*”दामिनी का दम”* (भाग-7) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

जब दामिनी अस्पताल पहुंची सुबह के छ बज चुके थे। एक लड़की के इलाज हेतु इतने लोग और उसके साथ पुलिस को आया देख अस्पताल के लोग आश्चर्य में पड़ गए।

डॉक्टरों ने उसका तुरंत इलाज कर सिर पर पट्टी बांधकर कुछ दवा दे दिया।

राजेश अब बुरी तरह थक थूका  था।उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी।गाड़ी चलाने की उसकी जरा भी हिम्मत नही हो रही थी ।

दामिनी को लाकर उसने उसे अपनी कार की पिछली सीट पर बैठाया।मोहल्ले के लड़के भी कार के पास जमा हो गए।पुलिस भी वहा पहुंच गई ।लडको ने कहा _ मैडम आप कहा जायेंगी हमलोग आपके साथ आपको छोड़कर आयेंगे।

पुलिस के जवानों ने भी कहा हम भी आपको छोड़ देंगे आप जहा जायेंगी ।लेकिन दामिनी ने कहा _ नही चली जाऊंगी आप सब चिंता मत करे।

वे लोग बड़ी जिद किए लेकिन दामिनी ने सबको जाने लिए कह दिया।मोहल्ले के लड़के और दोनों महिलाएं अपने पूजा पंडाल की ओर चले गए और पुलिस भी वापस चली गई।

सबके जाते ही राजेश ने थके हुए पूछा_ मैडम अब तो बता दीजिए मैं आपको कहा छोड़ दूं ।मैं बिलकुल थल चुका हूं ।रातभर जाग कर आपके साथ गाड़ी  चलाता रहा हूं ।

तभी उसके मोबाइल पर फिर उसकी बहन का फोन आया।उसने चिंतित होकर पूछा _ भईया आप कहा  अब तक घर नहीं आए मां बार बार आपके बारे में पूछ रही है।मां रात भर सोई नहीं है।आप जल्दी घर आ जाइए।

मैं बस आ ही रहा हूं तुम सब चिंता मत करो।उसने जवाब दिया और फोन काटकर फिर दामिनी से पूछा _ बोलिए मैडम आपको कहा जाना है।

दामिनी के सिर में दर्द हो रहा था फिर भी उसने मुस्कुराते हुए कहा_ एक काम करो तुम मुझे अपने घर ले चलो  ।तुम्हारी मां के हाथ की चाय पिऊंगी और तुम्हारा भाड़ा देकर दूसरी कार से  जहा जाना है चली जाऊंगी।

उसकी बात सुनकर राजेश को बड़ा आश्चर्य हुआ और खुशी भी की चलो अब तो मुझे अपने घर जाने बोल रही है।

राजेश ने कहा _ ठीक है मैडम चलिए मैडम मैं आपको अपनी मां के हाथ की बनी गर्मा गर्म चाय पिलाता हूं ।मेरी मां खाना बहुत अच्छा  बनाती है।

इतना कह कर उसने अपनी गाड़ी स्टार्ट किया और अपने घर जाने वाले रास्ते पर दौड़ा दिया।

रास्ते में उसने अपनी बहन को फोन कर बताया की मेरे साथ मेरी एक सवारी आ रही है जो लड़की है ।दो कप चाय बनाने के लिए मां को बोल देना.। मैडम चाय पीकर चली जायेंगी।

दामिनी ने पूछा _ तुम्हारे घर में कौन कौन लोग है ।

मेरे घर में मेरी मां और एक एक छोटे भाई बहन है ।जीघर में कमाने वाला मैं ही हूं ।

ओह अच्छा।

तुमने पढ़ाई लिखाई किया है या नही ।दामिनी ने पूछा।

उसका  सवाल सुनकर राजेश को बहुत धक्का लगा।

उसने दुखी मन से कहा_ मैडम मेरी मां ने मुझे मेहनत मजदूरी करके बीए ग्रेजुएशन कराया साथ कंप्यूटर का कोर्स भी किया लेकिन मुझे कही नौकरी नहीं मिली।

अंत में हार कर ड्राइविंग सीखा और अब भाड़े की टेक्सी चलाता हूं।

ओह अच्छा तो तुम ग्रेजुएट हो । पढ़े लिखे शिक्षित ड्राइवर हो ।दामिनी ने गंभीर होकर कहा। महीने में कितना कमा लेते हो ।उसने फ़िर पूछा।

को निश्चित आमदनी नही होती है मैडम।रोज का हजार _ पंद्रह सौ रुपए   मिल जाते है ।जिसमे से चार सौ रुपए कर मालिक को देना पड़ता है ।चार पांच सौ रुपए पेट्रोल में लग जाते है।कुछ पैसे गाड़ी के रख रखाव और मरम्मत में चले जाते हैं।लगभग सात आठ सौ रुपए बच जाते हैं।कभी ज्यादा कभी कम कमाई होते  रहती है।

राजेश ने बताया।

ओह अच्छा मैं समझी ।अगर टेक्सी तुम्हारी अपनी हो तो रोज का चार सौ रुपए बच जायेंगे ।दामिनी ने कहा।

बच तो जायेंगे मैडम लेकिन कहा से टैक्सी खरीद पाऊंगा।घर में राशन पानी,दोनो भाई बहन की पढ़ाई लिखाई , मकान का किरायाऔर मां की दवाई में कुछ बचता ही नही।ऊपर से इतनी कमर तोड़ महंगाई में तो कार खरीदने के बारे में सोच भी नही सकता ।

शायद तुम ठीक कह रहे हो ।

तुम्हारा घर अभी और कितना दूर है ।

दामिनी ने पूछा।

जायदा दूर तो नही है मुश्किल से आधा घंटा का रास्ता है लेकिन अब सुबह हो गई है।ट्रेफिक जाम होने लगेगा।इसलिए एक घंटा लग सकता है।

राजेश ने कहा _ लेकिन उसे दामिनी का जवाब नही मिला ।उसने पीछे मुड़कर देखा वो नंद में सीट पर अपना सिर टिकाए सो गई थी ।

राजेश ने सोचा चलो अच्छा है ये लड़की सो तो गई वर्ना कही और जाने के लिए बोलकर पता नही और क्या तूफान मचाती।अब मुझे जल्दी घर पहुंच जाना चाहिए।उसने अपने कार  के एक्सीलेटर पर अपने पैर का दवाब बढ़ा दिया।उसकी कार हवा से बातें करते हुए सरपट सड़क पर  भागी जा रही थी।

कार के हॉर्न की आवाज सुनकर उसकी बहन रागिनी ने घर का दरवाजा खोला और दौड़ते हुए कार के पास पहुंच गई।पीछे पीछे उसकी मां और छोटा भाई राजू भी था।

सब लोग राजेश को देखकर बहुत खुश हुए ।

मां ने उसे डांटते हुए कहा_ इतनी रात तक गाड़ी चलाने को तुझे मना की थी फिर भी तुझे रात भर गाड़ी चलाने की क्या ज़रूरत  थी बेटा।हम सब कितना चिंता कर रहे थे तुम्हारी।

कार से उतरते हुए राजेश ने कहा _ सब विस्तार से बताऊंगा मां पहले चलो जल्दी से चाय पिलाओ ताकि इस आफत लड़की से छुटकारा मिले।

सबने पीछे देखा एक बहुत ही सुंदर और जवान लड़की इत्मीनान से सो रही थी ।

सबलोग अपलक उसे देखते रहे । तुम रात भर इस लड़की को लेकर कहा कहा घूम रहा था बेटा ।

अभी ये सब मत पूछो मां पहले जो कहा है वो करो ।

राजेश ने पिछला दरवाजा खोलकर

दामिनी को जगाने की बहुत कोशिश किया मगर वो। नही जागी ।

राजेश ने अपनी मां और बहन से कहा _ तुम दोनो इसको किसी तरह पकड़कर अंदर ले जाओ और रागिनी तुम अपने कमरे मे बेड पर लिटा दो ।

अगर ये गाड़ी में सोती रही और मोहल्ले वाले देख  लिए तो पता नही क्या सोचेंगे।

लेकिन इस लड़की के सिर पर पट्टी क्यों बंधी है बेटा कही एक्सीडेंट तो नही हुआ तुझे कही चोट तो नही लगी।

अंदर चलो मां सब बताता हूं । राजेश ने कहा

उसकी मां और बहन ने गहरी नींद में सोई दामिनी को किसी तरह कार से नीचे उतारा और  उसे अपने घर के अंदर ले गई ।उसे रागिनी के बेड पर लिटा दिया ।रागिनी ने पंखा चालू कर दिया ताकि वो आराम से सो सके ।

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*”दामिनी का दम”* (भाग-8) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

बोकारो झारखंड

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