अखंड सौभाग्यवती भव… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

मीरा ने अपना बचपन नानी की गोद और ममहर की गलियों में ही बिताया था…

 पापा के गुजर जाने के बाद… मां नन्ही मीरा को लेकर अपने मायके ही आ गई थी…

 उसके बाद से मीरा के लिए वही घर अपना घर… बस वही लोग अपने लोग… हो गए थे…

 नानी मां ने… कभी भी मीरा को किसी बात की कमी महसूस नहीं होने दी…

 हर वक्त उनके प्यार और आशीर्वाद का हाथ उसके सर पर रहता था…

 विवाह योग्य होने पर… नानी मां ने ही…

 पवन के साथ… जो की मार्केटिंग का बढ़िया जॉब करता था… उसकी शादी करवाई…

 आज पहली बार… मीरा को नानी के प्यार में कमी महसूस हुई…

 शादी से पहले… वह जब भी नानी मां के पैर छूती… उनका आशीर्वाद पाने…

 हमेशा एक ही आशीष मिलता था… खुश रहो मेरी बच्ची… खूब खुश रहो…

 मगर आज जैसे ही शादी संपन्न हुआ… और नानी मां के पैर पर झुकी… की आशीष का फॉर्मेट बदल गया था…” अखंड सौभाग्यवती भव”” सदा सुहागन रहो” मेरी गुड़िया…

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 विदाई के वक्त भी यही… “अखंड सौभाग्यवती भव…”

 और पवन को… “खूब खुश रहिए… दीर्घायु रहिए…”

मीरा विदा हो गई… मगर मन में एक गांठ लेकर…

शादी के बाद मीरा दो बार तीन बार जब भी मायके आई… 

नानी मां ने यही आशीर्वाद दिया.…

 उसे भी और पवन को भी…

 इस बार मीरा आई तो उसकी गोद में अंशु था…

 दो महीने के पुत्र को लेकर…

 नानी मां का आशीर्वाद लेने पहुंची थी मीरा…

 इस बार नानी मां का स्वास्थ्य ठीक नहीं था… बेचारी बिस्तर पकड़े थी…

 मीरा ने आकर नानी के पैर छुए…  

उस दशा में भी… नानी मां ने कांपते हाथ उसके सर पर रख दिए…

” खूब सुहागवती रहो बेटा… अखंड सौभाग्यवती भव… पुत्रवती भव…!”

 पवन ने पैर छुए तो…” दीर्घायु भव बेटा…”

 मीरा की दबी गांठ… मुखर हो उठी…

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 मां के पास जाकर बिफर पड़ी…

” क्या मां… मेरी कोई अहमियत नहीं… इतने दिन सौभाग्यवती रहो… और अब पुत्रवती रहो… यही आशीर्वाद देना है बस नानी मां को…!”

 मां हंस पड़ी… “चल पगली.… नानी मां अपनी समझ से तुझे बेस्ट आशीर्वाद दे रही है…

 अभी तेरी समझ में नहीं आ रहा… एक दिन समझ जाएगी…!”

 पर मीरा कहां समझ पाई… 

उस बार दो दिन रहकर… जब मीरा वापस जाने लगी…

 इसी खुन्नस में नानी के पास ही नहीं गई …

मां ने कहा भी…

“जा बेटा… नानी मां का आशीर्वाद ले ले…!”

” हो गया मां… नानी मां सो रही है… क्यों परेशान करूं… तुम बता देना…!” बोलकर जल्दी में अंशु को गोद ले… मीरा निकल गई…

 निकल तो गई… मगर मन के कोने में… कुछ गलती का एहसास भी था…

 ससुराल पांच घंटे की दूरी पर था…

 अक्सर पवन खुद ही ड्राइव कर… मीरा को साथ ले… आ जाता था…

करीब एक घंटे हुए होंगे… घर से निकले…

 उस दिन अचानक रास्ते में… गाड़ी के ठीक सामने… एक गाय आ गई…

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 गाय को बचाते बचाते… गाड़ी एक तरफ पेड़ से टकराई…

 पेड़ की बड़ी टहनी ने… पवन के साइड में शीशे को तोड़ डाला…

 एक पल के लिए… सब की आंखों के आगे अंधेरा छा गया…

 थोड़ी देर बाद मीरा की आंख खुली…

 अंशु जोर-जोर से रो रहा था…

 उसके चेहरे पर एक जगह… शीशे का एक टुकड़ा गड़ा था…

 पवन को कई जगह चोटें आई थीं…

 शीशे की चोट ज्यादा थी…

एक पल को जैसे… मीरा को तो लगा… 

उसकी दुनिया ही लुट गई… 

किसी तरह गाड़ी का जुगाड़ कर… दोनों को लेकर अस्पताल पहुंची…

 सौभाग्य से किसी की चोट गंभीर नहीं थी…

 केवल ऊपरी चोट थी…

 आश्चर्य की बात थी… कि मीरा को एक खरोच नहीं आई…

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 उस दिन पहली बार मीरा को एहसास हुआ कि… उसके लिए उसके पति और बच्चे की क्या अहमियत है…

 इस डेढ़ घंटे में… एक्सीडेंट से लेकर मरहम पट्टी तक…

 कितनी ही बार वह… भगवान का शुक्रिया कर चुकी थी…

 साथ ही… “काश यह चोट मुझे लग जाती… पवन या अंशु को नहीं…”यह प्रार्थना भी… 

आज उसे नानी मां के आशीर्वाद का महत्व… अच्छे से समझ आ गया…

 अस्पताल से निकलकर… पवन ने टैक्सी की… तो मीरा ने अंशु का माथा चूम… पवन का हाथ पकड़ प्यार से कहा…

” पवन पहले वापस चलिए ना…फिर घर जाएंगे… नानी मां का आशीर्वाद नहीं ले पाए हम…!”

स्वलिखित 

रश्मि झा मिश्रा

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