाय बनाकर ले आई और दो कप चाय केतली में ही रख दी उसको पता था उसका बेटा और पति भी आ ही रहे होंगे।
तरु की नानी अक्सर कहती रहती है, “तुमने बच्चों को बहुत छूट दे रखी है, देखो कैसे दोनों पापा-पापा करके अपने पापा से चिपके रहते हैं। हर बात पर तुम दोनों से खुल कर बात करते हैं; थोड़ा नकेल कस कर रखा करो; देखो तुम और तुम्हारी बहन की कभी हिम्मत नहीं होती थी अपने पिताजी से आंख उठाकर बात कर सके, कितनी इज्जत करती थी तुम दोनों अपने पिताजी की।”
प्रिया भी समझाती, “मां समय के हिसाब से सब थोड़ा-थोड़ा बदलते हैं, आजकल बच्चों को डरा कर नहीं उनके साथ बात करके चर्चा करने का माहौल है और देखें जहां डांटने की जरूरत होती है हम बच्चों को डांटते भी हैं लेकिन ये दोनों अब बड़े हो गए है इसलिए इन्हे अब डांटने की जरूरत नहीं है।”
लेकिन आज भी तरु अभी तक नहीं आई थी। आज मां की बात से प्रिया भी परेशान हो गई है कि पिछले एक महीने से तरु देर से आ रही है और कुछ बताती भी नहीं है; पूछा तो टाल जाती है आज तो हद ही हो गई है रात के नौ बज गए है लेकिन वह अब तक नहीं आई है।
प्रिया ने ठान लिया है कि आज तो वो उससे बात करके रहेगी कि क्या बात है, क्यों लेट आ रही है वह रोज?
माथे पर शिकन लिए प्रिया घूम रही है; तरु ने फोन भी नहीं उठाया है। पति भी आज बाहर गए हैं तो किससे बात करें मन में बहुत डर है बस इंतजार ही कर सकती है वो।
दरवाजे पर घंटी बजते ही प्रिया ने दरवाजा खोला और तरु को देखते ही जोर से बोली, “कितनी देर कर दी तरु आज तो हद ही हो गई……”
सॉरी मम्मी कह के तरु अंदर चली गई।
“यह क्या है इतना बड़ा बोर्ड…….हाथ में क्या है?” प्रिया ने तरु के हाथ में कागज लिपटा हुआ बोर्ड देखकर कहा।
“हॉस्पिटल का कुछ सामान है, मां तुम नहीं समझोगी…….”
यह सुनकर प्रिया को बुरा लगा पर वह कुछ बोली नहीं, सोचा बाद में बात करेगी, पहले खाना खा लेने देते हैं।
खाना खाते-खाते रात के ग्यारह बज गए थे उसके बाद प्रिया ने बात छेड़ी, ” तरु कोई बात है क्या……..आजकल क्यों इतना देर से आती हो?”
“क्या मां कोई बात नहीं है।” तरु ने बेफिक्री से कहा वह प्रिया की मानसिक स्थिति भाप नहीं पाई थी। “
नहीं मुझे चिंता हो रही है, कोई ऐसी-वैसी कोई बात तो नहीं है?” प्रिया ने गुस्से में कहा।
अब तरु को लग गया था कि मां कुछ गंभीर हुआ है तो वह भी बोल पड़ी, “हाँ मां है ऐसी-वैसी बातें……. इस बारे में कल बात करेंगे आज नहीं।”
“ठीक है कल ही सही अब मैं सोने जा रही हूँ ” प्रिया दुखी होकर बोली।
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“अरे मम्मी बैठो ना, कम से कम बारह बजे तक तो जाग लो आज प्लीज………” तरु ने मनुहार करी।
“नहीं मैं थक गई हूँ……” प्रिया बेरुखी से बोल कर चली गई।
तनु अपना मोबाइल लिए वैसे ही बैठी रही।
बारह बजे तरु मम्मी के पास गई और बोली, “मम्मी उठो ना आज नानी का ८१ वा जन्मदिन है, केक लाई हूँ…… चलो उनको विश करते हैं।”
प्रिया ने तरु की तरफ आश्चर्यचकित होते हुए देखा और फिर उठकर उसके साथ नानी के कमरे की तरफ चल दी।
नानी आधी रात के समय अपनी बेटी और नातिन को अपने कमरे में आता देख आश्चर्यचकित हो गई।
तरु ने नानी को बधाई देते हुए उसने अपने साथ लाया कागज में लिप्त वो बोर्ड नानी को दिया और बोली, “खोल कर देखो नानी…..”
कागज में लिपटा वो बड़ा सा बोर्ड एक रंगीन पेंटिंग थी जो पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फोटो को देख बनाई गई थी, ये वही फोटो थी जिसमें नानी फूल लिए हुए थीं।
अपनी ब्लैक एंड व्हाइट फोटो को हूबहू बड़ी सी रंगीन पेंटिंग में देखकर नानी बहुत गदगद हो गई।
“मम्मी यह वजह है मेरे देर से आने की।” तरु ने प्रिय की आंखों में आंखें डाल कर कहा।
प्रिया ने झट से तरु को गले लगा लिया और अपनी मां की तरफ देखने लगी दोनों मां बेटी आज अपनी-अपनी परवरिश पर गर्व कर रही थी।
मौलिक/स्वरचित
शालिनी दीक्षित