हम सफर-सीमा बी.

नैना को रोज मेट्रो से आना जाना होता है उसने अपनी छड़ी और कदमों की गिनती से रास्ते को पहचानना सीख लिया है ।अपने नाम के जैसे उसकी आँखें बहुत ही सुन्दर और बड़ी बड़ी हैं पर उन आँखों मे रोशनी नही है।

अनुराग और नैना की मुलाकात रोज मेट्रो में ही होती हैं । दोनों को एक ही स्टेशन पर उतरना होता है,दोनों के काम करने की जगह भी आस-पास होने की वजह से अनुराग उसको सड़क पार करा कर उसके स्कूल के सामने छोड़ वापस दूसरी ओर आकर अपने ऑफिस चल देता है।

यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब 6 महीने पहले एक दिन नैना मेट्रो से उतरने लगी तो लड़खड़ा गई थी, तब पहली बार अनुराग ने उसको आगे बढ़कर संभाल था। अनुराग बोल और सुन नहीं सकता । जब नैना ने पहली बार उससे नाम पूछा तो वो बोल नही पाया। उसने नैना का हाथ पकड़कर उसकी हथेली पर उँगुली  से अपना नाम लिख दिया था ।

उस दिन से दोनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी। अनुराग उसके होठों के हिलने से उसकी बातें समझ जाता था और नैना भी उसकी अंगुलियों से अपनी हथेलियों पर लिखा जाना समझने लगी थी।


फिर एक दिन अनुराग ने नैना की हाथ पर अपने दिल की बात लिख दी। उसने पूछा था कि,” क्या वह उससे शादी करेगी”! वो भी अनुराग को पसंद करने लगी थी, पर उसे डर था कि वह अनुराग के लायक नहीं है। उससे शादी करके अनुराग  खुश नहीं रह पाएगा और उसकी जिम्मेदारियां और ज्यादा बढ़ जाएँगी ।इसलिए वह चुप रही ।

जब नैना ने कुछ नहीं कहा तो अनुराग ने दोबारा पूछ लिया बिना कुछ कहे सिर्फ उसके कंधों पर हाथ रख कर। उसके हाथों के स्पर्श ने नैना को हिम्मत दी, अपनी बात अनुराग को कहने की। अनुराग को समझ नहीं आ रहा था कि वह अपनी बात कैसे समझाए ? आज पहली बार अपने ना बोल पाने की मजबूरी पर गुस्सा आ रहा था ।

उसने एक पेन से कागज पर कुछ लिखकर वहीं मेट्रो स्टेशन के बेंच पर बैठी एक लड़की को  उसके लिए पढ़ने का आग्रह किया । लड़की ने पढ़ना शुरू किया, ” मुझे तुमसे प्यार है और मैं तुम्हें मेट्रो के सफर के साथ -साथ अपनी जिंदगी का हम सफर भी बनाना चाहता हूँ । मुझे यकीन है तुम अच्छी दोस्त, प्रेमिका और बीवी सब किरदार बखूबी निभाओगी, बस अब हाँ कर दो ।” नैना की आँखों से आँसू बह रहे थे। उसने अनुराग का हाथ अपने हाथ में लेकर उस पर “हाँ ” लिख दिया ।

सीमा बी.

 

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