बेटियां तो पराया धन होती हैं… हर लड़की ये सुनते सुनते बड़ी हो जाती हैं और एक दिन पराया धन बन चली जाती दूसरे की तिजोरी में…..उनलोगो ने संभाल कर रखा तो अहो भाग्य… और नहीं संभाला तो हतभाग्य … पर क्या किसी के जिगर का टुकड़ा पराया धन हो सकता हैं …
ना रूही, नहीं तुम पराया धन कैसे हो सकती हो तुम तो सिर्फ अनमोल धन हो… जो दोनों घरों को अपने संस्कारों से सज्जित करती हैं …. तुम्हारे बिना तो ये घर भी गुलजार नहीं … जब बहन बेटियां मायके की देहरी में पैर रखती हैं तभी खुशियों की पुरवैया चलने लगती हैं… रौनक तो तुम्ही से हैं…. क्योकि तभी मायके का परिवार पूर्ण होता हैं….
मीता ने अपनी कोमल भावनायें व्यक्त की…. रूही बोली हाँ माँ… पर इसबार मै नहीं आ पाऊँगी…. क्यों रूही…. क्योकि लवेश की बहन यानि मेरी नन्द रानी आने वाली हैं… वो काफी समय बाद रक्षाबंधन पर आ रही हैं तो मेरा यहाँ रहना जरुरी हैं….
ठीक हैं बेटा…. तुम्हें वहां रहना जरुरी हैं…. कह मीता ने फ़ोन काट दिया पर मन उदास हो गया… बेटी साल में एक बार ही आ पाती हैं… क्योकि ससुराल में इकलौती बहू होने से उसकी जिम्मेदारियां ज्यादा हैं… ना जाने कितनी बार मीता को सब्र करना पड़ा… क्योकि उसीने ने कहा था की वहां की सारी जिम्मेदरियो का निर्वाह अच्छे से करें…..
उधर रूही का मन भी उदास हो गया…. जानती हैं उसके ना आने की सुन माँ उदास हो गई होंगी .. आँसुओं को पोंछ रूही काम में लग गई…. भाई ऋषभ को भी बता दिया वो इस साल नहीं आ पायेगी … भाई ने कुछ नहीं बोला…. ना ये कहा की मै आ जाऊंगा… ना लड़ा…. सब बातों से मन हटा रूही नन्द के आने की तैयारी में लग गई…. दो दिन बाद रक्षाबंधन हैं….
रक्षाबंधन के पहले रूही की नन्द लता आ गई…. उसके आते ही घर में रौनक आ गई सासुमां के घुटने का दर्द गायब हो गया… ससुरजी की खांसी बन्द.. और तो और कभी समय से ना आने वाला लवेश भी टाइम से आ गया…. माँ सही कहती हैं बहन -बेटियों से ही रौनक होती हैं..
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रक्षाबंधन का दिन… रूही सुबह सुबह उठ कर ढेरों पकवान बना ली… सबको चाय दे वो भी चाय पी रही थी। धूप -छाँव की तरह उसका चेहरा भी कभी खुशी से दमकता तो कभी कुछ सोच मुरझा जाता…. सासुमां समझ रही थी.पर कुछ बोली नहीं.. ..चाय के बाद सब राखी बांधने की तैयारी कर रहे थे.. तभी घंटी बजी,
सासुमां ने रूही को आवाज दिया देख कौन हैं… किचेन से रूही भुनभुनाते निकाली.. पास में माँ बैठी हैं पर मुझे ही पुकारेंगी दरवाजा खोलने को…. दरवाजा खुलते ही रूही की चीख निकल गई माँ के गले लग गई … भाई ऋषभ और भाभी मुस्कुरा रहे थे..भाई ने बताया की लता दीदी ने फ़ोन कर बुलाया तुम्हे सरप्राइज देने को…. ..
तभी सासुमां की आवाज आई अरे सबको अंदर भी लाएगी या वहीं रोक के रखेगी…. पलट कर सासुमां को देखा तो, वो और नन्द रानी मुस्कुरा रही थी… दौड़ कर रूही लता के गले लग गई… लव यू दीदी… अरे मै अपने भाई भाभी को राखी बांधूंगी तो भाभी भी किसी की बहन हैं, वो क्यों उदास हो… ये सोच हमने ऋषभ को फ़ोन किया की आंटी को ले रक्षाबंधन वाले दिन आ जाये… बहुत दिनों से आंटी से भी नहीं मिली…. अब धमाल मचाएंगे… लता बोली…
सब लोग लता की समझदारी से खुश हो गए…. आखिर बहन बेटियां ही तो रौनक लाती हैं…. पराया धन ही तो रौनक ले आता…
— संगीता त्रिपाठी